स्टैंडअप कॉमेडियन कुणाल कामरा द्वारा केंद्र के इस कदम के खिलाफ याचिका दायर करने के बाद बॉम्बे हाईकोर्ट ने तथ्य-जांच इकाई स्थापित करने के केंद्र सरकार के प्रयास को खारिज कर दिया है।
न्यायमूर्ति एएस चंदुरकर ने कहा कि सूचना प्रौद्योगिकी संशोधन नियम, 2023, जो केंद्र को ऑनलाइन फर्जी खबरों की पहचान करने के लिए तथ्य-जांच इकाइयों (एफसीयू) की स्थापना करने का अधिकार देता है, संविधान के अनुच्छेद 14 और 19 के खिलाफ है।
कुणाल कामरा और अन्य याचिकाकर्ताओं ने कहा था कि संशोधनों से अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अनुचित प्रतिबंध लगेंगे।
याचिकाकर्ताओं ने कहा कि यह प्रावधान ऑनलाइन सरकार के नेतृत्व वाली सेंसरशिप को बढ़ावा देगा और इसे ऑनलाइन 'सत्य' का "अभियोजक, न्यायाधीश और उस ढीले अर्थ में, निष्पादक" बनने का अधिकार देगा।
बॉम्बे हाईकोर्ट ने तथ्य-जांच इकाई स्थापित करने की केंद्र की कोशिश को खारिज कर दिया
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Re: बॉम्बे हाईकोर्ट ने तथ्य-जांच इकाई स्थापित करने की केंद्र की कोशिश को खारिज कर दिया
असल में केंद्र सरकार ने सोशल मीडिया और इंटरनेट पर फर्जी खबरों के प्रसार को रोकने के लिए एक फैक्ट-चेकिंग यूनिट स्थापित करने का प्रस्ताव रखा था। इस इकाई का उद्देश्य ऐसी खबरों की पहचान करना और उन्हें "फर्जी" घोषित करना था। इसे सूचना प्रौद्योगिकी नियम, 2021 के तहत लाया गया था। पर बॉम्बे हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार के इस कदम को खारिज कर दिया, और इसे संवैधानिक रूप से वैध नहीं माना।