आजकल के बच्चों का कोई ठिकाना नहीं है और ऐसा इस फार्म पर यानी किसी सोशल मीडिया चैनल पर ऐसे लीव लेटर दिखने आम हो गए हैं क्योंकि ऐसा किया भी जा रहे हैं क्योंकि बच्चे उदंड हो गए हैं और शिक्षकों पर शिक्षा विभाग और सरकार ने काफी नियामक तय कर दी है तो शिक्षक भी किसी बच्चे से कुछ भी कहने से पहले 10 बार सोचता है।
यह पोस्ट काफी हास्यप्रद है और प्रथम दृष्टि यह काफी रुचिकर भी लग रहा है।
"जो भरा नहीं है भावों से, जिसमें बहती रसधार नहीं, वह हृदय नहीं पत्थर है, जिसमें स्वदेश का प्यार नहीं"
manish.bryan wrote: Fri Oct 18, 2024 10:09 pm
आजकल के बच्चों का कोई ठिकाना नहीं है और ऐसा इस फार्म पर यानी किसी सोशल मीडिया चैनल पर ऐसे लीव लेटर दिखने आम हो गए हैं क्योंकि ऐसा किया भी जा रहे हैं क्योंकि बच्चे उदंड हो गए हैं और शिक्षकों पर शिक्षा विभाग और सरकार ने काफी नियामक तय कर दी है तो शिक्षक भी किसी बच्चे से कुछ भी कहने से पहले 10 बार सोचता है।
यह पोस्ट काफी हास्यप्रद है और प्रथम दृष्टि यह काफी रुचिकर भी लग रहा है।
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बिल्कुल सही कहा आपने पुराने जमाने में मां-बाप जाकर टीचर से कह देते थे कि इसको मारो पीटो बस कैसे भी करो इसे पढ़ा दो लेकिन आजकल के बच्चे टीचर को कुछ समझते ही नहीं मां-बाप भी टीचर से लड़ने चले जाते हैं कि आपने मेरे बच्चे को हाथ कैसे लगाया। हीरे को तरसते के लिए बहुत कुछ ठोक पीट करनी पड़ती है तब वह हीरा बनता है।
आजकल के युग में शिक्षक की हालत बहुत बुरी हो गई है जहां पुरातन काल में शिक्षक को सबसे ऊंचा दर्जा दिया जाता था वहीं आज उसकी हालत दयनीय है एक तो प्राइवेट स्कूलों में वहां बहुत कम वेतन पर नौकरी करने को मजबूर है दूसरी तरफ उसके ऊपर बच्चों की पढ़ाई का दबाव, मां-बाप का दबाव ,प्रिंसिपल का दबाव इस पर बच्चे यदि कोई शरारत करें तो वह उसे कुछ कह भी नहीं सकता। तुरंत उसके खिलाफ शिकायत हो जाती है कई बार तो बच्चे टीचर को धमकियां तक दे देते हैं कि स्कूल के बाहर मिलना ऐसे में वह बच्चों को कैसे ईमानदारी के साथ पढ़ा सकता है???