' मेरा प्रिय ' प्रतियोगिता

www.HindiDiscussionForum.com में रजिस्टर करें और अपने username के साथ विभिन्न बाल प्रतियोगिताओं में शामिल हो कर शर्तिया प्रोत्साहन पुरुस्कार प्राप्त करें!
AdminV
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' मेरा प्रिय ' प्रतियोगिता

Post by AdminV »

प्रतियोगिता में सम्मिलित होने की आरंभ तिथि (Starting Date of Entering into this competition ) : ०१ .०९.२०२४
प्रतियोगिता में सम्मिलित होने की अंतिम तिथि (Deadline/ Last Date of Entering into this competition ) : Ended

प्रतियोगिता के नियम :

१.[nturl] www.HindiDiscussionForum.com [/nturl]में रजिस्टर करें और अपने username के साथ विभिन्न बाल प्रतियोगिताओं में शामिल हो।

२. निम्नलिखित में से किसी भी एक विषय पर हिन्दी (देव-नागरी लिपि) में अपने विचार प्रस्तुत करें:

* मेरा/मेरी प्रिय भाषा
* मेरा/मेरी प्रिय पुस्तक
* मेरा/मेरी प्रिय कवि/कवयित्री
* मेरा/मेरी प्रिय लेखक/लेखिका
* मेरा/मेरी प्रिय कविता
* मेरा/मेरी प्रिय कहानी
* मेरा/मेरी प्रिय उपन्यास
* मेरा/मेरी प्रिय समाचार पत्र
* मेरा/मेरी प्रिय ............ (स्वेच्छा से विषय का चयन करें और लिखे)


* शब्द सीमा - तकरीबन ५० से ५०० के आस पास
शब्द सीमा के नियम का पालन करने की कोई विशेष आवश्यकता नहीं है। बस जो भी लिखे और जितना भी लिखे, मन से लिखने का प्रयास करें।

प्रतियोगिता का परिणाम हिन्दी दिवस १४.०९.२०२४ को इसी थ्रेड में प्रकाशित किया जाएगा ।

पुरुस्कार :

* प्रथम १०० प्रतियोगियों/participants को एक हास्य कविता की पुस्तक दी जाएगी जिसमे करीबन 30 मजेदार हास्य कविताओं का संकलन है । पुस्तक प्राप्त करने के लिए अपना पूरा नाम और पता (पिन कोड सहित ) आप हमें creativeurja @ gmail dot com पर भेज सकते है । आपका email प्राप्त होते ही जल्द से जल्द पुस्तक आपके पते पर रेजिस्टर्ड डाक से प्रेषित कर दी जाएगी ।

* १० चुनिंदा प्रविष्टियों (प्रत्येक) को रुपये ५०१ /- (पाँच सौ एक मात्र) का नकद पुरुस्कार दिया जाएगा ।
* ५० चुनिंदा प्रविष्टियों (प्रत्येक) को तकरीबन रुपये २५०/- (दो सौ पचास मात्र) के गिफ्ट हेम्परस भेंट किए जाएंगे ।


sample post
username : adminv


विषय : मेरा प्रिय लेखक

मेरे प्रिय लेखक मुंशी प्रेमचंद है।

उन्हे हिन्दी उपन्यास सम्राट भी माना जाता है। मैंने उनके बहुत से उपन्यास और कहानियाँ पढ़ी है। मुझे उनकी सरल भाषा शैली बहुत भाती है। उनके लेखन में आम आदमी के जीवन की झलक मिलती है। उनकी रचनाओं में उनका मानोवैज्ञानिक विश्लेषण मुझे विशेष रूप से पसंद है।

मुझे लगता है की हिन्दी में और भी कई उम्दा लेखक है पर चूंकि मैंने शुरू से ही उनका नाम बहुत सुना है और मेरे स्कूल के दिनों में भी उनकी बहुत सी कहानियाँ हमारे पाठ्यक्रम में थी, शायद यहीं वजह है की मेरा उनसे कुछ विशेष स्नेह है !


Note:


* सभी प्रतियोगियों को अपनी प्रविष्टि इसी थ्रेड में करनी है। अतः कृपया इस थ्रेड का प्रयोग सिर्फ अपनी प्रविष्टि को पोस्ट करने के लिए ही करें । कोई भी अन्य सवाल यहां पूछे:
[nturl]https://www.hindidiscussionforum.com/viewtopic.php?t=8
[/nturl]
* प्रविष्टि के लिए कृपया ऊपर दिए गए sample post का प्रारूप follow करें ।

* Those Hindi lovers, who, for some reason or the other, are not able to write in Dev-Nagari (most probably because they are not well versed with the script) can also participate in this competition by writing Hindi in Roman like this - ' Mere priya lekhak Munshi Premchand Hai.... '

* Please subscribe to this topic thread in order to recieve regular updates on it.
कृपया इस विषय पर रेगुलर अपडेट्स पाने के लिए इस थ्रेड को सब्सक्राइब करें।




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प्रथम १०० entries को प्रोत्साहन स्वरूप हास्य कविता की एक पुस्तक प्रेषित की जा रही है। कृपया मूल पोस्ट पर दिए गए ईमेल पते पर हमें मांगी गई जानकारी के साथ संपर्क करें।
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Http://Hindidiscussionforum.com

हिंदी है हम, वतन हैं हिंदुस्तान हमारा!
Rajni.Bhaskar
Posts: 1
Joined: Thu Sep 05, 2024 8:02 pm

Re: ' मेरा प्रिय ' प्रतियोगिता

Post by Rajni.Bhaskar »

आप सभी को नमस्कार!
हिंदी पटल पर इस मौके को देने के लिए आभार|
मेरा नाम रजनी भास्कर है| मैं पेसे से एक कवियत्री हूँ|

मैं अपनी एक प्रिय कविता आप सभी से साझा करना चाहूंगी|

मेरी प्रिय कविता

जिसको सुनकर आंखें खोली
जो पग पग साथ रही
रग रग में बसी
भावों में, जज़बातों में
तुझ ही को जिया मैंने
कभी पढ़ा,तो कभी लिखा मैंने
मेरे ज्ञान चक्षु खोलती
मुझ में ज्ञान की गंगा भरती
सच कहूं तुझ बिन कुछ
और भाया ही नहीं
हे मातृभाषा हिंदी !
मेरा अस्तित्व है तुझसे
बसा प्राणों में तेरा प्रेम है
इस गंगा से जो ग्रहण किया
वह सब तेरी देन है
हर दिन हर पल
तुझे समर्पित
मेरा वजूद
तुझ पर अर्पित
हे मां बोली !
शत-शत नमन तुझे
मुझ पर उपकार तेरा
मिली जो तेरी छत्रछाया
गर्व है मुझे
मैं हिंद वासी हूं,
मैं हिंदी भाषी हूं
भाग्यशाली मैं
इस समृद्धि का वारिस मैं
विरासत को ही संभालना है मुझे
निराला, दिनकर ,महादेवी ,अज्ञेय की
कलम को आगे ले जाना है मुझे
स्वयं कैसे सम्मान पाओगे?
जो मातृ भाषा को ठुकराओगे
हिंदी, हिंद का मान है,
सम्मान है
अब इससे ज्यादा
क्या कहूं
हिंदी मेरी मां के
समान है।

रजनी भास्कर 'नाम्या'




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आभार रजनी जी,

आपको प्रोत्साहन स्वरूप हास्य कविता की पुस्तक एवं 250/- रुपये मूल्य का गिफ्ट हेम्पर प्रेषित किया जाएगा।

कृपया अपना पूरा पता थ्रेड की मूल पोस्ट पर दिए गए ईमेल में भेजने का कष्ट करें।

आप सभी को हिन्दी दिवस की शुभकामनाएं ।
Sanjana
Posts: 1
Joined: Thu Sep 05, 2024 7:27 pm

Re: ' मेरा प्रिय ' प्रतियोगिता

Post by Sanjana »

मेरा प्रिय प्रतियोगिता
इस पटल पर मौका देने के लिए आभार

मेरा नाम संजना पोरवाल है। मैं पेशे से कवियत्री हूं।
मैं अपनी एक की कविता सभी से साझा करना चाहूंगी।

मेरी प्रिय कविता

विश्व के मानपटल पर हिंदी शोभायमान है।
हिंदी के प्रचार -प्रसार की जरूरत आज है।
हिंदी को लेकर लोगों में आ गया तुच्छ भाव है।
हिंदी बोलना आज कुछ लोगो के लिए शर्म की बात है।
हिंदी भाषी को समझा जाता अल्पज्ञ आज है।
हमारी मातृभाषा पिछड़ रही आज है।
हर जगह अंग्रेजी का बोलबाला आज है।
हिंदी को बचाना सभी का कर्तव्य आज है।
हिंदी को वापस दिलाना उसका खोया हुआ सम्मान है।
हिंदी से ही हिंदुस्तान है।
हिंदी हर भारतवासी का अभिमान है।
हिंदी से ही भारत की पहचान है।



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आभार संजना जी,

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आप सभी को हिन्दी दिवस की शुभकामनाएं ।
हरिकेश शर्मा
Posts: 1
Joined: Thu Sep 05, 2024 8:23 pm

Re: ' मेरा प्रिय ' प्रतियोगिता

Post by हरिकेश शर्मा »

हिंदी दिवस पर कविता मेरी कलम से ...
हिंदी हिंदुस्तान हमारा
प्यारा हिंदुस्तान हमारा
हिंदी को हम अपनाएंगे
गीत इसी के हम गायेंगे
हिंदीमय होगा जग सारा
प्यारा हिंदुस्तान हमारा....
ऋषियों ने इसको अपनाया
वेद शास्त्र इसमें समझाया
हिंदी का हो ध्येय हमारा
प्यारा हिंदुस्तान हमारा....
सर्वप्रथम मां ने बतलाई
गुरुजन ने पढ़नी सिखलाई
हम सबका है एक ही नारा
हिंदी हिंदुस्तान हमारा
प्यारा हिंदुस्तान हमारा.....
आओ हम इतिहास रचाएं
देश को हिंदू राष्ट्र बनाएं
हिंदू ही धर्म हमारा
प्यारा हिंदुस्तान हमारा
हिंदी हिंदुस्तान हमारा.......
✍️ हरिकेश शर्मा.....


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आभार हरिकेश जी,

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MukeshSonkar1008
Posts: 1
Joined: Fri Sep 06, 2024 12:49 pm

Re: ' मेरा प्रिय ' प्रतियोगिता

Post by MukeshSonkar1008 »

Username: MukeshSonkar1008

हिन्दी दिवस विशेष मेरी लिखी हुई कविता सादर प्रेषित

मेरी प्रिय भाषा: हिन्दी
विधा: कविता
शीर्षक: हमारी राष्ट्रभाषा हिन्दी

"हमारी राष्ट्रभाषा हिन्दी"

चाहे हों हम हिंदू मुस्लिम सिख या ईसाई।
भारत माता की संतानें हम सब हैं भाई भाई।

एक हमारी रगों में बहता खून और एक हैं हमारे रंग रूप।
चांद देता बराबर चांदनी सूरज भी देता सबको समान धूप।

सब कुछ देने वाले ईश्वर जब वो हममें अंतर नहीं करते हैं।
जाति-धर्म भाषा-बोली के भेदभाव रख फिर हम क्यों जलते हैं।

अलगाववादी सोचों को त्यागकर एकता की मिसाल धरो।
भारत के विकास के लिए तुम मिल जुलकर निरंतर प्रयास करो।

होंगे भले हम कहीं के भी वासी सबसे पहले हैं भारत वासी।
इसलिए हिन्दी हमारी राष्ट्रभाषा और हम सब हैं हिन्दी भाषी।

सीखो सीखने को सारी भाषाएं पर राष्ट्रभाषा का सम्मान करो।
घर में बोलो अपनी भाषा पर समूहों में हिन्दी वार्तालाप करो।

जाति धर्म और समुदायों की सांप्रदायिक सोच को भुला दो।
देश के नागरिक ही नहीं पूरी दुनिया को हिन्दी में बुलवा दो।।
स्वरचित एवं मौलिक रचना......
✍️ मुकेश कुमार सोनकर,
रायपुर छत्तीसगढ़


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आभार मुकेश जी,

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Salil24
Posts: 1
Joined: Thu Sep 05, 2024 8:30 pm

Re: ' मेरी प्रिय ' कविता

Post by Salil24 »

बोलना तो चाहता हूँ बोल मैं सकता नहीं
अश्रुपूरित नेत्र-मोती तोल मैं सकता नहीं
नींद से निजात पाना चाहती है आँख भी
कमबख्त स्वप्न है कि तोड़ मैं सकता नहीं

चाहता तो तोड़ लाता आसमाँ से चाँद-तारे
पर हमारे बहन-भाई अब रहे किसके सहारे
ये जिंदगी अब बन गई है आंसुओ की सिंधु
दो घूँट लेता रोज हूँ जब प्यास का एहसास मारे

संसार सागर है दुःखों का,जुमले बहुत पहले सुने थे
बचपन में हमने भी सुखों के,सपने बहुत पहले बुने थे
सोचता था छाँव वाली इक नई मंज़िल मिलेगी
औ बनेगा स्वर्ग जीवन इसलिए मधुबन चुने थे

मधुमास पतझर में बदलकर जाने कब मधुबन गया
जो खिले थे फूल सारे सूख करके झर गया
दूर तक फैली रही अब भी चमन में खशबुएँ
मैं गीत गाता ही रहा वो मन जनों का हर गया

------ सौरभ सलिल


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आभार सौरभ जी,

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Rohit pushpad17
Posts: 1
Joined: Fri Sep 06, 2024 11:38 pm

जीवन एक उम्मीदों का सफ़र

Post by Rohit pushpad17 »

ज़िंदगी कहूँ या उम्मीदों का सफ़र,
ख़्वाब पूरा करूँ माता पिता का,
इस बात की उम्मीद है।
हर मुश्किल पार करनी है,
ये भी एक उम्मीद है।।
न डरना है काँटों से, न रुकना है किसी बाधा से,
हर चुनौती पार करनी है, ये भी एक उम्मीद है।
हर मुश्किल को हराना है, हर हार को जीतना है,
हर ख़्वाब हक़ीकत में बदलना है, ये भी एक उम्मीद है।
है उम्मीद मुझे , की हर सपना पूरा होगा मेरा
हर मंज़िल मुझे मिलेगी, ये भी एक उम्मीद है।
शुरू हुई जीवन की कहानी, एक उम्मीद से,
ख़तम होने तक एक उम्मीद है।
जीवन नहीं ये उम्मीदों का सफ़र है,
हर कदम पर एक नई उम्मीद है।

__रोहित__🌸



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आभार रोहित जी,

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PRAMAND JOGESH
Posts: 1
Joined: Sun Sep 08, 2024 8:20 am

Re: ' मेरा प्रिय ' प्रतियोगिता

Post by PRAMAND JOGESH »

मंच को मेरा प्रणाम 🙏
मेरा नाम प्रमान्द जोगेश
मैं बाड़मेर राजस्थान से हूं।
मैंने कक्षा 12th इसी वर्ष उत्तीर्ण की है।
मैं जीवविज्ञान का विद्यार्थी हूं ।
मुझे कविता लिखना पसंद है।
यहां मैं अपने प्रिय कविता साझा कर रहा हूं।

*तू बढ़ता चल*
तू बढ़ता चल , तू चलता चल
तू रुकना मत, तू झुकना मत
यह आंधियां तेरा रास्ता रोकेगी
यह प्रलय तेरी हिम्मत आजमायेगी
इन तूफानों से तू कभी मत डरना
अपने हौसलों में जुनून की चिंगारी जलाए रखना
अपने रगों में वीरों का खून बहाए रखना
यह प्रलय तूझे कहां तक रोकेंगे
यह आंधी -तूफ़ान तेरा क्या उखाड़ेंगे
यह दुनियां तेरे पांव खींचेगी
तेरी सफलता पर यही दुनियां आंखे मींचेगी
तू रुकना मत, तू झुकना मत
बढ़ता चल, तू चलता चल
गाथा वीरों की गाता चल
इस देश का नाज है तू
इस देश का ताज है तू
सिर पर ताज हमेशा सजाए रखना
दिल में जुनून की चिंगारी जलाए रखना
©Pramand Jogesh

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आभार प्रमान्द जी,

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aakanksha24
Posts: 18
Joined: Sat Sep 07, 2024 1:10 pm

Re: ' मेरा प्रिय ' प्रतियोगिता

Post by aakanksha24 »

Username - aakanksha24
विषय- मेरी प्रिय कविता
शीर्षक - पापा की गुड़िया

पापा की गुड़िया न जाने कब देखते देखते बड़ी हो गई पता ही न चला

हर चीज के लिए जिद करने वाली लड़की कब अपनी इच्छाओं का गला घोंटना सिख गई पता ही नही चला।

छोटी - सी चोट लग जाने पर रो - रो कर घर को सिर पर उठाने वाली ,
कब खामोशी से अपने आंसू पोछना सीख गई पता ही नहीं चला।

बड़े - बड़े ख्वाब देखने वाली लड़की कब ख्वाहिशो को‌ खत्म करना सीख गई पता ही न चला।

खिलौने से खेलने वाली लड़की कब किसी के हाथ का खिलौना बन कर टूट गई
किसी को पता ही न चला।

टूट चुकी है वो, उसके हर आंसू ने बतलाया, बिखर चुकी है‌ वो ,उसके हर अल्फ़ाज़ ने‌ दोहराया
पापा की गुड़िया अब बड़ी हो गई है शायद इसलिए कोई कुछ समझ न
पाया ।

समझाते - समझाते शायद थक जाती वो समझ में कहा किसी को कुछ आता
, इसलिए पापा की प्यारी गुड़िया अब खामोश हो गई।

आकांक्षा रैकवार
सागर मध्यप्रदेश


आभार आकांक्षा जी,

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SUJI1079
Posts: 1
Joined: Sun Sep 08, 2024 3:53 pm

Re: ' मेरा प्रिय ' प्रतियोगिता

Post by SUJI1079 »

कविता का शीर्षक हिंदी तुम महान हो

मान दिया पहचान दिया
जीवन को आधार दिया
संस्कृति को सम्मान दिया
राष्ट्रीयता का अभिमान दिया
जोड़ा जो तुमने हम सबको
हिंदी तुम महान हो ।

भावना की तुम मूरत हो
अभिव्यक्ति का साधन हो
विचारों की एकरूपता हो
अनेकता में एकता हो
मानसिक स्वछंदता के प्रतिबिंब रूप
सुन्दर एक समान हो
हिंदी तुम महान हो ।

देश की अखंडता का
तुम्ही एक पहचान हो
परम्पराओं को जोड़े रखे
उसकी तुम मिशाल हो
सभ्यता के विकाश का
अमिट तुम अध्याय हो
पीढ़ियों को पीढ़ियों से जोड़े
ऐसा हृदय विशाल हो
हिंदी तुम महान हो ।

वर्तमान की आश हो
भविष्य की पहचान हो
दिलों को दिलों से जोड़े
वो आशारूपी प्रतिमान हो
बहुसंख्यक लोगो की तुम
लोकप्रियता का अभिमान हो
हिंदी तुम महान हो ।

सुजीत कुमार सिंह



आभार सुजीत जी,

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