भारत में कला का "स्वर्णकाल" (Golden Period) आमतौर पर गुप्त साम्राज्य के काल को माना जाता है, जो लगभग 4वीं से 6वीं शताब्दी तक फैला हुआ था। इस काल को भारतीय कला और सांस्कृतिक पुनर्जागरण का स्वर्ण युग कहा जाता है। गुप्त काल के दौरान, भारतीय चित्रकला, मूर्तिकला, और वास्तुकला में असाधारण उन्नति हुई।
इस काल में अजंता-एलोरा की गुफाओं की चित्रकला, जिसमें बौद्ध भिक्षुओं द्वारा बनाए गए अद्वितीय चित्र शामिल हैं, ने भारतीय चित्रकला को एक नई दिशा दी। इसी समय, प्राचीन भारतीय मूर्तिकला में भी बड़ी प्रगति हुई, जैसे कि गुप्त काल की बौद्ध और हिंदू मूर्तियाँ, जो समृद्ध शिल्पकला और भावनात्मक गहराई का प्रतीक हैं।
इसके अलावा, गुप्त काल के दौरान, भारतीय वास्तुकला ने भी महत्वपूर्ण विकास किया, जिसमें सुंदर मंदिरों और स्तूपों का निर्माण हुआ। इस काल की कला ने भारतीय संस्कृति और धार्मिक परंपराओं को एक स्थायी और गौरवपूर्ण रूप प्रदान किया, जिससे यह काल भारतीय कला का स्वर्णकाल माना जाता है।
भारत में कला का स्वर्णिम काल कौन सा है?
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Re: भारत में कला का स्वर्णिम काल कौन सा है?
गुप्त साम्राज्य काल में कला का अद्वितीय विकास देखने को मिलता है। इस काल में भारतीय कला संस्कृति ने पुनर्जन्म लिया था।भारतीय चित्रकला मूर्तिकला, वास्तुकला ,की असाधारण उन्नति हुई। भारतीय मूर्ति कला में एक बार फिर स्फूर्ति देखने को मिली ,इस काल में मंदिरों स्तूपों का निर्माण हुआ। जितनी प्रगति हर क्षेत्र में इस काल में हुई, उतनी अन्य किसी काल में नहीं हुई। इस काल में हुए अद्वितीय विकास को देखते हुए इसे कला का स्वर्ण काल कहना कोई अनुचित बात नहीं है।