अंडमान और निकोबार द्वीप समूह की स्थानीय जनजातियों की आकर्षक मौखिक कहानियाँ और लोककथाएँ

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Warrior
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Joined: Mon Jul 29, 2024 8:39 pm

अंडमान और निकोबार द्वीप समूह की स्थानीय जनजातियों की आकर्षक मौखिक कहानियाँ और लोककथाएँ

Post by Warrior »

अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह की जनजातियों की मौखिक कहानियाँ और लोककथाएँ अत्यंत रोचक और रहस्यमयी होती हैं। इन कहानियों और लोककथाओं के माध्यम से आदिवासी समुदाय अपनी परंपराओं, विश्वासों, और जीवन की गहरी समझ को व्यक्त करते हैं।

धरती और आकाश की उत्पत्ति की कथा
जारवा जनजाति की एक प्रसिद्ध कथा में धरती और आकाश की उत्पत्ति का वर्णन है। इस कथा के अनुसार, प्रारंभ में सब कुछ जल में डूबा हुआ था। एक दिन एक विशालकाय कछुआ समुद्र से निकला और अपनी पीठ पर मिट्टी और पत्थर जमा कर दिए। यह कछुआ ही धरती का आधार बना। फिर आकाश में एक विशाल पक्षी ने अपने पंख फैलाए और आकाश का निर्माण हुआ। धरती और आकाश के इस निर्माण से जीवन की शुरुआत हुई।

ओंगे जनजाति की समुद्र की कथा
ओंगे जनजाति की एक प्रसिद्ध कथा समुद्र के जन्म और उसके महत्व को बताती है। इस कथा के अनुसार, एक समय जब कोई समुद्र नहीं था, तब एक विशाल सर्प ने धरती के चारों ओर लिपटकर इसे कसकर पकड़ लिया था। धीरे-धीरे सर्प ने अपनी पकड़ ढीली की, और उसके छोड़े गए स्थान पर पानी जमा होने लगा। इस प्रकार समुद्र का निर्माण हुआ। ओंगे जनजाति के लोग इस कथा को समुद्र के प्रति अपने सम्मान और भय को प्रकट करने के लिए सुनाते हैं।

शॉम्पेन जनजाति की प्रेम कथा
शॉम्पेन जनजाति की प्रेम कथाएँ भी बहुत प्रचलित हैं। इनमें से एक कथा में एक शॉम्पेन युवक और एक युवती की प्रेम कहानी है। ये दोनों अलग-अलग कबीले से थे और उनके प्रेम को समाज ने स्वीकार नहीं किया। इसलिए वे दोनों जंगल में भाग गए और एक पहाड़ी के ऊपर जाकर छिप गए। उनका प्रेम इतना गहरा था कि वे दोनों वहीं पत्थर में बदल गए। आज भी शॉम्पेन जनजाति के लोग उस पहाड़ी को पवित्र मानते हैं और वहां जाकर उनकी पूजा करते हैं।

ग्रेट अंडमानीज़ जनजाति की शिकार की कथा
ग्रेट अंडमानीज़ जनजाति में शिकार की एक रोमांचक कथा सुनाई जाती है। इस कथा के अनुसार, एक बार एक शिकारी ने एक विशालकाय जंगली सुअर का पीछा किया। सुअर ने शिकारी को बहुत दूर तक जंगल में दौड़ाया। जब शिकारी सुअर को पकड़ने में असफल रहा, तो उसने अपनी बुद्धिमानी से एक जाल बिछाया और सुअर को उसमें फंसा लिया। यह कथा जनजाति के बच्चों को धैर्य और चतुराई का महत्व सिखाने के लिए सुनाई जाती है।

इन कहानियों के माध्यम से जनजातियाँ अपनी सांस्कृतिक धरोहर, ज्ञान और परंपराओं को संरक्षित करती हैं। ये कहानियाँ न केवल मनोरंजन का साधन हैं, बल्कि इनसे जीवन के गहरे सबक भी मिलते हैं। अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह के जनजातीय साहित्य में इन मौखिक परंपराओं का एक महत्वपूर्ण स्थान है, और ये पीढ़ी दर पीढ़ी सौंपी जाती हैं।
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