प्रेमियों के लिए कविता

महफिल यहां जमाएं....
Harendra Singh
सात सो के बाद , देखो आठ सौ के ठाट!!!
Posts: 897
Joined: Tue Nov 19, 2024 5:59 pm

Re: प्रेमियों के लिए कविता

Post by Harendra Singh »

Bhaskar.Rajni wrote: Thu Nov 21, 2024 12:57 pm तेरे साथ में जीवन है
तेरी बातों में मधुबन सी
तेरी यादें समीर के झौंके
सूरत तेरी सुमन सी
तू क्या है मेरे लिए
शब्दों में कैसे लिखूं
सारी कायनात हो जैसे
इसे शब्दों में कैसे भरूं?
एक रोज़,
जब टूट गई थी मेरी कोल्हापुरी

तब उतार दी थी तुमने भी अपनी चप्पल
और उड़ने लगी थीं मेरे साथ हरी दूब पर

उस रोज़ आख़िरी बार घास इतनी अधिक सब्ज़ हुई थी
और तुम इतनी अधिक गुलाबी

उस रोज़ आख़िरी बार दिल्ली में इंद्रधनुष अपनी पूरी रंगत में निकला था
और आख़िरी बार मैंने बादलों पर घोड़े दौड़ाए थे

तुम्हारी यादों की नदी में,
मैं रोज़

डूबता हूँ
और रोज़ तलाशता हूँ किनारा

मेरे चश्मे का फ़्रेम अब कुछ बड़ा हो गया है
लेकिन तुम्हारी उँगलियाँ इतनी दूर

कि मेरी दूर की नज़र को भी वे नज़र नहीं आतीं
कोल्हापुरी अब टूटती नहीं है

और धुँध के साथ चलना सीख लिया है मैंने
बस्स! हाथ ठंडे रहते हैं

और बायाँ कांधा…
बायाँ कांधा बहुत दुखता है सर्दियों में।

Tags:
Harendra Singh
सात सो के बाद , देखो आठ सौ के ठाट!!!
Posts: 897
Joined: Tue Nov 19, 2024 5:59 pm

Re: प्रेमियों के लिए कविता

Post by Harendra Singh »

Sonal singh wrote: Sun Dec 08, 2024 6:27 pm अब के सावन में ये शरारत मेरे साथ हुई...
अब के सावन में ये शरारत मेरे साथ हुई,
मेरा घर छोड़ के कुल शहर में बरसात हुई
आप मत पूछिए क्या हम पे सफ़र में गुजरी?
था लुटेरों का जहाँ गाँव वहीं रात हुई
ज़िंदगी-भर तो हुई गुफ़्तगू गैरों से मगर,
आज तक हमसे न हमारी मुलाक़ात हुई❤️
प्रेमिकाएँ तकलीफ़देह थीं। जब-जब उन्हें मजबूरन छोड़कर जाना पड़ा, तब-तब वे सिर्फ़ मजबूर लगीं। जब-जब उन्होंने आँखों के सामने ही दूसरा पुरुष चुन लिया, तब-तब वे सिर्फ़ नीच लगीं। और जब-जब हमेशा के लिए साथ रह गईं तो सिर्फ़ प्रेमिका नहीं रह गईं। पीड़ा और रिक्तता हर हाल में मिली। इस ‘सिर्फ़’ सोच के चलते किसी प्रेमिका को मज़बूत मानकर मुनादी पीटना क़ायदे से मुश्किल है।
Harendra Singh
सात सो के बाद , देखो आठ सौ के ठाट!!!
Posts: 897
Joined: Tue Nov 19, 2024 5:59 pm

Re: प्रेमियों के लिए कविता

Post by Harendra Singh »

तुम्हें औषध मिले, पीर न मिले
दृष्टि मिले, दृश्य न मिले

नींदें मिलें, स्वप्न न मिले
गीत मिलें, धुन न मिले

नाव मिले, नदी न मिले
प्रिय!

तुम पर प्रेम के हज़ार कोड़े बरसें
तुम्हारी पीठ पर एक नीला निशान तक न मिले
Anurag Srivastava
ब्रह्मचर्य से गृहस्थ की ओर की तैयारी...!!
Posts: 47
Joined: Mon Dec 09, 2024 11:40 am

Re: प्रेमियों के लिए कविता

Post by Anurag Srivastava »

रात के दरिया का किनारा भी कभी आएगा
वक्त का क्या है हमारा भी कभी आएगा
मेरे हिस्से में आया था अच्छा कोई दिन
पूछना था दोबारा कभी आएगा
Anurag Srivastava
ब्रह्मचर्य से गृहस्थ की ओर की तैयारी...!!
Posts: 47
Joined: Mon Dec 09, 2024 11:40 am

Re: प्रेमियों के लिए कविता

Post by Anurag Srivastava »

हम वह नहीं जो तुझे गम में छोड़ देंगे
हम वह नहीं जो तुझसे रिश्ता तोड़ देंगे
हम तो तेरे वह हैं जो तेरी सांसे बंद होने पर
तेरी सांसों को अपनी सांसों से जोड़ देंगे
Anurag Srivastava
ब्रह्मचर्य से गृहस्थ की ओर की तैयारी...!!
Posts: 47
Joined: Mon Dec 09, 2024 11:40 am

Re: प्रेमियों के लिए कविता

Post by Anurag Srivastava »

मैं और तुम तुम और मैं ढेर सी बातें
कल्पना से लेकर कॉलेज तक
बारिश से लेकर इंद्रधनुष तक
रहते हैं साथ-साथ करते हैं कुछ बात
मन ही मन में कह दिया था हमने आंखों से
शायद तुम्हें है याद मेरी वह शामें तन्हाई
जब याद तुम् आई पहली बार था शायद तो पहला प्यार था
Anurag Srivastava
ब्रह्मचर्य से गृहस्थ की ओर की तैयारी...!!
Posts: 47
Joined: Mon Dec 09, 2024 11:40 am

Re: प्रेमियों के लिए कविता

Post by Anurag Srivastava »

जाने क्या वास्ता है तुमसे
हजारों अपने है मगर सिर्फ तुम ही याद रह जाते हो
हां तुमसे मिलकर महसूस किया मैंने
पसंदीदा सख्श के साथ इंसान दर्द और वक्त अक्सर भूल जाता है🏵️💕
Anurag Srivastava
ब्रह्मचर्य से गृहस्थ की ओर की तैयारी...!!
Posts: 47
Joined: Mon Dec 09, 2024 11:40 am

Re: प्रेमियों के लिए कविता

Post by Anurag Srivastava »

मुझे हमारा रिश्ता समझ नहीं आ रहा है हम है क्या आखिर ये साफ नजर नहीं
आता 🏵️💕
कभी लगता है जैसे दोस्त हूं कभी दोस्ती से बढ़कर
कभी लगता है कुछ है बीच हमारे कभी बिल्कुल परे
कभी तुम ऐसे बात करती हो जैसे स्पेशल हूं मै
कभी इतना इग्नोर करती हो जैसे कुछ हु ही नहीं मैं
कभी लगता है तुम इंटरेस्टेड हो मेरी बात से
कभी लगता है बस फॉर्मेलिटी ही चल रही है तुम्हारी तरफ से
कभी लगता है तुम्हारा भी ध्यान है मेरी और
कभी लगता है तुम्हे मुझसे केवल मतलब ही है
कभी लगता है तुम्हे सच में फिक्र है मेरी
कभी दिल की बाते लगती है कभी बेमन से ज्यादा
ये कैसा रिश्ता है न तो अजनबी है
और ना ही उससे ज्यादा💗💝🏵️
Anurag Srivastava
ब्रह्मचर्य से गृहस्थ की ओर की तैयारी...!!
Posts: 47
Joined: Mon Dec 09, 2024 11:40 am

Re: प्रेमियों के लिए कविता

Post by Anurag Srivastava »

पता है जो हर वक्त आपसे आपका वक्त मांगते हैं ना लड़ते हैं आपसे आपके टाइम के लिए और आप उन्हें टाइम नहीं दे पाते
एक दिन वह खामोश हो जाएंगे पता है एक दिन वह आपका वक्त मांगना छोड़ देंगे
और तब आपको एहसास होगा कि आपने क्या छोड़ दिया और पता है
उसके बाद आप कुछ भी सुधार नहीं पाएंगे क्योंकि होगा क्या ना तो आपसे जो वक्त मांग रहा है उसके अंदर सब कुछ खत्म हो चुका होगा उसके अंदर आपके प्रति ना वह संवेदनाएं न भावनाएं , सहनशीलता ना वह प्यार ना वह अपना व्यवहार इसलिए चीजों को ना वक्त सुधारो लोगों को वक्त रहते समझो क्योंकि वक्त निकल गया सब चला गया🙏🏵️
Sarita
अबकी बार, 500 पार?
Posts: 478
Joined: Tue Dec 03, 2024 11:32 am

Re: प्रेमियों के लिए कविता

Post by Sarita »

मुझे तुम्हारी सास की जरूरत है मुझे जीने की यह जरूरत है मुझे तुम्हारे प्यार की जरूरत है...
Post Reply

Return to “शेर और शायरी”