हिन्दी प्रतियोगिता - स्वच्छ भारत , स्वच्छ विचार ( 02.10.2024 से 02.10.2025 तक)
Moderators: हिंदी, janus, aakanksha24
Forum rules
हिन्दी डिस्कशन फोरम में पोस्टिंग एवं पेमेंट के लिए नियम with effect from 18.12.2024
1. यह कोई paid to post forum नहीं है। हम हिंदी को प्रोत्साहन देने के लिये कुछ आयोजन करते हैं और पुरस्कार भी उसी के अंतर्गत दिए जाते हैं। अभी निम्न आयोजन चल रहा है
viewtopic.php?t=4052
2. अधिकतम पेमेंट प्रति सदस्य -रुपये 1000 (एक हजार मात्र) पाक्षिक (हर 15 दिन में)।
3. अगर कोई सदस्य एक हजार से ज्यादा रुपये की पोस्टिग करता है, तो बचे हुए रुपये का बैलन्स forward हो जाएगा और उनके account में जुड़ता चला जाएआ।
4. सदस्यों द्वारा करी गई प्रत्येक पोस्टिंग का मौलिक एवं अर्थपूर्ण होना अपेक्षित है।
5. पेमेंट के पहले प्रत्येक सदस्य की postings की random checking होती है। इस दौरान यदि उनकी postings में copy /paste अथवा अनर्थपूर्ण content की मात्रा अधिक/अनुचित पाई जाती है, तो उन्हें एक रुपये प्रति पोस्ट के हिसाब से पेमेंट किया जाएगा।
6. अगर किसी सदस्य की postings में नियमित रूप से copy /paste अथवा अनर्थपूर्ण content की मात्रा अधिक/अनुचित पाई जाती है, तो उसका account deactivate होने की प्रबल संभावना है।
7. किसी भी विवादित स्थिति में हिन्दी डिस्कशन फोरम संयुक्त परिवार के management द्वारा लिया गया निर्णय अंतिम एवं सर्वमान्य होगा।
8. यह फोरम एवं इसमे आयोजित सारी प्रतियोगिताएं हिन्दी प्रेमियों द्वारा, हिन्दी प्रेमियों के लिए, सुभावना लिए, प्रेम से किया गया प्रयास मात्र है। यदि इसे इसी भावना से लिया जाए, तो हमारा विश्वास है की कोई विशेष समस्या नहीं आएगी।
यदि फिर भी .. तो कृपया हमसे संपर्क साधें। आपकी समस्या का उचित निवारण करने का यथासंभव प्रयास करने हेतु हम कटिबद्ध है।
हिन्दी डिस्कशन फोरम में पोस्टिंग एवं पेमेंट के लिए नियम with effect from 18.12.2024
1. यह कोई paid to post forum नहीं है। हम हिंदी को प्रोत्साहन देने के लिये कुछ आयोजन करते हैं और पुरस्कार भी उसी के अंतर्गत दिए जाते हैं। अभी निम्न आयोजन चल रहा है
viewtopic.php?t=4052
2. अधिकतम पेमेंट प्रति सदस्य -रुपये 1000 (एक हजार मात्र) पाक्षिक (हर 15 दिन में)।
3. अगर कोई सदस्य एक हजार से ज्यादा रुपये की पोस्टिग करता है, तो बचे हुए रुपये का बैलन्स forward हो जाएगा और उनके account में जुड़ता चला जाएआ।
4. सदस्यों द्वारा करी गई प्रत्येक पोस्टिंग का मौलिक एवं अर्थपूर्ण होना अपेक्षित है।
5. पेमेंट के पहले प्रत्येक सदस्य की postings की random checking होती है। इस दौरान यदि उनकी postings में copy /paste अथवा अनर्थपूर्ण content की मात्रा अधिक/अनुचित पाई जाती है, तो उन्हें एक रुपये प्रति पोस्ट के हिसाब से पेमेंट किया जाएगा।
6. अगर किसी सदस्य की postings में नियमित रूप से copy /paste अथवा अनर्थपूर्ण content की मात्रा अधिक/अनुचित पाई जाती है, तो उसका account deactivate होने की प्रबल संभावना है।
7. किसी भी विवादित स्थिति में हिन्दी डिस्कशन फोरम संयुक्त परिवार के management द्वारा लिया गया निर्णय अंतिम एवं सर्वमान्य होगा।
8. यह फोरम एवं इसमे आयोजित सारी प्रतियोगिताएं हिन्दी प्रेमियों द्वारा, हिन्दी प्रेमियों के लिए, सुभावना लिए, प्रेम से किया गया प्रयास मात्र है। यदि इसे इसी भावना से लिया जाए, तो हमारा विश्वास है की कोई विशेष समस्या नहीं आएगी।
यदि फिर भी .. तो कृपया हमसे संपर्क साधें। आपकी समस्या का उचित निवारण करने का यथासंभव प्रयास करने हेतु हम कटिबद्ध है।
-
- शतकवीर ..….. संपूर्ण!!!
- Posts: 101
- Joined: Fri Sep 06, 2024 11:27 pm
Re: हिन्दी प्रतियोगिता - स्वच्छ भारत , स्वच्छ विचार ( 02.10.2024 से 02.10.2025 तक)
Username: Ruchi Agarwal
Post no. 83
शीर्षक: जीवन का आधार प्रेम
जीवन का आधार है प्रेम
ऐसा सब बतलाते है,
फिर, किसी और को दिल देकर
खुद को बड़ा तड़पाते हैं,
सुख चैन रातों की नींदे
सब कुछ आहत हो जाती है,
उसको खोने के डर से फिर
बेचैनी घिर जाती है ,
प्रेम किसी से पाने को
यू तत्पर से हो जाते है,
देकर खुद को दर्द का तोहफा
खुद को ही भूल जाते हैं ,
ये कैसा है रूप प्रेम का
नहीं समझ मुझे आता है,
दर्द नहीं , इबादत है ये
ये कोई समझ नहीं पाता है,
लेन देन का खेल नहीं ये
ना है कोई व्यापार,
आंतरिक सुखों का स्रोत है
है बंधन मुक्त संसार ।
Post no. 83
शीर्षक: जीवन का आधार प्रेम
जीवन का आधार है प्रेम
ऐसा सब बतलाते है,
फिर, किसी और को दिल देकर
खुद को बड़ा तड़पाते हैं,
सुख चैन रातों की नींदे
सब कुछ आहत हो जाती है,
उसको खोने के डर से फिर
बेचैनी घिर जाती है ,
प्रेम किसी से पाने को
यू तत्पर से हो जाते है,
देकर खुद को दर्द का तोहफा
खुद को ही भूल जाते हैं ,
ये कैसा है रूप प्रेम का
नहीं समझ मुझे आता है,
दर्द नहीं , इबादत है ये
ये कोई समझ नहीं पाता है,
लेन देन का खेल नहीं ये
ना है कोई व्यापार,
आंतरिक सुखों का स्रोत है
है बंधन मुक्त संसार ।
-
- शतकवीर ..….. संपूर्ण!!!
- Posts: 101
- Joined: Fri Sep 06, 2024 11:27 pm
Re: हिन्दी प्रतियोगिता - स्वच्छ भारत , स्वच्छ विचार ( 02.10.2024 से 02.10.2025 तक)
Username: Ruchi Agarwal
Post no. 84
शीर्षक: जब भी मैं लिखने बैठूं
जब भी मैं लिखने बैठूं
तेरा ही ख्याल आता है,
मेरे मन के हर कोने को
महका सा जाता है,
भटक जाते हैं शब्द कही
पन्ना रह जाता कोरा,
जैसे तुम बिन लगता है
जीवन मेरा अधूरा,
तेरे प्यार की स्याही से
सुंदर रचनाएं बनानी है,
है तेरे साथ लिखनी मुझे
अपनी प्रेम कहानी है।
Post no. 84
शीर्षक: जब भी मैं लिखने बैठूं
जब भी मैं लिखने बैठूं
तेरा ही ख्याल आता है,
मेरे मन के हर कोने को
महका सा जाता है,
भटक जाते हैं शब्द कही
पन्ना रह जाता कोरा,
जैसे तुम बिन लगता है
जीवन मेरा अधूरा,
तेरे प्यार की स्याही से
सुंदर रचनाएं बनानी है,
है तेरे साथ लिखनी मुझे
अपनी प्रेम कहानी है।
-
- शतकवीर ..….. संपूर्ण!!!
- Posts: 101
- Joined: Fri Sep 06, 2024 11:27 pm
Re: हिन्दी प्रतियोगिता - स्वच्छ भारत , स्वच्छ विचार ( 02.10.2024 से 02.10.2025 तक)
Username: Ruchi Agarwal
Post no. 85
शीर्षक: बुरा वक्त तकलीफ नहीं सबक है
बुरे वक्त को समक्ष देखकर
हम व्याकुल हो जाते हैं
संकल्प शक्ति और धैर्य त्याग कर
निरर्थक ही घबराते हैं ।
माना बुरा वक्त संग में
कष्ट खींच ले आता है
पर उस कष्ट से उभरने हेतु
हमें मजबूत भी बनाता है ।
अच्छे बुरे और सही गलत की
पहचान हमें हो जाती है
अपने कौन , पराए कौन
यह भी समझ आ जाती है ।
बुरे वक्त में गिरते , लड़खड़ाते
हम चलना सीख जाते हैं
हर हालातों से जूझकर
अंदरूनी मजबूत हो जाते हैं।
स्थाई नहीं कुछ इस जगत में
यह भी समझ आ जाता है
परिस्थिति को स्वीकार करना
बुरा वक्त सिखलाता है।
वक्त से मिली गहरी छोटी
हमें सशक्त बनाती है
हालातो से लड़ - झगड़कर
डटकर जीना सिखाती है।
अपने दम पर जीवन जीना
हम बखूबी सीख जाते हैं
बुरे वक्त से अनुभव पाकर
तजुर्बेगार हो जाते हैं ।
तकलीफ नहीं इसे सीख मानकर
गर हम अपनाएंगे
तो बेतहाशा मिले दर्द को
संतुलित कर पाएंगे ।
Post no. 85
शीर्षक: बुरा वक्त तकलीफ नहीं सबक है
बुरे वक्त को समक्ष देखकर
हम व्याकुल हो जाते हैं
संकल्प शक्ति और धैर्य त्याग कर
निरर्थक ही घबराते हैं ।
माना बुरा वक्त संग में
कष्ट खींच ले आता है
पर उस कष्ट से उभरने हेतु
हमें मजबूत भी बनाता है ।
अच्छे बुरे और सही गलत की
पहचान हमें हो जाती है
अपने कौन , पराए कौन
यह भी समझ आ जाती है ।
बुरे वक्त में गिरते , लड़खड़ाते
हम चलना सीख जाते हैं
हर हालातों से जूझकर
अंदरूनी मजबूत हो जाते हैं।
स्थाई नहीं कुछ इस जगत में
यह भी समझ आ जाता है
परिस्थिति को स्वीकार करना
बुरा वक्त सिखलाता है।
वक्त से मिली गहरी छोटी
हमें सशक्त बनाती है
हालातो से लड़ - झगड़कर
डटकर जीना सिखाती है।
अपने दम पर जीवन जीना
हम बखूबी सीख जाते हैं
बुरे वक्त से अनुभव पाकर
तजुर्बेगार हो जाते हैं ।
तकलीफ नहीं इसे सीख मानकर
गर हम अपनाएंगे
तो बेतहाशा मिले दर्द को
संतुलित कर पाएंगे ।
-
- शतकवीर ..….. संपूर्ण!!!
- Posts: 101
- Joined: Fri Sep 06, 2024 11:27 pm
Re: हिन्दी प्रतियोगिता - स्वच्छ भारत , स्वच्छ विचार ( 02.10.2024 से 02.10.2025 तक)
Username: Ruchi Agarwal
Post no. 86
शीर्षक: अरमान के पैमाने
खुशियां कम अरमान बहुत है
जिसे देखो परेशान बहुत है ।
सही बात का नहीं मुकाबला
मगर फरेब की पहचान बहुत है।
सीधी बातें तो दफन हो रही
टेढ़ी बातों का चलन बहुत है।
साधारण अब रहा नहीं कुछ
दिखावेपन में चमक बहुत है।
अपनापन है महज कहावत
वास्तविकता पराएपन की बहुत है।
रूप गुनो से फीका है फिर भी
सुंदर चेहरो की मांग बहुत है ।
ईश्वर की सुंदर नगरी में
झूठ फरेब अभिमान बहुत है।
नियत से बरकत है कहते
पर सबकी नियत में खोट बहुत है।
सारी सृष्टि बनी ,कपट नगरिया
पर सबको सतयुग की चाह बहुत है।
रे बंदे तू खुद को बदल ले
क्यों, दूजों से करता उम्मीद बहुत है।
Post no. 86
शीर्षक: अरमान के पैमाने
खुशियां कम अरमान बहुत है
जिसे देखो परेशान बहुत है ।
सही बात का नहीं मुकाबला
मगर फरेब की पहचान बहुत है।
सीधी बातें तो दफन हो रही
टेढ़ी बातों का चलन बहुत है।
साधारण अब रहा नहीं कुछ
दिखावेपन में चमक बहुत है।
अपनापन है महज कहावत
वास्तविकता पराएपन की बहुत है।
रूप गुनो से फीका है फिर भी
सुंदर चेहरो की मांग बहुत है ।
ईश्वर की सुंदर नगरी में
झूठ फरेब अभिमान बहुत है।
नियत से बरकत है कहते
पर सबकी नियत में खोट बहुत है।
सारी सृष्टि बनी ,कपट नगरिया
पर सबको सतयुग की चाह बहुत है।
रे बंदे तू खुद को बदल ले
क्यों, दूजों से करता उम्मीद बहुत है।
-
- शतकवीर ..….. संपूर्ण!!!
- Posts: 101
- Joined: Fri Sep 06, 2024 11:27 pm
Re: हिन्दी प्रतियोगिता - स्वच्छ भारत , स्वच्छ विचार ( 02.10.2024 से 02.10.2025 तक)
Username: Ruchi Agarwal
Post no. 87
शीर्षक: फितरत कभी नहीं बदलती
जन्म जन्मांतर तक एक स्वभाव ही
लेकर आत्मा चलती है
भले किसी रूप में जन्मे
पर फितरत नहीं बदलती है ।
रच बस गई जो प्रवृत्ति
वह कभी जुदा ,नहीं होती है
कर्म फल और फितरत को
जीवात्मा सदियों तक ढ़ोती है ।
चाहे देखा हो आंखों से
फिर भी नहीं , करना विश्वास
नहीं बदले स्वभाव किसी का
चाहे कर ले ढ़ेरो प्रयास ।
कोई जन्म से होता सरल
तो कोई तेज तरार
बस नहीं चलता , किसी का इस पर
है यह अंतनिर्मित व्यवहार ।
जो है जैसा है , जान समझकर
ताल मेल बैठा लो
व्यवहार बदलने की , उम्मीद त्यागकर
जो भी जैसा है , अपना लो ।
Post no. 87
शीर्षक: फितरत कभी नहीं बदलती
जन्म जन्मांतर तक एक स्वभाव ही
लेकर आत्मा चलती है
भले किसी रूप में जन्मे
पर फितरत नहीं बदलती है ।
रच बस गई जो प्रवृत्ति
वह कभी जुदा ,नहीं होती है
कर्म फल और फितरत को
जीवात्मा सदियों तक ढ़ोती है ।
चाहे देखा हो आंखों से
फिर भी नहीं , करना विश्वास
नहीं बदले स्वभाव किसी का
चाहे कर ले ढ़ेरो प्रयास ।
कोई जन्म से होता सरल
तो कोई तेज तरार
बस नहीं चलता , किसी का इस पर
है यह अंतनिर्मित व्यवहार ।
जो है जैसा है , जान समझकर
ताल मेल बैठा लो
व्यवहार बदलने की , उम्मीद त्यागकर
जो भी जैसा है , अपना लो ।
-
- शतकवीर ..….. संपूर्ण!!!
- Posts: 101
- Joined: Fri Sep 06, 2024 11:27 pm
Re: हिन्दी प्रतियोगिता - स्वच्छ भारत , स्वच्छ विचार ( 02.10.2024 से 02.10.2025 तक)
Username: Ruchi Agarwal
Post no. 88
शीर्षक: कुछ कदम और
रुको नहीं बढ़े चलो
गर जाना है उस छोर
अपने मन को समझाओ कहकर
बस ........ कुछ कदम और ।
गर लक्ष्यों को पाना है
तो अंगारों पर चलना होगा
सुख चैन को रख ताक पर
कठोर परिश्रम करना होगा ।
आत्मबल की ऊर्जा के दम पर
मिलो दूरी तय करनी है
डर शंकाएं काबू में कर लो
गर मंजिले हासिल करनी है
हर दर्द हर पीड़ा सहन करो
जब तक मिलता नहीं ठोर
अपने मन को समझाओ कहकर
बस......... कुछ कम और ।
Post no. 88
शीर्षक: कुछ कदम और
रुको नहीं बढ़े चलो
गर जाना है उस छोर
अपने मन को समझाओ कहकर
बस ........ कुछ कदम और ।
गर लक्ष्यों को पाना है
तो अंगारों पर चलना होगा
सुख चैन को रख ताक पर
कठोर परिश्रम करना होगा ।
आत्मबल की ऊर्जा के दम पर
मिलो दूरी तय करनी है
डर शंकाएं काबू में कर लो
गर मंजिले हासिल करनी है
हर दर्द हर पीड़ा सहन करो
जब तक मिलता नहीं ठोर
अपने मन को समझाओ कहकर
बस......... कुछ कम और ।
-
- शतकवीर ..….. संपूर्ण!!!
- Posts: 101
- Joined: Fri Sep 06, 2024 11:27 pm
Re: हिन्दी प्रतियोगिता - स्वच्छ भारत , स्वच्छ विचार ( 02.10.2024 से 02.10.2025 तक)
Username: Ruchi Agarwal
Post no. 89
शीर्षक: खुद पर विश्वास करो
जीवन में यदि कुछ पाना है
कुछ नायाब कर दिखलाना है
अपना मुकाम बनाना है
तो...... खुद पर विश्वास करो ।
जब चारो ओर अंधेरा हो
विपदाओं ने जकड़ कर घेरा हो
किस्मत में दुख का डेरा हो
तो...... खुद पर विश्वास करो ।
जब अपना कोई साथ ना दे
टूटे दिल में टीस उठे
कभी तन्हाई भयभीत करे
तो ........ खुद पर विश्वास करो ।
खुद ही खुद को समझाना है
जग में सब बेगाना है
इस वास्तविकता को अपनाने का प्रयास करो
बस....... खुद पर विश्वास करो ।
विश्वास यदि हमें खुद पर होगा
दूजो से ना आस लगाएंगे
दूसरों की कश्तियों पर सवार ना होकर
खुद को लाचारी की जिल्लत से बचा पाएंगे ।
Post no. 89
शीर्षक: खुद पर विश्वास करो
जीवन में यदि कुछ पाना है
कुछ नायाब कर दिखलाना है
अपना मुकाम बनाना है
तो...... खुद पर विश्वास करो ।
जब चारो ओर अंधेरा हो
विपदाओं ने जकड़ कर घेरा हो
किस्मत में दुख का डेरा हो
तो...... खुद पर विश्वास करो ।
जब अपना कोई साथ ना दे
टूटे दिल में टीस उठे
कभी तन्हाई भयभीत करे
तो ........ खुद पर विश्वास करो ।
खुद ही खुद को समझाना है
जग में सब बेगाना है
इस वास्तविकता को अपनाने का प्रयास करो
बस....... खुद पर विश्वास करो ।
विश्वास यदि हमें खुद पर होगा
दूजो से ना आस लगाएंगे
दूसरों की कश्तियों पर सवार ना होकर
खुद को लाचारी की जिल्लत से बचा पाएंगे ।
-
- शतकवीर ..….. संपूर्ण!!!
- Posts: 101
- Joined: Fri Sep 06, 2024 11:27 pm
Re: हिन्दी प्रतियोगिता - स्वच्छ भारत , स्वच्छ विचार ( 02.10.2024 से 02.10.2025 तक)
Username: Ruchi Agarwal
Post no. 90
शीर्षक: खुराक
एक बालक के जीवन के
मात पिता संरक्षक हैं
कच्ची मिट्टी को आकार
देना बड़ा आवश्यक है ।
बच्चों के पालन पोषण की
नहीं सरल है यात्रा
उचित समर्थन और अनुशासन
दोनों की है मात्रा ।
सही गलत के बीच है रेखा
यह उनको दिखलानी है
गलती करने पर , बिना क्रोध के
बस..... गलती क्या थी , समझानी है ।
फंसे अगर वह किसी डगर पर
बचने की तरकीब , बतानी है
ऐसी मुश्किलें आती रहती है
यह बात जहन में ,बैठानी है ।
डरे नहीं वें , किसी राह पर
कहीं थक्कर ना अटक जाएं
उत्कृष्ट अभिभावक की , निभा भूमिका
आओ ! बच्चों को मजबूत बनाएं ।
Post no. 90
शीर्षक: खुराक
एक बालक के जीवन के
मात पिता संरक्षक हैं
कच्ची मिट्टी को आकार
देना बड़ा आवश्यक है ।
बच्चों के पालन पोषण की
नहीं सरल है यात्रा
उचित समर्थन और अनुशासन
दोनों की है मात्रा ।
सही गलत के बीच है रेखा
यह उनको दिखलानी है
गलती करने पर , बिना क्रोध के
बस..... गलती क्या थी , समझानी है ।
फंसे अगर वह किसी डगर पर
बचने की तरकीब , बतानी है
ऐसी मुश्किलें आती रहती है
यह बात जहन में ,बैठानी है ।
डरे नहीं वें , किसी राह पर
कहीं थक्कर ना अटक जाएं
उत्कृष्ट अभिभावक की , निभा भूमिका
आओ ! बच्चों को मजबूत बनाएं ।
-
- शतकवीर ..….. संपूर्ण!!!
- Posts: 101
- Joined: Fri Sep 06, 2024 11:27 pm
Re: हिन्दी प्रतियोगिता - स्वच्छ भारत , स्वच्छ विचार ( 02.10.2024 से 02.10.2025 तक)
Username: Ruchi Agarwal
Post no. 91
शीर्षक: मन के आभास
मैने ये आभास किया अब
पहले जैसी वो बात नहीं,
मेरे लिए तेरी नजरों में
वो पहले से जस्बात नहीं,
बदल गए है भाव तुम्हारे
कर सकती हूं ये महसूस ,
जोड़ा था दिल से जो रिश्ता
नहीं लगता अब वो महफूज,
समेट रही हूं हर पल अपनी
भावनाए भारी मन से,
नहीं जरूरत है जिसकी अब
शायद तुम्हारे जीवन में।
Post no. 91
शीर्षक: मन के आभास
मैने ये आभास किया अब
पहले जैसी वो बात नहीं,
मेरे लिए तेरी नजरों में
वो पहले से जस्बात नहीं,
बदल गए है भाव तुम्हारे
कर सकती हूं ये महसूस ,
जोड़ा था दिल से जो रिश्ता
नहीं लगता अब वो महफूज,
समेट रही हूं हर पल अपनी
भावनाए भारी मन से,
नहीं जरूरत है जिसकी अब
शायद तुम्हारे जीवन में।
-
- शतकवीर ..….. संपूर्ण!!!
- Posts: 101
- Joined: Fri Sep 06, 2024 11:27 pm
Re: हिन्दी प्रतियोगिता - स्वच्छ भारत , स्वच्छ विचार ( 02.10.2024 से 02.10.2025 तक)
Username: Ruchi Agarwal
Post no. 92
शीर्षक: यादें
यादों के समंदर में
उठे दर्द की लहरें,
दिल की गहराइयों में
राज दफन है गहरे,
उन लम्हों की बिखरी कश्ती
क्या फिर से जुड़ पाएगी ?
डूब चुकी जो बरसों पहले
क्या फिर से तर पाएगी ?
टीस उन गुजरे लम्हों की
दिल मे आज भी उठती है,
मेरी आत्मा उसी दर्द से
आज भी सिसकती है ।
Post no. 92
शीर्षक: यादें
यादों के समंदर में
उठे दर्द की लहरें,
दिल की गहराइयों में
राज दफन है गहरे,
उन लम्हों की बिखरी कश्ती
क्या फिर से जुड़ पाएगी ?
डूब चुकी जो बरसों पहले
क्या फिर से तर पाएगी ?
टीस उन गुजरे लम्हों की
दिल मे आज भी उठती है,
मेरी आत्मा उसी दर्द से
आज भी सिसकती है ।