आजकल रविवार से ज्यादा सोमवार से ज्यादा लगाव होने लगा है।

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manish.bryan
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Re: आजकल रविवार से ज्यादा सोमवार से ज्यादा लगाव होने लगा है।

Post by manish.bryan »

Bhaskar.Rajni wrote: Tue Nov 12, 2024 1:28 pm अधिकतर ग्रहणियों के लिए रविवार सर दर्द का कारण बनता है क्योंकि पति और बच्चे घर में होते हैं और खाने की नई-नई फरमाइश करते हैं तो रविवार बीत जाने का उन्हें इंतजार रहता है और सोमवार इसीलिए उन्हें अधिक अच्छा लगता है।
रविवार को तो अच्छा खाना खाने का बनता ही है लेकिन घर की महिलाएं इसे सिर दर्द समझती हैं तो उसे सोच का अब क्या करना है इसका स्पष्टीकरण हो गया है जिसे त्याग ही देना है 😆😆

मुझे मंडे से ज्यादा संडे पसंद है संडे को बेफिक्री रहती है अपने कुछ निजी प्रोग्राम देखे जा सकते हैं और शायद इसलिए या हो क्योंकि मेरी कंपनी सोमवार से शनिवार तक मजदूरी करती है तो एक रविवार का दिन बसता है जिस दिन मैं अपने निजी कार्य कर सकता हूं और अपने बच्चों के साथ खेल सकता हूं।
"जो भरा नहीं है भावों से, जिसमें बहती रसधार नहीं, वह हृदय नहीं पत्थर है, जिसमें स्वदेश का प्यार नहीं"

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manish.bryan
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Re: आजकल रविवार से ज्यादा सोमवार से ज्यादा लगाव होने लगा है।

Post by manish.bryan »

Stayalive wrote: Mon Nov 11, 2024 6:35 pm Monday becomes new Sunday.jpg

Sundays depressing lagne lage hai 🙂🙂🙂🙂
मुझे नहीं पता इस पोस्ट को लगाने का क्या तात्पर्य है लेकिन किसी भी तरह से किसी भी इंसान को सोमवार कतई पसंद नहीं है क्योंकि आराम करने के बाद कम पर कौन जाना चाहता है तो इसे किसी भी तरह से आप देख ले लेकिन आराम से घर बैठना हर किसी को पसंद है और यह सिर्फ मेरी निजी राय नहीं है आप किसी की मानसिकता से पूछेंगे तो यही रहेगा। लेकिन हो सकता हूं यहां मतलब कुछ और हो जो साइड में समझ नहीं पाया।
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Warrior
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Re: आजकल रविवार से ज्यादा सोमवार से ज्यादा लगाव होने लगा है।

Post by Warrior »

आजकल लोग अक्सर रविवार को बाहर जाने को प्राथमिकता देते हैं। बच्चे, गृहिणियाँ और यहां तक कि पति भी बाहर जाना और डिनर करना पसंद करते हैं। लेकिन जो मंझले वर्ग के पति होते हैं, जो उसी समुदाय में रहते हैं, उन्हें अब लगता है कि रविवार उनके जेब पर भारी पड़ने लगे हैं। भारत में जहां ज्यादातर परिवार मंझले वर्ग के हैं, वहां अब रविवार नए सोमवार जैसा बनता जा रहा है।
manish.bryan
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Re: आजकल रविवार से ज्यादा सोमवार से ज्यादा लगाव होने लगा है।

Post by manish.bryan »

Bhaskar.Rajni wrote: Tue Nov 12, 2024 1:40 pm लेकिन ऐसा भी नहीं है कि रविवार का जब लोगों में काम हो गया है बहुत सारे लोग रविवार का इंतजार करते हैं कि कब रविवार आएगा और कब हम आराम से घर में बैठेंगे।कामकाजी औरतों को लगता है कि जब रविवार आएगा तो घर के जो पेंडिंग काम है उन्हें पूरा कर लिया जाएगा रविवार का भी अपना महत्व है।
पूरे विश्व में संडे ही एक ऐसा दिन है जो निश्चित तौर पर हॉलीडे घोषित है चाहे वह कोई भी देश हो तो ऐसे में किसी को संडे के बजाय मंडे तो सैटरडे पसंद आता है तो यह मेरी समझ से तो पड़े हैं लेकिन संडे एंजॉय करने के लिए होता है और आज फार्म पर मैं और माननीय रजनी जी पोस्टिंग करके उसका भरपूर आनंद ले रहे हैं।
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Bhaskar.Rajni
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Re: आजकल रविवार से ज्यादा सोमवार से ज्यादा लगाव होने लगा है।

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manish.bryan wrote: Fri Nov 15, 2024 8:12 pm
Bhaskar.Rajni wrote: Tue Nov 12, 2024 1:40 pm लेकिन ऐसा भी नहीं है कि रविवार का जब लोगों में काम हो गया है बहुत सारे लोग रविवार का इंतजार करते हैं कि कब रविवार आएगा और कब हम आराम से घर में बैठेंगे।कामकाजी औरतों को लगता है कि जब रविवार आएगा तो घर के जो पेंडिंग काम है उन्हें पूरा कर लिया जाएगा रविवार का भी अपना महत्व है।
पूरे विश्व में संडे ही एक ऐसा दिन है जो निश्चित तौर पर हॉलीडे घोषित है चाहे वह कोई भी देश हो तो ऐसे में किसी को संडे के बजाय मंडे तो सैटरडे पसंद आता है तो यह मेरी समझ से तो पड़े हैं लेकिन संडे एंजॉय करने के लिए होता है और आज फार्म पर मैं और माननीय रजनी जी पोस्टिंग करके उसका भरपूर आनंद ले रहे हैं।
हमारा तो रोज ही संडे होता है रोज ही हॉलीडे हम तो हमेशा आनंदमय ही रहते हैं।
अब कवियों को भी भला कोई काम होता है? वह तो फ्री ही रहते हैं हमेशा। एक बार किसी ने कवि से पूछा कि आप क्या काम करते हैं, कवि बोला मैं कवि हूं, बोला वह तो ठीक है पर आप करते क्या है??,😛 वही काम हमारा है कवि हैं हम, काम धंधा हमें कुछ है नहीं, तो आनंद ही लेते रहते हैं हमारा तो हर दिन ही संडे है।
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