Source: https://hindi.gadgets360.com/telecom/re ... ws-6988690बिलिनेयर Mukesh Ambani की Reliance Industries ने टेलीकॉम रेगुलेटर से सैटेलाइट स्पेक्ट्रम को लेकर अपनी योजना पर दोबारा विचार करने के लिए कहा है। टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (TRAI) ने सैटेलाइट स्पेक्ट्रम का ऑक्शन नहीं, बल्कि इसे एलोकेट करने की योजना बनाई है।
पिछले महीने टेलीकॉम मिनिस्टर Jyotiraditya Scindia ने बताया था कि केंद्र सरकार वैश्विक चलनों के अनुसार, इस स्पेक्ट्रम को एलोकेट करेगी। हालांकि, इसके साथ ही उनका कहना था कि इस बारे में अंतिम नोटिफिकेशन TRAI से फीडबैक मिलने के बाद जारी किया जाएगा। दुनिया के सबसे रईस शख्स Elon Musk की स्टारलिंक ने देश में अपनी इंटरनेट सर्विस शुरू करने में दिलचस्पी दिखाई है। इससे पहले कंपनी ने अफ्रीका में अपनी सर्विस का सफल लॉन्च किया था।
रिलायंस के सीनियर पॉलिसी एग्जिक्यूटिव, Ravi Gandhi ने एक चर्चा में TRAI से इस फैसले पर दोबारा विचार करने का निवेदन किया था। उनका कहना था कि स्पेक्ट्रम को प्रशासनिक तौर पर एलोकेट करना किसी सरकारी रिसोर्स के डिस्ट्रीब्यूशन का 'सबसे पक्षपात पूर्ण तरीका' है। इसके विपरीत स्टारलिंक के देश में एग्जिक्यूटिव, Parnil Urdhwareshe ने कहा कि स्पेक्ट्रम के एलोकेशन की यह योजना 'आगे की ओर देखने वाली' है। इस बारे में TRAI के सुझाव आगामी सप्ताहों में सामने आएंगे। सैटेलाइट स्पेक्ट्रम के डिस्ट्रीब्यूशन के तरीके को तय करने में ये सुझाव महत्वपूर्ण होंगे। मुकेश अंबानी की Reliance Jio बड़ी टेलीकॉम कंपनियों में शामिल है। एनालिस्ट्स का मानना है कि इस स्पेक्ट्रम के लिए ऑक्शन होने पर अधिक इनवेस्टमेंट करना पड़ सकता है। इससे विदेशी कंपनियों की इसमें दिलचस्पी घट सकती है।
सैटेलाइट इंटरनेट सर्विसेज शुरू करने के लिए टेलीकॉम कंपनियों को सिक्योरिटी क्लीयरेंस लेने के साथ ही कई मिनिस्ट्रीज से अप्रूवल लेने होते हैं। पिछले वर्ष रिलायंस जियो ने बताया था कि उसने दूरदराज के चार क्षेत्रों को अपनी JioSpaceFiber सर्विस से कनेक्ट किया है। ये क्षेत्र गुजरात में गिर, छत्तीसगढ़ में कोरबा, ओडिशा में नबरंगपुर और असम में जोरहाट, ONGC हैं। विदेशी इंटरनेट सर्विस कंपनियों ने इस स्पेक्ट्रम के लिए लाइसेंस देने की डिमांड की थी। इन कंपनियों का मानना है कि अगर भारत में इसके लिए नीलामी होती है तो अन्य देशों में भी इस प्रोसेस को लागू किया जा सकता है। इससे इन कंपनियों को कॉस्ट में बढ़ोतरी का सामना करना पड़ सकता है।
रिलायंस और Elon Musk की स्टारलिंक में टकराव, सैटेलाइट स्पेक्ट्रम ऑक्शन का है मुद्दा
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रिलायंस और Elon Musk की स्टारलिंक में टकराव, सैटेलाइट स्पेक्ट्रम ऑक्शन का है मुद्दा
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Re: रिलायंस और Elon Musk की स्टारलिंक में टकराव, सैटेलाइट स्पेक्ट्रम ऑक्शन का है मुद्दा
असल में दोनों कंपनियां स्पेक्ट्रम के लिए अलग-अलग कीमतें देने को तैयार हैं और दोनों ही कंपनियां स्पेक्ट्रम का उपयोग अलग-अलग तरीके से करना चाहती हैं। दूसरी और आम लोगो के लिए सोचे तो इस प्रतिस्पर्धा से उपभोक्ताओं को सस्ती और बेहतर इंटरनेट सेवाएं मिल सकती हैं।
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Re: रिलायंस और Elon Musk की स्टारलिंक में टकराव, सैटेलाइट स्पेक्ट्रम ऑक्शन का है मुद्दा
अंबानी की रिलायंस ने मस्क की स्टारलिंक के साथ नए टकराव में भारत के उपग्रह स्पेक्ट्रम नीलामी के लिए पैरवी की रिलायंस ने भारत के दूरसंचार नियामक से भारती को सैटेलाइट स्पेक्ट्रम का प्रशासनिक आवंटन करने के अपने फैसले पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया, तथा इसके बजाय नीलामी आधारित दृष्टिकोण अपनाने की वकालत
की लोगों का यह मानना है जब दो कंपनियां आएंगी तो आपसी प्रतिस्पर्धा में जनता को अवश्य लाभ होगा
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Re: रिलायंस और Elon Musk की स्टारलिंक में टकराव, सैटेलाइट स्पेक्ट्रम ऑक्शन का है मुद्दा
आपका कहना सही है और दोनों ही बड़ी कंपनियां है और अलग-अलग कीमत देने को तैयार भी हैं और यकीनन प्रतिस्पर्धा में कीमत सस्ती होगी और उपभोक्ताओं को लाभ अवश्य होगा हमें बेहतर इंटरनेट सेवाएं मिलेंगी और कार्य भी सुचारू रूप से हो सकेगा अब तक हम इंटरनेट की खामिओ की वजह से कई बार बैंक की लाइनों में घंटे खड़े रहते हैंjohny888 wrote: Mon Nov 11, 2024 12:01 pm असल में दोनों कंपनियां स्पेक्ट्रम के लिए अलग-अलग कीमतें देने को तैयार हैं और दोनों ही कंपनियां स्पेक्ट्रम का उपयोग अलग-अलग तरीके से करना चाहती हैं। दूसरी और आम लोगो के लिए सोचे तो इस प्रतिस्पर्धा से उपभोक्ताओं को सस्ती और बेहतर इंटरनेट सेवाएं मिल सकती हैं।