पिता की बाहें हैं एक सुरक्षा कवच,
जहाँ बेटी पाती है हर दर्द से बच।
दुनिया की मुश्किलें छू नहीं पातीं,
पिता के साये में उसकी खुशियाँ बस जातीं।
बचपन में ऊँगली पकड़ चलना सिखाया,
हर गिरने पर उसने हौसला बढ़ाया।
खुद के सपनों को पीछे छोड़कर,
बेटी के ख्वाबों को उसने उड़ान दिलाया।
पिता का दिल है सागर से गहरा,
जहाँ बसता है बेटी का हर चेहरा।
उसकी मुस्कान में देखता है जहां,
उसकी खुशी से रोशन है आसमां।
पिता के कदमों पर चलती है बेटी,
उनकी उम्मीदों को जीती है बेटी।
वो मूरत है ममता और स्नेह की,
और पिता की सबसे प्यारी दोस्त भी।
हर आशीर्वाद में बस एक ही दुआ,
बेटी का जीवन रहे सदा सुखद हुआ।
पिता और बेटी का रिश्ता अनमोल,
जिसमें छिपा है सारा प्यार का मोल।
यह कविता हर उस पिता और बेटी के रिश्ते को समर्पित है जो बिना कहे ही एक-दूसरे के दिल की बात समझ लेते हैं।