सोशल मीडिया पर पटना वाले खान सर का एक वीडियो काफी वायरल हो रहा है। वीडियो में वो सभी छात्राएं नजर आ रही हैं जो उन्हें राखी बांधने के लिए उनसे मिलने पहुंची हैं।
पटना वाले 'खान सर' की कलाई पर 10 हजार से अधिक छात्राओं ने बांधी राखी, हाथ उठा पाना भी हुआ मुश्किल; देखें Video
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Re: पटना वाले 'खान सर' की कलाई पर 10 हजार से अधिक छात्राओं ने बांधी राखी, हाथ उठा पाना भी हुआ मुश्किल; देखें Video
खान सर एक बहुत अच्छे इंसान हैं जिनके पढ़ने का तरीका बिल्कुल ही नायाब है और यह अपने सभी विद्यार्थियों को एक परिवार की भांति ही समझते हैं और वास्तविक रूप से जिन्हें ना पता हो या गरीब तब के किन्ना युवक नवयुतियां जिनके अंदर प्रतिभा है उनको मुफ्त शिक्षा और रहने आदि की व्यवस्था भी देते हैं और निजी रूप से भी भूतों की मदद यह करते रहते हैं।
और शायद यही परिणाम है कि हर वर्ष और हर सेशन में उनके साथ हजारों लाखों की तादाद में अब विद्यार्थी जोड़ने लगे हैं और ऑनलाइन मीडिया प्लेटफॉर्म पर अपनी उपलब्धि दर्ज करने के बाद इनके प्रशंस को और उनके विद्यार्थियों की संख्या में बहुत तेजी से विकास हुआ है।
अपने उच्च स्तरीय समाज सेवा के कार्य करके यह देश में अपना एक मुकाम हासिल कर रखे हैं जहां इंसान को अब जाट पार्टी आदि से दूर होते हुए देश के विकास और उत्थान में अपना जितना भी सहयोग हो सके करना चाहिए क्योंकि ईश्वर ने अगर आपको काबिलियत दी है तो उसका सदुपयोग करें और दूसरे जो उसे न कर पाने में सक्षम है उनकी मदद करके उनके भी जीवन रेखा को ऊपर उठकर एक बहुत ही महान कार्य हम कर सकते हैं।
और शायद यही परिणाम है कि हर वर्ष और हर सेशन में उनके साथ हजारों लाखों की तादाद में अब विद्यार्थी जोड़ने लगे हैं और ऑनलाइन मीडिया प्लेटफॉर्म पर अपनी उपलब्धि दर्ज करने के बाद इनके प्रशंस को और उनके विद्यार्थियों की संख्या में बहुत तेजी से विकास हुआ है।
अपने उच्च स्तरीय समाज सेवा के कार्य करके यह देश में अपना एक मुकाम हासिल कर रखे हैं जहां इंसान को अब जाट पार्टी आदि से दूर होते हुए देश के विकास और उत्थान में अपना जितना भी सहयोग हो सके करना चाहिए क्योंकि ईश्वर ने अगर आपको काबिलियत दी है तो उसका सदुपयोग करें और दूसरे जो उसे न कर पाने में सक्षम है उनकी मदद करके उनके भी जीवन रेखा को ऊपर उठकर एक बहुत ही महान कार्य हम कर सकते हैं।
"जो भरा नहीं है भावों से, जिसमें बहती रसधार नहीं, वह हृदय नहीं पत्थर है, जिसमें स्वदेश का प्यार नहीं"