हिन्दी प्रतियोगिता - स्वच्छ भारत , स्वच्छ विचार ( 02.10.2024 से 02.10.2025 तक)
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हिन्दी डिस्कशन फोरम में पोस्टिंग एवं पेमेंट के लिए नियम with effect from 18.12.2024
1. यह कोई paid to post forum नहीं है। हम हिंदी को प्रोत्साहन देने के लिये कुछ आयोजन करते हैं और पुरस्कार भी उसी के अंतर्गत दिए जाते हैं। अभी निम्न आयोजन चल रहा है
viewtopic.php?t=4052
2. अधिकतम पेमेंट प्रति सदस्य -रुपये 1000 (एक हजार मात्र) पाक्षिक (हर 15 दिन में)।
3. अगर कोई सदस्य एक हजार से ज्यादा रुपये की पोस्टिग करता है, तो बचे हुए रुपये का बैलन्स forward हो जाएगा और उनके account में जुड़ता चला जाएआ।
4. सदस्यों द्वारा करी गई प्रत्येक पोस्टिंग का मौलिक एवं अर्थपूर्ण होना अपेक्षित है।
5. पेमेंट के पहले प्रत्येक सदस्य की postings की random checking होती है। इस दौरान यदि उनकी postings में copy /paste अथवा अनर्थपूर्ण content की मात्रा अधिक/अनुचित पाई जाती है, तो उन्हें एक रुपये प्रति पोस्ट के हिसाब से पेमेंट किया जाएगा।
6. अगर किसी सदस्य की postings में नियमित रूप से copy /paste अथवा अनर्थपूर्ण content की मात्रा अधिक/अनुचित पाई जाती है, तो उसका account deactivate होने की प्रबल संभावना है।
7. किसी भी विवादित स्थिति में हिन्दी डिस्कशन फोरम संयुक्त परिवार के management द्वारा लिया गया निर्णय अंतिम एवं सर्वमान्य होगा।
8. यह फोरम एवं इसमे आयोजित सारी प्रतियोगिताएं हिन्दी प्रेमियों द्वारा, हिन्दी प्रेमियों के लिए, सुभावना लिए, प्रेम से किया गया प्रयास मात्र है। यदि इसे इसी भावना से लिया जाए, तो हमारा विश्वास है की कोई विशेष समस्या नहीं आएगी।
यदि फिर भी .. तो कृपया हमसे संपर्क साधें। आपकी समस्या का उचित निवारण करने का यथासंभव प्रयास करने हेतु हम कटिबद्ध है।
हिन्दी डिस्कशन फोरम में पोस्टिंग एवं पेमेंट के लिए नियम with effect from 18.12.2024
1. यह कोई paid to post forum नहीं है। हम हिंदी को प्रोत्साहन देने के लिये कुछ आयोजन करते हैं और पुरस्कार भी उसी के अंतर्गत दिए जाते हैं। अभी निम्न आयोजन चल रहा है
viewtopic.php?t=4052
2. अधिकतम पेमेंट प्रति सदस्य -रुपये 1000 (एक हजार मात्र) पाक्षिक (हर 15 दिन में)।
3. अगर कोई सदस्य एक हजार से ज्यादा रुपये की पोस्टिग करता है, तो बचे हुए रुपये का बैलन्स forward हो जाएगा और उनके account में जुड़ता चला जाएआ।
4. सदस्यों द्वारा करी गई प्रत्येक पोस्टिंग का मौलिक एवं अर्थपूर्ण होना अपेक्षित है।
5. पेमेंट के पहले प्रत्येक सदस्य की postings की random checking होती है। इस दौरान यदि उनकी postings में copy /paste अथवा अनर्थपूर्ण content की मात्रा अधिक/अनुचित पाई जाती है, तो उन्हें एक रुपये प्रति पोस्ट के हिसाब से पेमेंट किया जाएगा।
6. अगर किसी सदस्य की postings में नियमित रूप से copy /paste अथवा अनर्थपूर्ण content की मात्रा अधिक/अनुचित पाई जाती है, तो उसका account deactivate होने की प्रबल संभावना है।
7. किसी भी विवादित स्थिति में हिन्दी डिस्कशन फोरम संयुक्त परिवार के management द्वारा लिया गया निर्णय अंतिम एवं सर्वमान्य होगा।
8. यह फोरम एवं इसमे आयोजित सारी प्रतियोगिताएं हिन्दी प्रेमियों द्वारा, हिन्दी प्रेमियों के लिए, सुभावना लिए, प्रेम से किया गया प्रयास मात्र है। यदि इसे इसी भावना से लिया जाए, तो हमारा विश्वास है की कोई विशेष समस्या नहीं आएगी।
यदि फिर भी .. तो कृपया हमसे संपर्क साधें। आपकी समस्या का उचित निवारण करने का यथासंभव प्रयास करने हेतु हम कटिबद्ध है।
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- शतकवीर ..….. संपूर्ण!!!
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Re: हिन्दी प्रतियोगिता - स्वच्छ भारत , स्वच्छ विचार ( 02.10.2024 से 02.10.2025 तक)
Username: Ruchi Agarwal
Post no. 93
शीर्षक: ज़िल्लतों के पार
बुरा ना मानो कोई अगर , गलतियां दिखला जाए
बुरा ना मानो कोई अगर , कमियों को गिना जाए
बुरा ना मानो हाथ छोड़कर , खुद ही आगे कोई बढ़ जाए
बुरा ना मानो कोई ढूंढने , पीछे मुड़कर भी ना आए
बुरा ना मानो बीच भंवर में , साथ अगर कोई छोड़ दे
बुरा ना मानो अपना कोई खास , बुरी तरह दिल तोड़ दे
यह सब बातें चोट है देती
पर..... हमको मजबूत बनाती है
जीवन की कठिन घड़ी में
डटे रहना सिखलाती है ।
इतना टूट कर जब कोई उठता
पर्वत सा ठोस ,बन जाता है
जो दुनिया के ,तिरस्कार को सहले
फिर कोई उसको , तोड़ नहीं पता है ।
जिल्लत की आग में तप कर , जब कोई बाहर आता है
खाद बिना, खरे सोने सम , पूर्णतः निखर जाता है ।
Post no. 93
शीर्षक: ज़िल्लतों के पार
बुरा ना मानो कोई अगर , गलतियां दिखला जाए
बुरा ना मानो कोई अगर , कमियों को गिना जाए
बुरा ना मानो हाथ छोड़कर , खुद ही आगे कोई बढ़ जाए
बुरा ना मानो कोई ढूंढने , पीछे मुड़कर भी ना आए
बुरा ना मानो बीच भंवर में , साथ अगर कोई छोड़ दे
बुरा ना मानो अपना कोई खास , बुरी तरह दिल तोड़ दे
यह सब बातें चोट है देती
पर..... हमको मजबूत बनाती है
जीवन की कठिन घड़ी में
डटे रहना सिखलाती है ।
इतना टूट कर जब कोई उठता
पर्वत सा ठोस ,बन जाता है
जो दुनिया के ,तिरस्कार को सहले
फिर कोई उसको , तोड़ नहीं पता है ।
जिल्लत की आग में तप कर , जब कोई बाहर आता है
खाद बिना, खरे सोने सम , पूर्णतः निखर जाता है ।
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Re: हिन्दी प्रतियोगिता - स्वच्छ भारत , स्वच्छ विचार ( 02.10.2024 से 02.10.2025 तक)
Username: Ruchi Agarwal
Post no. 94
शीर्षक: कब तक इजाज़त लेनी होगी
बचपन में नहीं रहता ज्ञान
नहीं रहता सही गलत का भान
तब मां-बाप से पूछ कर, सभी कार्य करते थे
कुछ गलत नहीं हम कर बैठे , यह सोचकर डरते थे।
बड़े हुए जीवन भी बदला
नासमझ अब नहीं रहे
आजाद पंछी के, जैसे है उड़ना
यह बात दिल की कैसे कहें ।
बालिग हो गए ब्याह रचाया
अनुशासन का भी बदल रूप
अब बारी आई सास ससुर की
चलना होगा उनके अनुरूप ।
बीच-बीच में पतिदेव भी
अपने नियम बताते हैं
पर हमारी तरफ से छूट है पूरी
यह भी संग जतलाते हैं ।
इसी तरह जीवन की गाड़ी
सरपट दौड़ी जाती है
अपनी पसंद के स्टेशन पर
कभी नहीं रूक पाती है ।
भाग रहे हैं उम्र के कांटे
पर वक्त ना अपना आता है
और इजाजत लेने का सिलसिला
यूं ही चलता जाता है ।
आधी उम्र तो बीत चुकी है
और समझ की फसल भी पक चुकी
हाथों में जो लगी थी मेहंदी
वह बालों में भी लग चुकी
अब दूध वाला कैल्शियम
दवा के रूप में आना है
बड़े हो गए , अब तो जीने दो
बस ...... यही समझाना है ।
Post no. 94
शीर्षक: कब तक इजाज़त लेनी होगी
बचपन में नहीं रहता ज्ञान
नहीं रहता सही गलत का भान
तब मां-बाप से पूछ कर, सभी कार्य करते थे
कुछ गलत नहीं हम कर बैठे , यह सोचकर डरते थे।
बड़े हुए जीवन भी बदला
नासमझ अब नहीं रहे
आजाद पंछी के, जैसे है उड़ना
यह बात दिल की कैसे कहें ।
बालिग हो गए ब्याह रचाया
अनुशासन का भी बदल रूप
अब बारी आई सास ससुर की
चलना होगा उनके अनुरूप ।
बीच-बीच में पतिदेव भी
अपने नियम बताते हैं
पर हमारी तरफ से छूट है पूरी
यह भी संग जतलाते हैं ।
इसी तरह जीवन की गाड़ी
सरपट दौड़ी जाती है
अपनी पसंद के स्टेशन पर
कभी नहीं रूक पाती है ।
भाग रहे हैं उम्र के कांटे
पर वक्त ना अपना आता है
और इजाजत लेने का सिलसिला
यूं ही चलता जाता है ।
आधी उम्र तो बीत चुकी है
और समझ की फसल भी पक चुकी
हाथों में जो लगी थी मेहंदी
वह बालों में भी लग चुकी
अब दूध वाला कैल्शियम
दवा के रूप में आना है
बड़े हो गए , अब तो जीने दो
बस ...... यही समझाना है ।
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Re: हिन्दी प्रतियोगिता - स्वच्छ भारत , स्वच्छ विचार ( 02.10.2024 से 02.10.2025 तक)
Username: Ruchi Agarwal
Post no. 95
शीर्षक: मर्यादा पुरुषोत्तम राम
जिनकी मर्यादा और प्रेम की
हमने सुनी कहानी है
पुरुषोत्तम श्री रामचंद्र की
अयोध्या में अगवानी है।
चहू ओर हर देश दिशा में
भगवा रंग लहराएगा
राम नाम के नारे गाकर
सतयुग सा आनंद छाएगा।
श्री राम प्रभू के आगमन से
एक नया जोश भरमाया है
आज युगों के बाद फिर से
ऐसा उत्सव छाया है ।
घर-घर दीप जलाएं है
सबने मिल मंगल गाएं हैं
सभी ओर उजियार है
भव्य दृष्टांत नजर है।
मात पिता के वचनों को
शिरोधार्यकर सब त्याग दिया
भाइयों के प्रति प्रेम भाव में
अपने हक का हनन किया
मात सिया का वियोग सहन कर
अपनी मर्यादा नही त्यागी
उनके चरणों की धुली पाकर
हो जाएंगे बड़भागी
जब रामचरित के संकल्पों को
हम दिल से अपनाएंगे
सही रूप में तभी प्रभु के
श्रद्धा समर्पित हो पाएंगे।
हर घर में हर मन में ,जय श्री राम
कन-कन में तन-तन में ,जय श्री राम
गूंजे गगन में ,जय श्री राम
श्री चरणों से लगा लो ,जय श्री राम।
Post no. 95
शीर्षक: मर्यादा पुरुषोत्तम राम
जिनकी मर्यादा और प्रेम की
हमने सुनी कहानी है
पुरुषोत्तम श्री रामचंद्र की
अयोध्या में अगवानी है।
चहू ओर हर देश दिशा में
भगवा रंग लहराएगा
राम नाम के नारे गाकर
सतयुग सा आनंद छाएगा।
श्री राम प्रभू के आगमन से
एक नया जोश भरमाया है
आज युगों के बाद फिर से
ऐसा उत्सव छाया है ।
घर-घर दीप जलाएं है
सबने मिल मंगल गाएं हैं
सभी ओर उजियार है
भव्य दृष्टांत नजर है।
मात पिता के वचनों को
शिरोधार्यकर सब त्याग दिया
भाइयों के प्रति प्रेम भाव में
अपने हक का हनन किया
मात सिया का वियोग सहन कर
अपनी मर्यादा नही त्यागी
उनके चरणों की धुली पाकर
हो जाएंगे बड़भागी
जब रामचरित के संकल्पों को
हम दिल से अपनाएंगे
सही रूप में तभी प्रभु के
श्रद्धा समर्पित हो पाएंगे।
हर घर में हर मन में ,जय श्री राम
कन-कन में तन-तन में ,जय श्री राम
गूंजे गगन में ,जय श्री राम
श्री चरणों से लगा लो ,जय श्री राम।
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Re: हिन्दी प्रतियोगिता - स्वच्छ भारत , स्वच्छ विचार ( 02.10.2024 से 02.10.2025 तक)
Username: Ruchi Agarwal
Post no. 96
शीर्षक: जीने का अधिकार
इस सृष्टि के सृजन में
है स्त्री की भूमिका अपार
क्यों छीना जाता, है कन्या से
जीने का अधिकार ।
भ्रूण हत्या की , निर्मम घटनाएं
सुनने को मिलती भरपूर
सवाल यही है , के उन सबका
जाने क्या होता है कसूर ।
जिस घर में भी रहती है वें
उस घर को महकाती है
इतना सब कुछ करने पर भी
पराई ही कहलाती है ।
जननी बनकर वंश बढ़ाती
हर दर्द सहन वें करती है
अनगिनत तकलीफों से
वे उम्र भर गुजरती है ।
नहीं कार्य ऐसा कोई
जो बेटियां ना कर पाए
तो बेटों से , बेटी की गरिमा
क्यों हरदम कम , आंकी जाए ।
फिर क्यों बेटों के जन्म घड़ी पर
खुशियां मनाई जाती है
और कन्या तो क्रूरता के
भेंट चढ़ाई जाती है ।
बदल रहा है खूब जमाना
पर सोच ना पूरी बदली है
कई घरों में आज तक
नारी की बेकद्री है ।
स्त्री ना होगी तो क्या होगा
करके जरा देखो विचार
यही सोच कर ,नहीं छीनो उनसे
जन्म लेने का अधिकार ।
Post no. 96
शीर्षक: जीने का अधिकार
इस सृष्टि के सृजन में
है स्त्री की भूमिका अपार
क्यों छीना जाता, है कन्या से
जीने का अधिकार ।
भ्रूण हत्या की , निर्मम घटनाएं
सुनने को मिलती भरपूर
सवाल यही है , के उन सबका
जाने क्या होता है कसूर ।
जिस घर में भी रहती है वें
उस घर को महकाती है
इतना सब कुछ करने पर भी
पराई ही कहलाती है ।
जननी बनकर वंश बढ़ाती
हर दर्द सहन वें करती है
अनगिनत तकलीफों से
वे उम्र भर गुजरती है ।
नहीं कार्य ऐसा कोई
जो बेटियां ना कर पाए
तो बेटों से , बेटी की गरिमा
क्यों हरदम कम , आंकी जाए ।
फिर क्यों बेटों के जन्म घड़ी पर
खुशियां मनाई जाती है
और कन्या तो क्रूरता के
भेंट चढ़ाई जाती है ।
बदल रहा है खूब जमाना
पर सोच ना पूरी बदली है
कई घरों में आज तक
नारी की बेकद्री है ।
स्त्री ना होगी तो क्या होगा
करके जरा देखो विचार
यही सोच कर ,नहीं छीनो उनसे
जन्म लेने का अधिकार ।
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Re: हिन्दी प्रतियोगिता - स्वच्छ भारत , स्वच्छ विचार ( 02.10.2024 से 02.10.2025 तक)
Username: Ruchi Agarwal
Post no. 97
शीर्षक: में नारी हूं जागीर नहीं
मैं नारी हूं जागीर नहीं
क्यों आजाद जीवन की हकदार नहीं ?
मैं नहीं किसी की कठपुतली
प्रताड़ना मुझे स्वीकार नहीं ।
हाथों में गर पहनू चूड़ी
तो क्या बल कम हो जाता है
ग्रहणी बन जब करूं मैं सेवा
क्यों मान ना दिया जाता है ?
मरकर जन्म दिया जिस शिशु को
क्यों वंशज, पिता का कहलाता है
क्यों मेरा मेरे अंश पर से
अधिकार घटाया जाता है ?
रहते हैं हम सबकी सुनके
पर गुलामी नहीं स्वीकारी है
ये हमारा निस्वार्थ प्रेम है
ना ही कोई लाचारी है ।
सबकी खुशियों की परवाह कर
खुद को पीछे रखते हैं
वही लोग हमें सबसे ज्यादा
क्यों बेमोल समझते हैं ?
हमारे त्याग और प्रेम का
क्या यही प्रतिकार है ?
हम नारी है जागीर नहीं
हमें भी स्वतंत्रता से जीने का , पूर्ण अधिकार है ।
Post no. 97
शीर्षक: में नारी हूं जागीर नहीं
मैं नारी हूं जागीर नहीं
क्यों आजाद जीवन की हकदार नहीं ?
मैं नहीं किसी की कठपुतली
प्रताड़ना मुझे स्वीकार नहीं ।
हाथों में गर पहनू चूड़ी
तो क्या बल कम हो जाता है
ग्रहणी बन जब करूं मैं सेवा
क्यों मान ना दिया जाता है ?
मरकर जन्म दिया जिस शिशु को
क्यों वंशज, पिता का कहलाता है
क्यों मेरा मेरे अंश पर से
अधिकार घटाया जाता है ?
रहते हैं हम सबकी सुनके
पर गुलामी नहीं स्वीकारी है
ये हमारा निस्वार्थ प्रेम है
ना ही कोई लाचारी है ।
सबकी खुशियों की परवाह कर
खुद को पीछे रखते हैं
वही लोग हमें सबसे ज्यादा
क्यों बेमोल समझते हैं ?
हमारे त्याग और प्रेम का
क्या यही प्रतिकार है ?
हम नारी है जागीर नहीं
हमें भी स्वतंत्रता से जीने का , पूर्ण अधिकार है ।
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Re: हिन्दी प्रतियोगिता - स्वच्छ भारत , स्वच्छ विचार ( 02.10.2024 से 02.10.2025 तक)
Username: Ruchi Agarwal
Post no. 98
शीर्षक: समानता का अधिकार
समांतर हक का, इस दुनिया में
हर कोई हकदार है
पर नारी को देते हैं ऐसे
मानो...... कोई परोपकार है ।
औरत है ...... यह सोचकर
सब विनम्र हो जाते हैं
बेचारी समझकर , यथा श्रद्धा
दया भाव दिखलाते हैं ।
अकेले जीवन जी न सकेगी
डरकर इस अंजाम से
रक्षा हेतु सौंप है देते
हाथ किसी अनजान के ।
देख कर आंसू , आंखों में
समझे है अबला नारी
उसके दुखों पर , करते चर्चा
दयानिधे बनकर सारे ।
भूल गए नारी है शक्ति
वो है दुर्गा , है वही काली
पृथ्वी बनकर भार उठाए
है वही जन्म देने वाली ।
बांधकर पीठ पर नवजात शिशु को
वह युद्ध तलक लड़ जाती है
अपनी शक्ति से , हर क्षेत्र में
बड़ी सफलता पाती है ।
कोमल अंग और करूण स्वभाव
ये नारी का गहना है
जितनी शक्ति , नारी में होती
उसका तो बस...... क्या ही कहना है ।
ना चाहे वो भीख दया की
ना चाहे वो परोपकार ,
स्वयं गुनों की खान है वो
समानता का है उसे , पूर्ण अधिकार ।
Post no. 98
शीर्षक: समानता का अधिकार
समांतर हक का, इस दुनिया में
हर कोई हकदार है
पर नारी को देते हैं ऐसे
मानो...... कोई परोपकार है ।
औरत है ...... यह सोचकर
सब विनम्र हो जाते हैं
बेचारी समझकर , यथा श्रद्धा
दया भाव दिखलाते हैं ।
अकेले जीवन जी न सकेगी
डरकर इस अंजाम से
रक्षा हेतु सौंप है देते
हाथ किसी अनजान के ।
देख कर आंसू , आंखों में
समझे है अबला नारी
उसके दुखों पर , करते चर्चा
दयानिधे बनकर सारे ।
भूल गए नारी है शक्ति
वो है दुर्गा , है वही काली
पृथ्वी बनकर भार उठाए
है वही जन्म देने वाली ।
बांधकर पीठ पर नवजात शिशु को
वह युद्ध तलक लड़ जाती है
अपनी शक्ति से , हर क्षेत्र में
बड़ी सफलता पाती है ।
कोमल अंग और करूण स्वभाव
ये नारी का गहना है
जितनी शक्ति , नारी में होती
उसका तो बस...... क्या ही कहना है ।
ना चाहे वो भीख दया की
ना चाहे वो परोपकार ,
स्वयं गुनों की खान है वो
समानता का है उसे , पूर्ण अधिकार ।
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Re: हिन्दी प्रतियोगिता - स्वच्छ भारत , स्वच्छ विचार ( 02.10.2024 से 02.10.2025 तक)
Username: Ruchi Agarwal
Post no. 99
शीर्षक: हिंसा से मुक्ति
परिवर्तित हो गया जमाना
नए दौर का प्रचार है
पर कुछ क्षेत्र में , लगता है जैसे
कानून अब भी लाचार है ।
कहते हैं सब न्याय प्रणाली
नारी रक्षा को तत्पर है
पर पूर्णतः रूप से , नहीं आज भी
सुरक्षा सतत अग्रसर है ।
गुप्त रूप से , पर्दे के पीछे
अब भी हिंसा जारी है
डर कर जीती, महिलाएं आज भी
यह क्या निर्मम लाचारी है।
हो रही है हिंसा जानकर
मन जख्मी , हो जाए
आंखों से गर देख ले उनको
कलेजा ही पूरा, फट जाए ।
क्या दोष है उन स्त्रियों का
जिन्हें जलाया जाता है ,
चेहरे पर तेजाब फेंककर
उन्हें सताया जाता है ,
मारपीट कर , जिस्म पर उनके
जख्म बनाए जाते हैं ,
आबरू पर करके हमला
अनंत दर्द दे जाते हैं ।
शारीरिक घाव ,भले भर जाए
पर मन के घाव न भरते हैं
चुप्पी साधकर, जो देख रहे सब
जाने किस बात से डरते हैं ।
एकजुट होकर , सब मिलकर
जिस दिन आवाज उठाएंगे
उस दिन से हिंसा के मामले
कमतर होते चले जाएंगे ।
केवल कानूनी प्रयास से
गंतव्य ना सफल हो पाएगा
हिंसा मुक्ति के परिणाम मिलेंगे
जब समाज भी आवाज उठाएगा।
Post no. 99
शीर्षक: हिंसा से मुक्ति
परिवर्तित हो गया जमाना
नए दौर का प्रचार है
पर कुछ क्षेत्र में , लगता है जैसे
कानून अब भी लाचार है ।
कहते हैं सब न्याय प्रणाली
नारी रक्षा को तत्पर है
पर पूर्णतः रूप से , नहीं आज भी
सुरक्षा सतत अग्रसर है ।
गुप्त रूप से , पर्दे के पीछे
अब भी हिंसा जारी है
डर कर जीती, महिलाएं आज भी
यह क्या निर्मम लाचारी है।
हो रही है हिंसा जानकर
मन जख्मी , हो जाए
आंखों से गर देख ले उनको
कलेजा ही पूरा, फट जाए ।
क्या दोष है उन स्त्रियों का
जिन्हें जलाया जाता है ,
चेहरे पर तेजाब फेंककर
उन्हें सताया जाता है ,
मारपीट कर , जिस्म पर उनके
जख्म बनाए जाते हैं ,
आबरू पर करके हमला
अनंत दर्द दे जाते हैं ।
शारीरिक घाव ,भले भर जाए
पर मन के घाव न भरते हैं
चुप्पी साधकर, जो देख रहे सब
जाने किस बात से डरते हैं ।
एकजुट होकर , सब मिलकर
जिस दिन आवाज उठाएंगे
उस दिन से हिंसा के मामले
कमतर होते चले जाएंगे ।
केवल कानूनी प्रयास से
गंतव्य ना सफल हो पाएगा
हिंसा मुक्ति के परिणाम मिलेंगे
जब समाज भी आवाज उठाएगा।
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- Joined: Fri Sep 06, 2024 11:27 pm
Re: हिन्दी प्रतियोगिता - स्वच्छ भारत , स्वच्छ विचार ( 02.10.2024 से 02.10.2025 तक)
Username: Ruchi Agarwal
Post no. 100
शीर्षक: खट्टा मीठा रिश्ता
पल में झगड़ा ,पल में प्रेम
कैसा है इनका वास्ता
भाई बहन के रिश्ते की है
खट्टी मीठी दास्तां।
बचपन में तिनके-तिनके पर
युद्ध बड़े छिड़ जाते थे
छोटी-छोटी बातों पर
इक दूजे से चिढ़ जाते थे ।
एक दूजे की हक की चीजें
लुक छिप कर खा जाते थे
की हुई गलती के इल्जाम
एक दूजे पर लगाते थे ।
दोष कभी जो हुआ किसी से
चुगली छिपकर कर जाते थे
'अब देखना बच्चू' की धमकी
इशारों से समझाते थे ।
कुत्ते बिल्ली के जैसे
लड़कर आधे हो जाते थे
पर लड़ाई शुरू हुई किस बात पर
वह कारण ही भूल जाते थे ।
बारिश का मौसम आने पर
कागज की नाव बनाते थे
अपनी नांव तैराकर
इक दूजे की डुबाते थे ।
बीता समय सब बड़े हो गए
धूमिल हो गई नादानियां
अब पहले जैसी नहीं बात वो
कम हो गई शैतानियां ।
है छुटती नहीं बस कम हो जाती
बचपन की अति
क्योंकि लड़ने को फिर मिल जाते हैं
भाई को पत्नी और बहन को पति ।
Post no. 100
शीर्षक: खट्टा मीठा रिश्ता
पल में झगड़ा ,पल में प्रेम
कैसा है इनका वास्ता
भाई बहन के रिश्ते की है
खट्टी मीठी दास्तां।
बचपन में तिनके-तिनके पर
युद्ध बड़े छिड़ जाते थे
छोटी-छोटी बातों पर
इक दूजे से चिढ़ जाते थे ।
एक दूजे की हक की चीजें
लुक छिप कर खा जाते थे
की हुई गलती के इल्जाम
एक दूजे पर लगाते थे ।
दोष कभी जो हुआ किसी से
चुगली छिपकर कर जाते थे
'अब देखना बच्चू' की धमकी
इशारों से समझाते थे ।
कुत्ते बिल्ली के जैसे
लड़कर आधे हो जाते थे
पर लड़ाई शुरू हुई किस बात पर
वह कारण ही भूल जाते थे ।
बारिश का मौसम आने पर
कागज की नाव बनाते थे
अपनी नांव तैराकर
इक दूजे की डुबाते थे ।
बीता समय सब बड़े हो गए
धूमिल हो गई नादानियां
अब पहले जैसी नहीं बात वो
कम हो गई शैतानियां ।
है छुटती नहीं बस कम हो जाती
बचपन की अति
क्योंकि लड़ने को फिर मिल जाते हैं
भाई को पत्नी और बहन को पति ।
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- बड़ा हो रिया हूं।
- Posts: 12
- Joined: Sat Jan 25, 2025 10:17 am
Re: हिन्दी प्रतियोगिता - स्वच्छ भारत , स्वच्छ विचार ( 02.10.2024 से 02.10.2025 तक)
युजर नाम -: प्रवीण दानोदिया
पोस्ट नबर -: 05
शीर्षक -: आया होली रा त्यौहार
रंगो का त्यौहार आया
खुशियां संग अपार लाया।
सबके मुंह कर दो लाल
होली का त्यौहार आया।
रंगो का बरसात हुआ है
ढोल मंजीरों संग फाग हुआ।
गले मिले सब दे बधाई
होली का त्यौहार आया ।
लाल, पीले, हरे, नीले
सब रंगो का बौछार हुआ।
हर तरफ उड़ रहा गुलाल
होली का त्यौहार आया ।
बरस बरस पे दिन आया
सब का मन गुलजार हुआ है
बैर भाव ना रहे किसी से
होली का त्यौहार आया।
पोस्ट नबर -: 05
शीर्षक -: आया होली रा त्यौहार
रंगो का त्यौहार आया
खुशियां संग अपार लाया।
सबके मुंह कर दो लाल
होली का त्यौहार आया।
रंगो का बरसात हुआ है
ढोल मंजीरों संग फाग हुआ।
गले मिले सब दे बधाई
होली का त्यौहार आया ।
लाल, पीले, हरे, नीले
सब रंगो का बौछार हुआ।
हर तरफ उड़ रहा गुलाल
होली का त्यौहार आया ।
बरस बरस पे दिन आया
सब का मन गुलजार हुआ है
बैर भाव ना रहे किसी से
होली का त्यौहार आया।
-
- बड़ा हो रिया हूं।
- Posts: 12
- Joined: Sat Jan 25, 2025 10:17 am
Re: हिन्दी प्रतियोगिता - स्वच्छ भारत , स्वच्छ विचार ( 02.10.2024 से 02.10.2025 तक)
युजर नाम -: प्रवीण दानोदिया
पोस्ट नबर -: 05
शीर्षक -: पियाँ घरा पधारों
गौरी -: पियाँ जी थे भूल गया घर नार
आयो होळी रों त्यौहार,
पियाँ -: गौरी म्हारे नौकरी रों घ्यार,
किया आवु घर नार,
आयो होळी रों त्यौहार........
गौरी थारी बाट जोवै ओ थे,
कद आस्यो घर बहार,
पियाँ -: गौरी मै तो तड़के होऊ तैयार
पण छुट्टी मिले ना चार,
आयो होळी रों त्यौहार,.....
गौरी -: पियाँ जी थे तो घरा पधारों नी थारी तड़फ
रही घर नार ,
पियाँ -: गौरी आपणी प्रीत पुराणी ए, खेळा होली रों त्यौहार,
आयो होळी रों त्यौहार,.....
गौरी -: बाल्मा जाणु हु थाने, थे हो घणा तड़ी पार,
पियाँ -: स्याणी सुणो थे मेरी बात, जीवड़ो मेरो भी
बैकरार,
आयो होळी रों त्यौहार,......
गौरी -: बाल्मा बेगा आओ जी मस्ती रा दिनडा बच्या है चार
पियाँ -; लाडो रानी जल्दी आउ ए खेळा होली रों त्यौहार ,
आयो होळी रों त्यौहार,
गौरी -: स्याणो भूल बैठया करार थे, आया नी घर बहार,
पियाँ -: गौरी ना भुल्यो करार , आऊ उगतड़े प्रभात
आयो होळी रों त्यौहार,......
पियाँ -: गौरी दानोदिया सुणावे ए, प्रवीण लिख लिख बतावे बात,
गौरी -: पियाँ जी थे भूल गया घर नार
आयो होळी रों त्यौहार,
प्रवीण दानोदिया सेहला
पोस्ट नबर -: 05
शीर्षक -: पियाँ घरा पधारों
गौरी -: पियाँ जी थे भूल गया घर नार
आयो होळी रों त्यौहार,
पियाँ -: गौरी म्हारे नौकरी रों घ्यार,
किया आवु घर नार,
आयो होळी रों त्यौहार........
गौरी थारी बाट जोवै ओ थे,
कद आस्यो घर बहार,
पियाँ -: गौरी मै तो तड़के होऊ तैयार
पण छुट्टी मिले ना चार,
आयो होळी रों त्यौहार,.....
गौरी -: पियाँ जी थे तो घरा पधारों नी थारी तड़फ
रही घर नार ,
पियाँ -: गौरी आपणी प्रीत पुराणी ए, खेळा होली रों त्यौहार,
आयो होळी रों त्यौहार,.....
गौरी -: बाल्मा जाणु हु थाने, थे हो घणा तड़ी पार,
पियाँ -: स्याणी सुणो थे मेरी बात, जीवड़ो मेरो भी
बैकरार,
आयो होळी रों त्यौहार,......
गौरी -: बाल्मा बेगा आओ जी मस्ती रा दिनडा बच्या है चार
पियाँ -; लाडो रानी जल्दी आउ ए खेळा होली रों त्यौहार ,
आयो होळी रों त्यौहार,
गौरी -: स्याणो भूल बैठया करार थे, आया नी घर बहार,
पियाँ -: गौरी ना भुल्यो करार , आऊ उगतड़े प्रभात
आयो होळी रों त्यौहार,......
पियाँ -: गौरी दानोदिया सुणावे ए, प्रवीण लिख लिख बतावे बात,
गौरी -: पियाँ जी थे भूल गया घर नार
आयो होळी रों त्यौहार,
प्रवीण दानोदिया सेहला