Unforgettable Childhood

मौज, मस्ती, चिल मारो (मर्यादित)
Stayalive
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Unforgettable Childhood

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johny888
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Re: Unforgettable Childhood

Post by johny888 »

सही बात है पहले के दिनों में सही हमारी लिए एमोजिस का रोले निभाते थे अब तो डिजिटल वर्ल्ड ने हर जगह अपने पैर पसार दिए है। अब तो हम अपने दोस्तों से ठीक से मिल भी नहीं पाते, व्हाट्सप्प या किसी और सोशल मीडिया के माध्यम से मिलना हो जाता है और बड़े त्यौहार पर भी नहीं हो पता मिलना। डेरी मिल्क के एक ऐड में इसी को बताया था कहते है टेक्नोलॉजी इतनी भी तरक्की नहीं की है की गले मिल कर बधाई या शुबकामनाएं देने में सक्षम हो गयी हो।
Bhaskar.Rajni
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Re: Unforgettable Childhood

Post by Bhaskar.Rajni »

बचपन के दिन तो बड़े याद आते हैं यह मेरे पास भी थे स्टैंसिल्स इन का प्रयोग करके तरह-तरह के चित्र बनाते जब प्रोजेक्ट मिला करते थे तब इन्हें किया करते थे। यही हमारे इमोजी थे। पुराना जमाना बड़ा ही अच्छा था सादगी से भरा हुआ एक दूसरे के स्टैंसिल्स लेकर काम चला लेते थे एक दूसरे से रंग मांग कर भर लेते थे साथ बैठकर काम करते थे बातें भी होती रहती हैं और काम भी होता रहता जब किसी दोस्त के घर में बैठ जाते तो खाना भी सब वही, और जब दोस्त हमारे यहां आता तो उसका भी खाना वही आजकल तो मिलने का माध्यम बस मोबाइल ही रह गया है। दूरियां बढ़ गई है।
Kunwar ripudaman
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Re: Unforgettable Childhood

Post by Kunwar ripudaman »

johny888 wrote: Thu Oct 24, 2024 12:41 pm सही बात है पहले के दिनों में सही हमारी लिए एमोजिस का रोले निभाते थे अब तो डिजिटल वर्ल्ड ने हर जगह अपने पैर पसार दिए है। अब तो हम अपने दोस्तों से ठीक से मिल भी नहीं पाते, व्हाट्सप्प या किसी और सोशल मीडिया के माध्यम से मिलना हो जाता है और बड़े त्यौहार पर भी नहीं हो पता मिलना। डेरी मिल्क के एक ऐड में इसी को बताया था कहते है टेक्नोलॉजी इतनी भी तरक्की नहीं की है की गले मिल कर बधाई या शुबकामनाएं देने में सक्षम हो गयी हो।
याद आता है वो पुराना वक्त, तो उस याद में खो जाता हूँ ! कहाँ गयी वो बचपन की अठखेलियाँ, कहाँ गया वो अपनों का प्यार ! कहाँ गयी वो थोड़े की खुशियां, कहाँ गया वो मेरा प्यारा संसार
Kunwar ripudaman
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Re: Unforgettable Childhood

Post by Kunwar ripudaman »

वो चाचा का प्यार, वो मामा का दुलार, और वो कम रोटियों में भी संतुष्ट-संपन्न परिवार !
वो रविवार शाम चार बजे की दूरदर्शन की पिक्चर, वो ब्लैक & व्हाइट टीवी पे इस्तेहार !
वो मामी के घर नास्ता, वो चाची का डिनर, उस प्यार में बहुत सुकून पाता हूँ !
याद आता है वो पुराना वक्त, तो उस याद में खो जाता हूँ !
Bhaskar.Rajni
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Re: Unforgettable Childhood

Post by Bhaskar.Rajni »

Kunwar ripudaman wrote: Fri Dec 06, 2024 4:08 pm वो चाचा का प्यार, वो मामा का दुलार, और वो कम रोटियों में भी संतुष्ट-संपन्न परिवार !
वो रविवार शाम चार बजे की दूरदर्शन की पिक्चर, वो ब्लैक & व्हाइट टीवी पे इस्तेहार !
वो मामी के घर नास्ता, वो चाची का डिनर, उस प्यार में बहुत सुकून पाता हूँ !
याद आता है वो पुराना वक्त, तो उस याद में खो जाता हूँ !
बचपन में तो हर कोई स्पाइडरमैन होता है। घर में दरवाजों पर लटकना, खिड़कियों पर चढ़ना, ये तो खेल हुआ करता था।रंग बिरंगी कैंडी के सामने अच्छी-अच्छी मिठाई फेल हो जाती है। ये जितनी खूबसूरत दिखने में लगती थी, उससे ज्यादा मजा खाने में आता था।उन दिनों में स्कूल ध्वस्त होता ही दिखाई देता था। उन दिनों 'सबसे बड़ा दुश्मन' भी तो यही होता था।
Bhaskar.Rajni
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Re: Unforgettable Childhood

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Kunwar ripudaman wrote: Fri Dec 06, 2024 4:08 pm
johny888 wrote: Thu Oct 24, 2024 12:41 pm सही बात है पहले के दिनों में सही हमारी लिए एमोजिस का रोले निभाते थे अब तो डिजिटल वर्ल्ड ने हर जगह अपने पैर पसार दिए है। अब तो हम अपने दोस्तों से ठीक से मिल भी नहीं पाते, व्हाट्सप्प या किसी और सोशल मीडिया के माध्यम से मिलना हो जाता है और बड़े त्यौहार पर भी नहीं हो पता मिलना। डेरी मिल्क के एक ऐड में इसी को बताया था कहते है टेक्नोलॉजी इतनी भी तरक्की नहीं की है की गले मिल कर बधाई या शुबकामनाएं देने में सक्षम हो गयी हो।
याद आता है वो पुराना वक्त, तो उस याद में खो जाता हूँ ! कहाँ गयी वो बचपन की अठखेलियाँ, कहाँ गया वो अपनों का प्यार ! कहाँ गयी वो थोड़े की खुशियां, कहाँ गया वो मेरा प्यारा संसार
मेरा बचपन गांव में ही बीता है इसलिए मुझे बचपन की और भी ज्यादा याद आती है बचपन में हम भैंस के ऊपर बैठकर खेत चले जाते थे तो बकरी के बच्चों के पीछे दौड़ लगाते थे. बचपन में सावन का महीना आने पर हम पेड़ पर झूला डाल कर झूला झूलते थे और ठंडी ठंडी हवा का आनंद लेते थे.
Kunwar ripudaman
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Re: Unforgettable Childhood

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Bhaskar.Rajni wrote: Fri Dec 06, 2024 5:18 pm
Kunwar ripudaman wrote: Fri Dec 06, 2024 4:08 pm
johny888 wrote: Thu Oct 24, 2024 12:41 pm सही बात है पहले के दिनों में सही हमारी लिए एमोजिस का रोले निभाते थे अब तो डिजिटल वर्ल्ड ने हर जगह अपने पैर पसार दिए है। अब तो हम अपने दोस्तों से ठीक से मिल भी नहीं पाते, व्हाट्सप्प या किसी और सोशल मीडिया के माध्यम से मिलना हो जाता है और बड़े त्यौहार पर भी नहीं हो पता मिलना। डेरी मिल्क के एक ऐड में इसी को बताया था कहते है टेक्नोलॉजी इतनी भी तरक्की नहीं की है की गले मिल कर बधाई या शुबकामनाएं देने में सक्षम हो गयी हो।
याद आता है वो पुराना वक्त, तो उस याद में खो जाता हूँ ! कहाँ गयी वो बचपन की अठखेलियाँ, कहाँ गया वो अपनों का प्यार ! कहाँ गयी वो थोड़े की खुशियां, कहाँ गया वो मेरा प्यारा संसार
मेरा बचपन गांव में ही बीता है इसलिए मुझे बचपन की और भी ज्यादा याद आती है बचपन में हम भैंस के ऊपर बैठकर खेत चले जाते थे तो बकरी के बच्चों के पीछे दौड़ लगाते थे. बचपन में सावन का महीना आने पर हम पेड़ पर झूला डाल कर झूला झूलते थे और ठंडी ठंडी हवा का आनंद लेते थे.
मैं उस समय किंडरगार्टन में था। शायद यूकेजी में। यह छुट्टियों का मौसम था, इसलिए मैं और मेरी माँ अपनी नानी के घर गए हुए थे। एक दिन, हमारा पूरा परिवार दोपहर के भोजन के लिए इकट्ठा हुआ। दोपहर के भोजन के बाद, बड़े-बुज़ुर्ग गंभीर गपशप में लगे हुए थे। मैं अपने चचेरे भाइयों में सबसे छोटा हूँ, बाकी सभी अपनी किशोरावस्था में थे। इसलिए वे GTA खेलने में व्यस्त थे। ओमा थानर (ओम जल/अजवाइन जल) के रूप में जाना जाने वाला एक पेय है। लोग आमतौर पर इसे पाचन के लिए पीते हैं। लेकिन मैं इसे जूस की तरह पीता हूँ (एक औसत तमिल बच्चे का जुनून😁)। मैं आमतौर पर सिर्फ़ 3-4 दिनों में एक पूरी 1 लीटर की बोतल खाली कर देता हूँ। मेरी माँ मुझे ऐसा करने के लिए बुरी तरह डाँटती है।
Kunwar ripudaman
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Re: Unforgettable Childhood

Post by Kunwar ripudaman »

प्लेस्कूल में मेरा पहला दिन ठीक-ठाक रहा और मैं अपने दोस्तों के साथ खूब मस्ती कर रही थी। मेरे शिक्षक बहुत दयालु और सौम्य थे। रितिका मैडम ने मुझसे कुछ सवाल पूछे, जिनका मैंने सही जवाब दिया। फिर कुछ सवाल-जवाब सत्रों के बाद, मेरे शिक्षकों ने हमें सीखने के साथ-साथ बहुत सारे खेल भी खिलाए। खेल खेलना प्लेस्कूल का सबसे अच्छा हिस्सा था। मैंने पूरा दिन खेला और साथ ही साथ नई चीजें भी सीखीं। मैंने नए दोस्त बनाए और हम सभी ने खूब मस्ती की।
Sarita
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Re: Unforgettable Childhood

Post by Sarita »

बचपन की यादें भी अनुभव है जो इतने सुखद सुंदर या असामान्य होते हैं कि उन्हें लंबे समय तक याद रखा जाता है अविस्मरणीय बचपन की यादों के कुछ उदाहरण में शामिल हैं भाई बहनों या दोस्तों के साथ क्रिकेट या फुटबॉल जैसे खेल खेलना यादगार यादें बन सकता है छत पर परिवार के साथ पतंग उड़ाना एक रोमांचक दिनभर की गतिविधि हो सकती है
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