ब्रह्मांड में दिखा ‘भगवान का हाथ’, तस्‍वीर देखकर वैज्ञानिक भी चौंके!

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ब्रह्मांड में दिखा ‘भगवान का हाथ’, तस्‍वीर देखकर वैज्ञानिक भी चौंके!

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हमारे ब्रह्मांड में दिखने वाली आकृतियां वैज्ञानिकों में उत्‍सुकता जगाती हैं। अंतरिक्ष में मौजूद सबसे बड़ी आब्‍जर्वेट्री जेम्‍स वेब स्‍पेस टेलीस्‍कोप (JWST) का कमाल कई मौकों पर हमने देखा है। इस दफा डार्क एनर्जी कैमरा (DECam) ने कुछ शानदार इमेजेस की एक सीरीज को कैप्‍चर किया है। इसमें एक सर्पिल आकाशगंगा (spiral galaxy) की ओर हाथ जैसी आकृति दिखाई देती है। इसे गॉड्स हैंड (God's Hand) (भगवान का हाथ) निकनेम दिया गया है। खास बात है कि हाथ फैलाए हुई यह संरचना गैस और धूल के बादल हैं।

एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, जिस DECam ने इमेज को कैप्‍चर किया, वह चिली में स्थित विक्टर एम. ब्लैंको टेलीस्कोप पर लगा है। यह कैमरा डीप स्‍पेस की तस्‍वीरों को कैप्‍चर करता रहता है। बहरहाल, गैस और धूल की ऐसी संरचनाओं को कॉमेटरी ग्‍लोब्‍यूल (cometary globule) कहा जाता है।

कॉमेटरी ग्‍लोब्‍यूल को सबसे पहले साल 1976 में देखा गया था। हालांकि इन संरचनाओं का धूमकेतुओं से कोई कनेक्‍शन नहीं है। ये अंतरिक्ष में गैस और धूल के घने और सघन (dense) बादल होते हैं, जिनका आकार किसी लंबे, चमकने वाली पूंछ जैसे धूमकेतुओं सा होता है।

गैस और धूल के इन बादलों के कोर में नन्‍हे तारे होते हैं। किसी भी आकाशगंगा के अंदर जन्‍म लेने वाले तारों के डेवलपमेंट में कॉमेटरी ग्‍लोब्‍यूल अहम भूमिका निभाते हैं।

‘गॉड्स हैंड' की जो लेटेस्‍ट इमेज सामने आई हैं, उन्‍हें हमारी ही आकाशगंगा में कैप्‍चर किया गया है। यह जगह पृथ्‍वी से 1300 प्रकाश वर्ष दूर 'पुपिस' तारामंडल (Puppi) में है। इसका मेन सिरा धूल से भरा हुआ है और घूमते हुए हाथ जैसा दिखता है। रिपोर्टों के अनुसार, मेन सिरे की लंबाई 1.5 प्रकाश वर्ष तक फैली है, जबकि लंबी पिछला सिरा 8 प्रकाश वर्ष तक फैला है। प्रकाशवर्ष को डिस्‍टेंस के रूप में आप ऐसे समझ सकते हैं कि एक प्रकाश वर्ष वह दूरी है जो प्रकाश यानी लाइट एक साल में तय करता है। इसका सीधा मतलब है कि तस्‍वीर में जो आकृति नजर आ रही है, वह छोटी-मोटी नहीं, हमारी सोच से भी अरबों गुना बड़ी है।

ऐसा लगता है कि यह संरचना अब 100 मिलियन प्रकाश वर्ष दूर ESO 257-19 (PGC 21338) नाम की एक सुदूर आकाशगंगा की ओर पहुंच रही है। जिस कैमरे ने आकृति को कैद किया, वह समुद्र तल से 7200 फीट की ऊंचाई पर लगे एक टेलीस्‍कोप में फ‍िट है।
Source: https://hindi.gadgets360.com/science/go ... m=topstory
manish.bryan
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Re: ब्रह्मांड में दिखा ‘भगवान का हाथ’, तस्‍वीर देखकर वैज्ञानिक भी चौंके!

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यह एक वाकई आश्चर्यजनक घटना थी जब एक दिव्य पृरुस रूप में आसमान के यह एक भव्य नजारा बन गया| :o सबको हालाँकि यह हैरान परेशां करने वाला था लेकी ऐसे आये दिन कुछ न कुछ आस्मां में घटित होता रहता है और इश्वर अपने रूप ऐसे दिखाते रहते है| हालाँकि खगोलीय घटनाएं :shock: आकाश में ऐसे ही होती रहती है जिन्हें मनुष्य अचम्भा होकर देखता रहता है|
"जो भरा नहीं है भावों से, जिसमें बहती रसधार नहीं, वह हृदय नहीं पत्थर है, जिसमें स्वदेश का प्यार नहीं"
ritka.sharma
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Re: ब्रह्मांड में दिखा ‘भगवान का हाथ’, तस्‍वीर देखकर वैज्ञानिक भी चौंके!

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ब्रह्मांड में दिखा "भगवान का हाथ "यह निश्चय ही एक आश्चर्यजनक घटना है। इस घटना को लेकर लोगों के मन में कई तरह के सवाल है ,जैसे भगवान का हाथ कैसा होगा, किस तरह से दिखा होगा, कहां दिखा होगा परंतु देखा जाए तो हर दिन कुछ ना कुछ होता ही रहता है ।भगवान जो सृष्टि के कण कण में समाया है वह अपना कुछ ना कुछ एक
अचंभा दिखाता रहता है। शायद वह मनुष्य को इस बात का एहसास दिलाता होगा कि मैं हर समय में सृष्टि के कण कण में बास करता हूं।
manish.bryan
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Re: ब्रह्मांड में दिखा ‘भगवान का हाथ’, तस्‍वीर देखकर वैज्ञानिक भी चौंके!

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ritka.sharma wrote: Thu Aug 22, 2024 12:57 am ब्रह्मांड में दिखा "भगवान का हाथ "यह निश्चय ही एक आश्चर्यजनक घटना है। इस घटना को लेकर लोगों के मन में कई तरह के सवाल है ,जैसे भगवान का हाथ कैसा होगा, किस तरह से दिखा होगा, कहां दिखा होगा परंतु देखा जाए तो हर दिन कुछ ना कुछ होता ही रहता है ।भगवान जो सृष्टि के कण कण में समाया है वह अपना कुछ ना कुछ एक
अचंभा दिखाता रहता है। शायद वह मनुष्य को इस बात का एहसास दिलाता होगा कि मैं हर समय में सृष्टि के कण कण में बास करता हूं।
ब्रह्मांड में जब यह तस्वीर आम जनमानस तक वायरल हुई है तब से कुतूहल का विषय यह बना हुआ है। ईश्वर जो सृष्टि के कण कण में है या पूरा ब्रह्मांड ईश्वर है या जो भी सत्यार्थ है उसे यही विदित होता है किया घटना ईश्वर रूपी किसी प्रारूप का ही एक तरीका था।

ऐसी बहुत सारी खगोलीय घटनाएं आए दिनों चर्चा का विषय बनती रहती हैं और इसमें निशान दे कोई राज नहीं बल्कि प्रकृति अपना स्वरूप जैसे-जैसे बदलता है वैसे ऐसी अनहोनी चीज भी दिखाने या सुनने में आती हैं मुझे अच्छे से याद है मेरे शहर गोरखपुर में 5 6 वर्षों पहले एक पहिया नवमी करीब 1 किलोमीटर की आकृति पादरी बाजार क्षेत्र में देखी गई थी जो की बहुत ही कौतूहल का विषय बनी थी।
"जो भरा नहीं है भावों से, जिसमें बहती रसधार नहीं, वह हृदय नहीं पत्थर है, जिसमें स्वदेश का प्यार नहीं"
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