ओलंपिक मेडल जीतते ही रातों-रात बदली इस एथलीट की किस्मत, सरकारी नौकरी में मिल गया ये खास पद

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Realrider
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ओलंपिक मेडल जीतते ही रातों-रात बदली इस एथलीट की किस्मत, सरकारी नौकरी में मिल गया ये खास पद

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ओलंपिक 2024 का आयोजन फ्रांस की राजधानी पेरिस में किया गया। ओलंपिक में इस बार भारत ने 6 मेडल जीते हैं। भारत में ओलंपिक मेडल विजेता खिलाड़ियों का जोरदार स्वागत किया गया। वहीं एक एथलीट ऐसा भी रहा जिसे सरकारी नौकरी में गजब का फायदा हुआ है। यह एथलीट कोई और नहीं बल्कि पेरिस ओलंपिक 2024 में भारत को गौरवान्वित करने वाले युवा पहलवान अमन सहरावत हैं। उन्होंने इतिहास रचते हुए 57 किग्रा फ्रीस्टाइल कुश्ती में कांस्य पदक जीता था। उनकी इस उपलब्धि के बाद उत्तर रेलवे ने उन्हें प्रमोशन देते हुए विशेष ड्यूटी अधिकारी (ओएसडी) के पद पर नियुक्त किया है। मात्र 21 साल की उम्र में ओलंपिक पदक जीतकर अमन भारत के सबसे कम उम्र के ओलंपियन बने थे।

अमन सहरावत की उपलब्धि
अमन सहरावत ने पेरिस ओलंपिक में छत्रसाल स्टेडियम की परंपरा को आगे बढ़ाते हुए भारत के लिए कुश्ती का पहला पदक जीता। 11 साल की उम्र में अपने माता-पिता को खोने के बाद भी उन्होंने अपने सपनों को नहीं छोड़ा और कड़ी मेहनत के बल पर सफलता हासिल की। पेरिस ओलंपिक में अमन ने कांस्य पदक प्ले-ऑफ में प्यूर्टो रिको के पहलवान डेरियन टोई क्रूज को 13-5 से हराया और 21 साल और 24 दिन की उम्र में देश के सबसे कम उम्र के ओलंपिक पदक विजेता बने। इस तरह उन्होंने पी.वी. सिंधु का रिकॉर्ड तोड़ा, जिन्होंने 21 वर्ष 1 माह और 14 दिन की उम्र में रजत पदक जीता था।

उत्तर रेलवे ने दिया सम्मान
अमन की इस खास उपलब्धि के बाद उत्तर रेलवे ने उन्हें विशेष ड्यूटी अधिकारी (ओएसडी) के पद पर प्रमोट किया है। उत्तर रेलवे मुख्यालय में आयोजित एक सम्मान समारोह में जेनरल मैनेजर शोभन चौधरी ने उन्हें प्रशंसा पत्र दिया। इस अवसर पर प्रमुख मुख्य कार्मिक अधिकारी सुजीत कुमार मिश्रा ने भी अमन की तारीफ की और उनकी मेहनत को सराहा। रेलवे ने अमन की इस उपलब्धि को पूरे देश के लिए गर्व का विषय बताया।

अन्य एथलीटों को भी प्रमोशन
अमन सहरावत के साथ ही ओलंपिक में कांस्य पदक जीतने वाले एक अन्य एथलीट स्वप्निल कुसाले को भी रेलवे ने दोहरी प्रमोशन दी है। उन्होंने 50 मीटर राइफल 3 पोजीशन इवेंट में ऐतिहासिक पदक जीता और टीटीई से ओएसडी के पद पर पदोन्नत हुए। अमन सहरावत की इस उपलब्धि ने न केवल देश को गर्व का अनुभव कराया, बल्कि युवा खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत भी बना। उनकी कहानी बताती है कि कठिन परिस्थितियों के बावजूद, यदि इरादे मजबूत हों, तो कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं है।
Source: https://www.indiatv.in/sports/other-spo ... 16-1068079
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