Bhaskar.Rajni wrote: Fri Nov 22, 2024 9:59 pm
बढ़ी अजीबो गरीब दुनिया है। मेले में मिलने वाला ₹10 का शीशा उन्होंने अपनी स्कूटर पर लगा लिया पीछे के नजारे को देखने के लिए। वाह क्या कहने...
लेकिन शायद इन भाई साहब को पता नहीं है कि वह एक विशेष किस्म का शीशा होता है जो कि दूर की चीजों को अधिक पास करके दिखाता है ताकि दुर्घटना होने से बचा जा सके लेकिन यहां तो माजरा ही कुछ और है...
ऐसा लगता है जैसे इन्होने अपनी ही शक्ल देखने के लिए शिक्षा सामने लगा लिया हो कि जरा से बोल खराब हो ,बिखरे, तो शीशे में देखकर ठीक कर ले स्कूटर पर लगने वाले शीशे पर शक्ल सुंदर नहीं दिखती शायद इसीलिए इन्होंने यह शीशा लगा लिया होगा।
तू टेंशन मत ले,
हम कुछ जुगाड़ करते है,
जीवन में ऐसे दोस्त भी
होने जरूरी है.
johny888 wrote: Tue Oct 15, 2024 3:24 pm
The best one is here
भारत में जुगाड़ की तकनीकी किया शानदार नमूना है जहां 20-30 रुपए में मेले से खरीदे हुए मिरर को हेडलाइट बनाने का एक दुर्लभ प्रयास इस मानव ने किया है और यह अगर वास्तव रूप से इसका प्रयोग करते हैं तो यह जहां भी जाते होंगे लोगों के लिए सर गर्मी का विषय बन जाते होंगे और सबको हंसाने का इन्होंने एक तरह से ठेका ले रखा होगा।
सोशल मीडिया पर ऐसे बहुत तरह के फोटो वायरल होते रहते हैं लेकिन यह उचित तौर पर प्रयोग में लाया जा सकने वाला उदाहरण है जिससे गरीबों के दिनों में प्रयोग किया जा सकता है।
भारतीय जुगाड़ करने में तो माहिर ही है यह तस्वीर इसका सटीक उदाहरण है। सोशल मीडिया पर इस तरह के वीडियो वायरल होते ही रहते हैं जो हंसने का एक अच्छा माध्यम बन जाते हैं लोग तक में ही रहते हैं कि कहीं कुछ ऐसा मिले और हम फोटो खींचकर सोशल मीडिया पर डालें और वीडियो वायरल हो इस फोटो में भी ऐसा ही कुछ लग रहा है।
जिसको मिल गया है सबकुछ
रंजिश भी वही करें,
वरना गरीब तो इस जुगाड़ में है
कि पेट कैसे भरे.