Janmashtami 2024: श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर लड्डू गोपाल को इन भोग से करें प्रसन्न, शुभ फल की होगी प्राप्ति

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Janmashtami 2024: श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर लड्डू गोपाल को इन भोग से करें प्रसन्न, शुभ फल की होगी प्राप्ति

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धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Janmashtami 2024: हर साल भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि इस तिथि पर भगवान श्रीकृष्ण का अवतरण हुआ था। इसलिए इस दिन को जन्माष्टमी के रूप में मनाया जाता है। इस शुभ अवसर पर विधिपूर्वक भगवान श्रीकृष्ण की पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही प्रिय चीजों का भोग लगाया जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से साधक को सुख-शांति की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं लड्डू गोपाल (Laddu Gopal Favourite Bhog) को किन चीजों का भोग लगाना शुभ माना जाता है।
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लड्डू गोपाल के भोग (Laddu Gopal Ke Bhog)
अगर आप जन्माष्टमी पर भगवान श्रीकृष्ण को प्रसन्न करना चाहते हैं, तो माखन मिश्री का भोग जरूर लगाएं। मान्यता है कि प्रभु को माखन मिश्री का भोग अर्पित करने से साधक का जीवन खुशियों से भरा रहता है।

इसके अलावा भोग में धनिया की पंजीरी को भी शामिल कर सकते हैं। धनिया को धन-धान्य का प्रतीक भी माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि धनिया की पंजीरी अर्पित करने से भगवान प्रसन्न होते हैं और धन से जुड़ी सभी तरह की समस्या दूर होती हैं।

भगवान श्रीकृष्ण को चरणामृत अर्पित न करने से भोग अधूरा माना जाता है। इसलिए प्रभु को जन्माष्टमी पर चरणामृत का भोग जरूर लगाएं।

इस मुहूर्त में करें पूजा (Janmashtami 2024 Shubh Muhurat)
पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि की शुरुआत 25 अगस्त, 2024 दिन रविवार को रात 3 बजकर 39 मिनट पर होगी। वहीं, इसका समापन 26 अगस्त, 2024 दिन सोमवार को रात 02 बजकर 19 मिनट पर होगा। ऐसे में जन्माष्टमी 26 अगस्त को मनाई जाएगी।

भोग मंत्र (Bhog Mantra)
जन्माष्टमी के दिन लड्डू गोपाल को भोग अर्पित करते समय निम्न मंत्र का जप करना चाहिए। धार्मिक मत है कि मंत्र के जप के बिना भगवान श्रीकृष्ण भोग स्वीकार नहीं करते हैं।

त्वदीयं वस्तु गोविन्द तुभ्यमेव समर्पये।

गृहाण सम्मुखो भूत्वा प्रसीद परमेश्वर ।।

इस मंत्र का अर्थ यह है कि हे प्रभु जो भी मेरे पास है। वो आपका ही दिया हुआ है। जो आपको ही अर्पित कर रहे हैं। कृपा करके मेरे इस भोग को आप स्वीकार करें।
Source: https://www.jagran.com/spiritual/religi ... 81252.html

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