Source: https://hindi.news18.com/news/nation/in ... 87718.htmlनई दिल्ली: भारत ने एक बार फिर से पूरी दुनिया को ‘मेड इन इंडिया’ ताकत दिखा दिया है. डिफेंस सेक्टर में भारत ने आत्मनिर्भरता का परचम लहराया है. अब तो भारत में बने रक्षा उपकरण (मिसाइलों) का निर्यात भी बड़े स्तर पर हो रहा है. इसी क्रम में भारत ने ‘मेड इन इंडिया’ ब्रह्मोस मिसाइल की निर्यात की डील पक्की कर ली है. भारत इंडोनेशिया के साथ लगभग 3800 करोड़ रुपये यानी की 450 मिलियन डॉलर की ब्रह्मोस मिसाइल बेचने की डील पक्की की है. इस डील को भारत की रक्षा क्षेत्र में बढ़ते अत्मनिर्भरता के रूप में देख जा सकता है. इससे पहले भारत ने फिलीपींस को ब्रह्मोस मिसाइल बेचा था. आपको बता दे कि भारत के गणतंत्र दिवस इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांटो विशिष्ट अतिथि थे. उनकी साथ भारत पहुंची उच्च-स्तरीय प्रतिनिधिमंडल ने रविवार को ब्रह्मोस एयरोस्पेस मुख्यालय का दौरा किया. सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल की क्षमताओं के बारे में जानकारी ली. इंडोनेशिया के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व इंडोनेशियाई नौसेना प्रमुख एडमिरल मुहम्मद अली ने किया.
इंडोनेशिया के राष्ट्रपति का भारत दौरा ऐसे समय में हुआ है जब दोनों दोशों के बाच मिसाइल प्रणाली को के लिए बातचीत चल रहा है. दोनों पक्ष लगभग $450 मिलियन के सौदे की समझौते पर पहुंच चुके हैं. ब्रह्मोस एयरोस्पेस ने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट पर लिखा, ‘इंडोनेशियाई नौसेना के चीफ ऑफ स्टाफ एडमिरल मुहम्मद अली के नेतृत्व में एक उच्च-स्तरीय प्रतिनिधिमंडल ने ब्रह्मोस एयरोस्पेस का दौरा किया. डॉ. जैतीर्थ आर. जोशी तथा अन्य वरिष्ठ अधिकारियों से मुलाकात की. प्रतिनिधिमंडल को सुपरसोनिक ब्रह्मोस हथियार प्रणाली और इसकी ताकतवर क्षमताओं के बारे में जानकारी दी गई.’
ब्रह्मोस भारत-रूस का ज्वॉन्ट वेंचर
बैठक के दौरान दोनों पक्षों ने रक्षा और रणनीतिक क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग को और मजबूत करने पर चर्चा की. यदि यह सौदा अंतिम रूप लेता है, तो इंडोनेशिया ब्रह्मोस मिसाइल खरीदने वाला दूसरा विदेशी देश बनेगा. इससे पहले, भारत ने जनवरी 2022 में फिलीपींस के साथ लगभग $375 मिलियन का सौदा किया था, जिसके तहत फिलीपींस मरीन को ब्रह्मोस मिसाइल बैटरियां दी गईं. इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांतो इस बार गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि थे. इस दौरान ब्रह्मोस मिसाइल को परेड में प्रदर्शित किया गया. परेड में इंडोनेशियाई सेना के 160 सैनिकों का मार्चिंग दल और 190 सदस्यीय बैंड दल भी शामिल हुआ.
सहयोग बढ़ाने पर जोर
भारत और इंडोनेशिया ने शनिवार को व्यापार, रक्षा आपूर्ति श्रृंखला और समुद्री सुरक्षा में सहयोग को बढ़ाने का निर्णय लिया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इंडोनेशिया को इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में सुरक्षा और नियम आधारित व्यवस्था बनाए रखने के लिए एक “महत्वपूर्ण साझेदार” बताया.प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘रक्षा क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने के लिए हम रक्षा निर्माण और आपूर्ति श्रृंखला में मिलकर काम करने पर सहमत हुए हैं.’
फिलीपींस को पहली खेप
अप्रैल 2024 में, भारत ने फिलीपींस को ब्रह्मोस मिसाइलों और लॉन्चरों की पहली खेप सौंप दी थी. ब्रह्मोस दुनिया की सबसे तेज क्रूज मिसाइल है, जिसकी गति मैक 2.8 है, जो ध्वनि की गति से लगभग तीन गुना तेज है. इसे जमीन, हवा और समुद्र से लॉन्च किया जा सकता है। फिलीपींस को दी गई मिसाइलें 290 किमी की दूरी तक लक्ष्य पर प्रहार करने में सक्षम हैं, जबकि भारत ने 500 किमी तक की मारक क्षमता वाला संस्करण भी विकसित किया है.
₹38000000000 की डील पक्की, भारत एक बार फिर बेचने जा रहा है ब्रह्मोस मिसाइल, जानें किस देश के साथ हुआ सौदा
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Re: ₹38000000000 की डील पक्की, भारत एक बार फिर बेचने जा रहा है ब्रह्मोस मिसाइल, जानें किस देश के साथ हुआ सौदा
यार, ये खबर तो कमाल की है! इतने करोड़ की डील ब्रह्मोस मिसाइल के लिए भारत ने किसी देश के साथ की है। यह मिसाइल बहुत पावरफुल और तेज़ है, और भारत के पास इसकी तकनीकी महारत है। ब्रह्मोस की खासियत ये है कि ये हवा, पानी और जमीन से भी लॉन्च की जा सकती है और इसकी गति बहुत ज्यादा है, जो इसे दुश्मनों से बचने में बहुत प्रभावी बनाती है। अब, जब भारत इसे किसी और देश को बेचता है, तो इसका मतलब है कि हमारी डिफेंस तकनीक दुनिया भर में पॉपुलर हो रही है और हम इस इंडस्ट्री में काफी मजबूत हो रहे हैं।
Re: ₹38000000000 की डील पक्की, भारत एक बार फिर बेचने जा रहा है ब्रह्मोस मिसाइल, जानें किस देश के साथ हुआ सौदा
दो देशों के बीच पिछले दो वर्षों से एक समझौते पर बातचीत चल रही थी। आखिरकार, वह समझौता अंतिम रूप से तय हो गया।
इसके अलावा, दो पड़ोसी देशों ने रक्षा और समुद्री सहयोग को गहरा करने पर ध्यान केंद्रित किया है, और चर्चा में रणनीतिक रक्षा प्रणालियों पर भी विचार किया गया है।
ऐसा लगता है कि भारत अपने पड़ोसी देशों से समर्थन प्राप्त कर रहा है ताकि दक्षिण एशियाई प्रशांत क्षेत्र में चीन के प्रभाव के खिलाफ अपनी आवाज उठाई जा सके।
इसके अलावा, दो पड़ोसी देशों ने रक्षा और समुद्री सहयोग को गहरा करने पर ध्यान केंद्रित किया है, और चर्चा में रणनीतिक रक्षा प्रणालियों पर भी विचार किया गया है।
ऐसा लगता है कि भारत अपने पड़ोसी देशों से समर्थन प्राप्त कर रहा है ताकि दक्षिण एशियाई प्रशांत क्षेत्र में चीन के प्रभाव के खिलाफ अपनी आवाज उठाई जा सके।