प्रसिद्ध हिंदी कविता के बोल

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Warrior
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Joined: Mon Jul 29, 2024 8:39 pm

प्रसिद्ध हिंदी कविता के बोल

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हिंदी साहित्य में कई प्रसिद्ध कविताएँ हैं जो अपने गहन भावनाओं, सजीव चित्रण और उत्कृष्ट भाषा के लिए जानी जाती हैं। यहाँ कुछ प्रसिद्ध हिंदी कविताओं के अंश प्रस्तुत हैं:

1. मधुशाला - हरिवंश राय बच्चन
```
मृदु भावों के अंगूरों की आज बना लाया हाला,
प्रियतम, अपने ही हाथों से आज पिलाऊँगा प्याला।
प्रथम मिलन की बेला में यदि, प्रियतम, यह प्याला खाली,
फिर न कहना मेरे अधरों से पाई मधुशाला।।
```

2. अग्नि-वर्षा - रामधारी सिंह 'दिनकर'
```
सदा रही है किन्तु पूजनी,
अंधकार की देवी रात।
सारा आकाश दीप्त है अब,
जाग उठी है आलोक-शक्ति।।
```

3. वह तोड़ती पत्थर - सुभद्रा कुमारी चौहान
```
वह तोड़ती पत्थर,
देखा मैंने इलाहाबाद के पथ पर।
वह तोड़ती पत्थर।
```

4. खुदी को कर बुलंद इतना - इक़बाल
```
खुदी को कर बुलंद इतना कि हर तकदीर से पहले,
खुदा बंदे से खुद पूछे, बता तेरी रज़ा क्या है।
```

5. सरफ़रोशी की तमन्ना - बिस्मिल अज़ीमाबादी
```
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है,
देखना है ज़ोर कितना बाज़ु-ए-कातिल में है।
```

6. पुष्प की अभिलाषा - माखनलाल चतुर्वेदी
```
चाह नहीं मैं सुर्नग भि का सोना पाऊं।
चाह नहीं मैं सुर्नलताओं में बंध-प्यारी को नचाऊं।
चाह नहीं, सम्राटों के शव पर हे हरि, डाला जाऊं।
चाह नहीं, देवों के सिर पर चढूं, भाग्य पर इठलाऊं।
मुझे तोड़ लेना बनमाली, उस पथ पर देना तुम फ
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