बरसात के दिन

महफिल यहां जमाएं....
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बरसात के दिन

Post by LinkBlogs »

बूँदें गिरती, संगीत सुनाती,
धरती चूमती, खुशबू फैलाती।
काले बादल आसमान में छाए,
हरियाली में जीवन फिर से आए।

गिलहरी चहचहाती, पेड़ झूमते,
नदियाँ बहतीं, नई राह चुनते।
छाते खोले, लोग निकल पड़े,
बरसात की खुशियों में सब रंगड़े।

चाय की चुस्की, पकोड़ों का स्वाद,
दिल में उमंगें, मन में है राग।
भिगोने आए, बादलों के ये साए,
बरसात के दिन, सबको भाए।

चुनचुन करते, बच्चे खेलते,
कागज़ की नावें, पानी में तैरते।
खुशियाँ हैं बसी, इन बरसातों में,
जिंदगी का रंग है, इन सावन के मौसम में।

बरसात के ये दिन, दिल को भाए,
हर बूँद में छिपे, प्यार के साए।
खुशियों का संसार, बूँदों की बारिश,
साथ मिलकर मनाएं, ये प्यारी बरसात।

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manish.bryan
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Re: बरसात के दिन

Post by manish.bryan »

बरसात के दोनों पर लिखा गया पोस्ट काफी रुचिकर है और जिस तरह से अपने देखें सैलरी में लेखक ने प्रकृति का वर्णन किया है उसे देखकर समझ में आता है कि नहीं प्रकृति से बहुत प्यार है।

बरसात पर ऐसे तो मैं बहुत सारे देख पड़े हैं लेकिन आपका पोस्ट के माध्यम से पहुंचाई जा रही है कृत काफी अच्छी लग रही है और इसे इस फार्म पर हमारे बीच साझा करने के लिए आपको किधर से आभार व्यक्त करता हूं।
"जो भरा नहीं है भावों से, जिसमें बहती रसधार नहीं, वह हृदय नहीं पत्थर है, जिसमें स्वदेश का प्यार नहीं"
Bhaskar.Rajni
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Re: बरसात के दिन

Post by Bhaskar.Rajni »

बरसात के दिन
रिमझिम गिरती बूंदे,
बादलों से ढका आसमां
और उन बादलों से झरती बूंदे
कैसी निखार आती है कुदरत
मनमोहन हो जाता है हर पल
अब अच्छी लगने लगी है बरसातें
जब से होने लगी है तुझसे बातें
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