Missing those fun...

मौज, मस्ती, चिल मारो (मर्यादित)
manish.bryan
यारा एक हजारा , देख मैं आरा!!!
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Re: Missing those fun...

Post by manish.bryan »

Sonal singh wrote: Tue Nov 19, 2024 5:02 pm
manish.bryan wrote: Fri Nov 15, 2024 1:13 pm
Bhaskar.Rajni wrote: Fri Nov 15, 2024 8:58 am हम लोग तो स्कूल के अंतराल में अंताक्षरी खेल करते थे बड़ा ही मजा आता था एक टीम उधर एक टीम इधर कर रौनक लगती थी उस समय रेडियो भी बड़े प्रचलित है तो सारा दिन रेडियो चलता रहता था गाने दिमाग में रहते ही थे और ऐसा कौन था हमें जो अंताक्षरी में हरा दे 😅
मैं भी अपने घर पर छोटी बहन के साथ अंताक्षरी का खेल खिला करता था और विद्या मंदिर के समय अपने दोस्तों के साथ क्रॉस और जीरो वाला गेम जिसे आधुनिक समाज में टिकटोक टो तो नाम से जाना जाता है खेलता था।

जब मैं बहुत छोटा था तो समय में कुश्ती का खेल खेड़ा करता था अपने सभी दोस्तों को लगभग हर दिया करता था सिर्फ एक संजय को नहीं हर पता था साथ में एक नीतू नाम की लड़की थी वह मुझे उठाकर पटक दिया करती थी क्योंकि पति लेकिन बहुत ताकत से भरपूर थी व्हाट भी दिखती है तो मुझे पटकनी खाने खुद को पढ़ी जाती है।
Bhaskar.Rajni wrote: Sat Nov 16, 2024 11:06 pm
manish.bryan wrote: Sat Nov 16, 2024 5:51 pm

आरंभ है प्रचंड है।
आप मुझे अंताक्षरी में नहीं जीत पाएंगे हां किसी दिन मोबाइल पर खेल भी लेते हैं कुछ शर्तों के साथ और कुछ बड़े प्राइस मनी के साथ क्योंकि बाद प्राइस जितना मुझे ही तो बेहतर कर लेता हूं मुझे क्या जीत में चाहिए तो यह निश्चित रूप से अंताक्षरी आपके साथ खेलना बहुत अच्छा होगा।

और वाकई बचपन के दोनों को याद करके काफी अच्छा महसूस होता है और उन पलों को इसमें खास तौर से हमने शब्द बिना किसी भाव के अपने मित्रों दोस्तों भाई बहनों के साथ एक साथ बैठकर किसी भी कार्य को किया तो बाकी अच्छा भी बहुत लगता है वह।
चलिए! अंताक्षरी में यह शर्त रखते हैं कि जो जीतेगा वह दूसरे को मंगल ग्रह पर लेकर जाएगा उसकी टिकट वगैरा कटवा देगा और साथ में जो खाने-पीने का सामान चाहिए वह सब उसे पैक करके देगा और जो उसे कपड़े वगैरह चाहिए वह सब दिलवाएगा। पानी की बोतल वगैरा और हां वहां पर जाकर अगर इंटरनेट नहीं चला तो उसे अपना हॉटस्पॉट भी देना होगा, फ्री टाइम में यूट्यूब /नेटफ्लिक्स पर कोई मूवी ही देख लेंगे वहां।
हमें तो आज भी थोड़ा सा अंतराल मिले तो लूडो खेल लेते हैं। बचपन की तो बात ही अलग थी। स्कूल टाइम्स के गेम्स अब तो ना किसी के पास समय है और ना उत्साह सब इंटरनेट की दुनिया में बिजी हैं। पर लूडो सबसे मनोरंजन वाला गेम है। जब किसी की गोटी मरती है बड़ा मजा आता है। परिवार के साथ मिलकर खेलने का मजा ही कुछ और है आप तो इंटरनेट का जमाना है किसी भी कोने से कोई भी खेल सकता है ऑनलाइन गेम अब पहले जैसी बात कहां। पहले तो कितने गेम होते थे।
अच्छा लगा जानकर कि आप बचपन में लूडो खेलती थी और शायद अभी भी तीन खिलाड़ियों की सर गर्मी से तलाश में लगी हैं आप।
लेकिन इंटरनेट भारत में बहुत पहले आ गया था मुझे स्वयं का जहां तक याद है मैंने पहली बार इंटरनेट सन 2000 में प्रयोग किया था और अपनी पहली ईमेल आईडी भी बनाई थी और अभी 24 साल बाद दुनिया में इंटरनेट एक प्रबल माध्यम के तौर पर उभरा हुआ है और गेम आदि में भी आपको शायद ना पता हो की ऑनलाइन गेमिंग में इतने डॉलर का इन्वेस्टमेंट और रिटर्न है जितने भारतीय रुपए में नहीं होते हैं।
#अतिशयोक्ति अलंकार
"जो भरा नहीं है भावों से, जिसमें बहती रसधार नहीं, वह हृदय नहीं पत्थर है, जिसमें स्वदेश का प्यार नहीं"

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