राय | गले मिलने के अलावा, यह है कि भारत और रूस वास्तव में एक-दूसरे के लिए कितना मायने रखते हैं

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राय | गले मिलने के अलावा, यह है कि भारत और रूस वास्तव में एक-दूसरे के लिए कितना मायने रखते हैं

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हर किसी को एक अच्छा मेज़बान पसंद होता है। हर कोई एक शक्तिशाली मेज़बान को पसंद करता है। हर कोई ऐसे मेज़बान को पसंद करता है जो निर्देशित पर्यटन देता है।

इस सीमित संबंध में, भारत के प्रधान मंत्री इस लेखक से अलग नहीं हैं। दोनों अपने-अपने मेज़बानों के घरों में प्रिय अतिथि हैं, और यह ग्रीष्मकालीन प्रवास सभी और विविध लोगों के लिए अर्थ से भरा हुआ है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अब तक की छह मास्को यात्राएं हमेशा वैश्विक राजधानियों में दिलचस्पी पैदा करती हैं। नवीनतम दो दिवसीय यात्रा कोई अपवाद नहीं है।

रूमानियत से परे

एक बार जब हम पुतिन-मोदी के "भालू आलिंगन" और मेजबान द्वारा अपने भारतीय समकक्ष को इलेक्ट्रिक कार में चलाने के पीछे के प्रतीकवाद को समझने का काम पूरा कर लेते हैं, तो इसे मुख्य बिंदु पर लाने की जरूरत है। आज रूस और भारत एक दूसरे के लिए कितने मायने रखते हैं? इस प्रश्न का उत्तर भारत-रूस संबंधों को परिभाषित करने वाली सभी रूमानियतों से मुक्त होने के बाद ही दिया जा सकता है।

मोदी की पुतिन से मुलाकात दोनों नेताओं के लिए इतिहास के एक दिलचस्प मोड़ पर हुई है. जबकि भारतीय प्रधानमंत्री मिनी

पश्चिमी राजधानियाँ पहले से ही इस बात को लेकर चर्चा में हैं कि कैसे भारत ने अपने हितों को साधने के लिए 'नियमों' का उल्लंघन किया है। बिल्कुल चीन जैसा. या ईरान. या अन्य देश रूस के साथ अपने आर्थिक और राजनयिक संबंधों को जारी रखकर पुतिन को अलग-थलग करने के पश्चिम के आदेश को चुनौती दे रहे हैं। भारत के लिए सबसे बड़ी चुनौती खुद को तथाकथित 'अछूतों' से अलग स्थापित करना है। लेकिन भारत ऐसा कैसे करेगा जबकि उसके पास पहले से ही रूसी तेल का दूसरा सबसे बड़ा आयातक होने का दर्जा है? मोदी अब इसके प्राप्तकर्ता हैं

दोस्त और दुश्मन

भारत के पास चीन का मुद्दा है. यह कोई समस्या नहीं है जैसा दुनिया चाहती है कि भारत इस पर विश्वास करे, बल्कि एक मुद्दा है - एक पड़ोस का मुद्दा। चीन के साथ रूस की कथित असीमित दोस्ती इस भू-राजनीतिक खेल में भारत के लिए अहम है। चीन को अपने दुश्मनों की धमकियों की परवाह नहीं; यह अपने दोस्तों की बात सुन सकता है, जो अब दूर-दूर बिखरे हुए हैं। भारत ऐसे मित्रों पर निर्भर रहना अच्छी तरह जानता है। नई दिल्ली का वैचारिक लचीलापन उसे ऐसा करने की अनुमति देता है।

आक्रामक यथार्थवाद के सिद्धांत के प्रणेता जॉन मियर्सहाइमर कहते हैं, "अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था अराजक है। राज्यों को चलाने का सबसे बुनियादी मकसद अस्तित्व बनाए रखना है।" भारत अपने आक्रमण को आकर्षक ढंग से अंजाम देता है। 'रणनीतिक स्वायत्तता' पश्चिम के लिए एक सैद्धांतिक अवधारणा है, यदि यह उन देशों पर लागू होती है जिन्हें वह उक्त स्वायत्तता के योग्य नहीं मानता है। भारत अपनी रणनीतिक स्वायत्तता के कारण, सात दशकों से अधिक समय से एक कार्यशील लोकतंत्र के रूप में जीवित रहने में सक्षम है। अपने पड़ोसियों की तरह विदेशी सहायता प्राप्त गृह युद्धों, तख्तापलट और संवैधानिक अराजकता की चरम सीमा तक न पहुँचना आज़ादी के बाद से भारत की सबसे बड़ी उपलब्धि रही है।

मॉस्को में मोदी का कार्ड

1989 में तियानमेन स्क्वायर घटना के बाद अमेरिका-चीन संबंधों में गिरावट के साथ ही भारत और चीन के आर्थिक शक्तियों के रूप में उदय की शुरुआत हुई। 1990 के दशक की शुरुआत में आर्थिक सुधारों ने भारत के त्वरित और लचीले उत्थान का मार्ग प्रशस्त किया। क्या हम बेहतर कर सकते थे या गति को जारी रखने के लिए और क्या किया जा सकता था, यह पूरी तरह से एक और बहस है। चीन ने भारत को कैसे पीछे छोड़ दिया, यह भी मौजूदा मुद्दे से संबंधित नहीं है। वास्तव में, एक महत्वपूर्ण क्षेत्रीय खिलाड़ी के रूप में भारत का वर्तमान रुख महत्वपूर्ण है। और यही वह कार्ड है जिसे मोदी मास्को ले गए थे।

पुतिन न केवल अपने क्षेत्रीय प्रभुत्व को स्थापित करने के लिए बल्कि वैश्विक विश्व व्यवस्था में अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए अपनी अंतरिक्ष और परमाणु शक्ति पर भरोसा कर रहे हैं। भारत ने भी इन क्षेत्रों में महत्वपूर्ण प्रगति की है। भारत को परमाणु तकनीक की जरूरत है, रूस इसे बेचने को तैयार है। इसका हिसाब सीधा है। चर्चा में शामिल छह परमाणु संयंत्र, रक्षा उत्पादन सुविधाओं की स्थापना, सैन्य सहयोग, डॉलर पर निर्भरता को खत्म करने के लिए राष्ट्रीय भुगतान प्रणालियों का विकास और भारत के बुनियादी ढांचे के सपनों को पूरा करने के लिए रूसी तेल की निरंतर आपूर्ति मास्को और नई दिल्ली दोनों के लिए महत्वपूर्ण हैं। और वे पश्चिम में नीति निर्माताओं और विश्लेषकों के लिए भी समान रूप से महत्वपूर्ण हैं। रूस के साथ नए सिरे से दोस्ती के साथ, भारत को नई भू-राजनीतिक व्यवस्था में कहां रखा जा सकता है?

मोदी की मॉस्को यात्रा सत्ता की स्थिति से की गई है। यह न तो पवित्रता का खोखला इशारा है और न ही इसे पलायनवाद के रूप में देखा जाना चाहिए। कोई आश्चर्य नहीं कि इसने अमेरिका और यूरोप के कई सत्ता केंद्रों को नाराज़ कर दिया है। लेकिन भारत ने कुछ भी नया या असाधारण या देश की लंबे समय से चली आ रही विदेश नीति के विपरीत नहीं किया है। नई दिल्ली गुटनिरपेक्ष बनी हुई है। लेकिन यह खुद के लिए भी सोचना शुरू कर रही है।

और अच्छे दोस्त और मेज़बान किसी को भी ऐसा करने में सक्षम बनाते हैं।
manish.bryan
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Re: राय | गले मिलने के अलावा, यह है कि भारत और रूस वास्तव में एक-दूसरे के लिए कितना मायने रखते हैं

Post by manish.bryan »

भारत और रूस की दोस्ती कोई नयी नही है| भारत भले ही यूक्रेन के मामले में रूस के साथ कदम से कदम नही मिलाया तो ऐसा भी कुछ नही किया जिस से वह यह दिखाए की रूस भारत का मित्र देश नही है| वोटिंग में भारत ने कभी हिस्सन नही लिया जब रूस और यूक्रेन के खिलाफ वीटो से फैलसा कर रहे थे विकासशील देश| रूस भारत को सस्ते ईधन ही नही बल्कि सस्ते दामो पर उच्च तकनिकी वाले मिसाइल और रक्षा उपकरण मुहैया करा रहा है जिससे भारत को पडोसी देशों को मुह दिखा कर जवाब देने आ रहा है|
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Re: राय | गले मिलने के अलावा, यह है कि भारत और रूस वास्तव में एक-दूसरे के लिए कितना मायने रखते हैं

Post by Warrior »

जब तक भारत अपनी अनूठी विदेश नीति का पूर्णता के साथ पालन करता रहेगा, तब तक कोई परेशानी नहीं होगी।
manish.bryan wrote: Wed Aug 07, 2024 10:21 am भारत और रूस की दोस्ती कोई नयी नही है| भारत भले ही यूक्रेन के मामले में रूस के साथ कदम से कदम नही मिलाया तो ऐसा भी कुछ नही किया जिस से वह यह दिखाए की रूस भारत का मित्र देश नही है| वोटिंग में भारत ने कभी हिस्सन नही लिया जब रूस और यूक्रेन के खिलाफ वीटो से फैलसा कर रहे थे विकासशील देश| रूस भारत को सस्ते ईधन ही नही बल्कि सस्ते दामो पर उच्च तकनिकी वाले मिसाइल और रक्षा उपकरण मुहैया करा रहा है जिससे भारत को पडोसी देशों को मुह दिखा कर जवाब देने आ रहा है|
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Re: राय | गले मिलने के अलावा, यह है कि भारत और रूस वास्तव में एक-दूसरे के लिए कितना मायने रखते हैं

Post by manish.bryan »

Warrior wrote: Wed Aug 07, 2024 2:27 pm जब तक भारत अपनी अनूठी विदेश नीति का पूर्णता के साथ पालन करता रहेगा, तब तक कोई परेशानी नहीं होगी।
manish.bryan wrote: Wed Aug 07, 2024 10:21 am भारत और रूस की दोस्ती कोई नयी नही है| भारत भले ही यूक्रेन के मामले में रूस के साथ कदम से कदम नही मिलाया तो ऐसा भी कुछ नही किया जिस से वह यह दिखाए की रूस भारत का मित्र देश नही है| वोटिंग में भारत ने कभी हिस्सन नही लिया जब रूस और यूक्रेन के खिलाफ वीटो से फैलसा कर रहे थे विकासशील देश| रूस भारत को सस्ते ईधन ही नही बल्कि सस्ते दामो पर उच्च तकनिकी वाले मिसाइल और रक्षा उपकरण मुहैया करा रहा है जिससे भारत को पडोसी देशों को मुह दिखा कर जवाब देने आ रहा है|
भारत की विदेश नीति पर अगर चर्चा की जाए तो यह बहुत ही लंबी डिबेट की विषय वस्तु होगी जिसे चार शब्दों में कभी कहा नहीं जा सकता लेकिन भारत अभी भी थर्ड कंट्री के देशों में ही शामिल है।

मैं ऐसा इसलिए कह रहा हूं क्योंकि 2019 में मैं पोलैंड में पढ़ाई के लिए आवेदन किया था और मैंने यह पाया कि भारत बांग्लादेश म्यांमार पाकिस्तान श्रीलंका आदि देशों की श्रृंखला में शामिल है जिसका मुझे फायदा मिल रहा था मुझे वहां निशुल्क अध्ययन मुफ्त हॉस्टल में रहना मतलब पूरी पढ़ाई रहना मुफ्त थी खाने पीने के लिए वहां विद्यार्थियों के लिए विशेष रोजगार के अवसर भी सरकार मुहैया कराती है जो हमारे देश में ना के बराबर है।

भारत ना तो चीन से आंख से आंख मिला सकता है ना रस को पलट के जवाब दे सकता है क्योंकि चीन के पास तकनीकी के साथ-साथ आर्थिक मोर्चे भी प्रगाढ़ मौजूद है और रूस से कोई भारत की बराबरी नहीं है तो भारत को स्वयं पहले आत्मनिर्भर होना पड़ेगा जैसे बाकी देश हैं।

हमने अपने आंखों पर काली पट्टी बांध रखी है क्योंकि हम विश्व की पांचवी या छठी अर्थव्यवस्था बन गए हैं लेकिन इसके लिए पहले यह भी तो सोचा होगा कि हम कितने लोगों के साथ इतनी बड़ी अर्थव्यवस्था बन रहे हैं। फ्रांस जिसकी आबादी हमारे किसी भी राज्य से कम ही होगी वह अर्थव्यवस्था में हमसे काफी आगे है और जर्मनी की जनसंख्या उससे और भी काम है लेकिन तकनीकी उपयोगिता और हर क्षेत्र में उसका कोई सानी नहीं है तो पहले हमें ठोस कदम लेकर खुद को कदम ताल के लिए साबित करना होगा।
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Re: राय | गले मिलने के अलावा, यह है कि भारत और रूस वास्तव में एक-दूसरे के लिए कितना मायने रखते हैं

Post by Warrior »

भारत इस समय दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश है। इतनी अधिक आबादी को कई आर्थिक स्लैबों में विभाजित करके, सभी लोगों को मुफ्त सुविधाएँ प्रदान करना और विकास का अनुभव करना कठिन है।

साथ ही, हम केवल राष्ट्र के विकास पर ध्यान केंद्रित नहीं कर सकते क्योंकि इससे निम्न आर्थिक स्लैब वाले लोगों में अराजकता पैदा होगी।

जहाँ तक मेरी चिंता है, हमारा देश आर्थिक विकास और लोगों की आर्थिक स्लैब में सुधार के मामले में एक आदर्श संतुलन बनाए रखता है।

साथ ही, हमारे देश में प्राकृतिक संपदा की मौजूदगी इस संतुलन को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। अन्यथा भारत अफ्रीका के कई देशों से भी नीचे होगा।

manish.bryan wrote: Sun Sep 22, 2024 12:14 pm
Warrior wrote: Wed Aug 07, 2024 2:27 pm जब तक भारत अपनी अनूठी विदेश नीति का पूर्णता के साथ पालन करता रहेगा, तब तक कोई परेशानी नहीं होगी।
manish.bryan wrote: Wed Aug 07, 2024 10:21 am भारत और रूस की दोस्ती कोई नयी नही है| भारत भले ही यूक्रेन के मामले में रूस के साथ कदम से कदम नही मिलाया तो ऐसा भी कुछ नही किया जिस से वह यह दिखाए की रूस भारत का मित्र देश नही है| वोटिंग में भारत ने कभी हिस्सन नही लिया जब रूस और यूक्रेन के खिलाफ वीटो से फैलसा कर रहे थे विकासशील देश| रूस भारत को सस्ते ईधन ही नही बल्कि सस्ते दामो पर उच्च तकनिकी वाले मिसाइल और रक्षा उपकरण मुहैया करा रहा है जिससे भारत को पडोसी देशों को मुह दिखा कर जवाब देने आ रहा है|
भारत की विदेश नीति पर अगर चर्चा की जाए तो यह बहुत ही लंबी डिबेट की विषय वस्तु होगी जिसे चार शब्दों में कभी कहा नहीं जा सकता लेकिन भारत अभी भी थर्ड कंट्री के देशों में ही शामिल है।

मैं ऐसा इसलिए कह रहा हूं क्योंकि 2019 में मैं पोलैंड में पढ़ाई के लिए आवेदन किया था और मैंने यह पाया कि भारत बांग्लादेश म्यांमार पाकिस्तान श्रीलंका आदि देशों की श्रृंखला में शामिल है जिसका मुझे फायदा मिल रहा था मुझे वहां निशुल्क अध्ययन मुफ्त हॉस्टल में रहना मतलब पूरी पढ़ाई रहना मुफ्त थी खाने पीने के लिए वहां विद्यार्थियों के लिए विशेष रोजगार के अवसर भी सरकार मुहैया कराती है जो हमारे देश में ना के बराबर है।

भारत ना तो चीन से आंख से आंख मिला सकता है ना रस को पलट के जवाब दे सकता है क्योंकि चीन के पास तकनीकी के साथ-साथ आर्थिक मोर्चे भी प्रगाढ़ मौजूद है और रूस से कोई भारत की बराबरी नहीं है तो भारत को स्वयं पहले आत्मनिर्भर होना पड़ेगा जैसे बाकी देश हैं।

हमने अपने आंखों पर काली पट्टी बांध रखी है क्योंकि हम विश्व की पांचवी या छठी अर्थव्यवस्था बन गए हैं लेकिन इसके लिए पहले यह भी तो सोचा होगा कि हम कितने लोगों के साथ इतनी बड़ी अर्थव्यवस्था बन रहे हैं। फ्रांस जिसकी आबादी हमारे किसी भी राज्य से कम ही होगी वह अर्थव्यवस्था में हमसे काफी आगे है और जर्मनी की जनसंख्या उससे और भी काम है लेकिन तकनीकी उपयोगिता और हर क्षेत्र में उसका कोई सानी नहीं है तो पहले हमें ठोस कदम लेकर खुद को कदम ताल के लिए साबित करना होगा।
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सात सो!!!! पोस्टिंग के साथ !!! लाहौल विला कुव्वत!!!
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Re: राय | गले मिलने के अलावा, यह है कि भारत और रूस वास्तव में एक-दूसरे के लिए कितना मायने रखते हैं

Post by johny888 »

भारत और रूस के बीच रिश्ते सिर्फ औपचारिक गले मिलने तक सीमित नहीं हैं, बल्कि दोनों देशों के बीच एक गहरा और ऐतिहासिक संबंध है। यह दोस्ती 1950 के दशक से चली आ रही है और इसका आधार रणनीतिक, रक्षा, व्यापार और सांस्कृतिक आदान-प्रदान पर टिका हुआ है।

रक्षा के क्षेत्र में, रूस भारत का सबसे बड़ा हथियार आपूर्तिकर्ता रहा है, और भारत की रक्षा क्षमताओं को बढ़ाने में रूस की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। साथ ही, दोनों देशों के बीच संयुक्त सैन्य अभ्यास और तकनीकी सहयोग भी चलता रहता है, जैसे ब्रह्मोस मिसाइल का विकास, जो दोनों देशों के बीच गहरे रक्षा संबंधों का प्रतीक है।
manish.bryan
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Re: राय | गले मिलने के अलावा, यह है कि भारत और रूस वास्तव में एक-दूसरे के लिए कितना मायने रखते हैं

Post by manish.bryan »

रूस इकलौता देश है जो अपने राष्ट्रीय संपूर्ण संप्रभुता से कभी समझौता नहीं करता है। अपने उच्च तकनीकी वाले हथियारों से सुसज्जित व विभिन्न देशों को हथियार उपलब्ध कराता रहता है।

रूस कैंटीन बैलिस्टिक मिसाइल भेदक S400 की बात की जाए तो चीन ईरान और भारत इस प्रकार अपने आप को बहुत उच्च तकनीकी वाले हथियार प्राप्त करता देश में कुमार महसूस करते हैं।

लेकिन रूस स्वयं एस 500 एंटीबायोटिक मिसाइल का प्रयोग करता है और शायद जब मैं लिख रहा हूं उसे समय s600 पर रूस अपने सुरक्षा बड़े में इसको समर कर चुका होगा।

रूस हमेशा अपने निम्न तकनीकी दूसरे देशों को ठोकती है और उसके बदले उचित मूल्य का निर्माण करते हुए अपने आर्थिक मोर्चे को प्रांगण करती है। ब्रांडी पीठ पुतिन किसी भी तरह से मुंह बोले शेयर नहीं है और अमेरिका को शांतिपूर्वक ढंग से वह शांत किया रहते हैं।

व्लादिमीर पुतिन का सपना यूएसएसआर का पुणे संचालन करने का है और या सपना ब्रांडी में पुतिन की हासिल कर सकते हैं। उनके प्रसिद्ध इस बात से अभी तक जाहिर होती है कि यूरोप की 50000 महिलाएं उनके व्यक्तियों के आगे ने उत्तर हैं और हर हर नेता उनकी तरह बनना चाहता है।
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Sunilupadhyay250
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Re: राय | गले मिलने के अलावा, यह है कि भारत और रूस वास्तव में एक-दूसरे के लिए कितना मायने रखते हैं

Post by Sunilupadhyay250 »

भारत और सोवियत संघ में 1971 मैं एक संधि हुई थी और तभी से भारत और रूस एक दूसरे के मित्र हैं, इसके अलावा 2017 में कुल 7 समझौता पर हस्ताक्षर हुए थे जिसमें व्यापारिक और राजनीतिक समझौते थे, और यहां तक की यूक्रेन की बात की जाए तो रूस और यूक्रेन का यह जो युद्ध है उसमें रूस के साथ भारत ने कोई सहयोग तो नहीं किया लेकिन अप्रत्यक्ष रूप से उसका विरोध भी नहीं किया, जबकि कई बड़े देश रूस के विरोध में थे, लेकिन भारत ने विरोध करने से पढ़ना झाड़ लिया, भारत रूस से हथियार और सुरक्षा की टेक्नोलॉजी आयात करती है हम तबीयत की है व्यापार की तो कीमती स्टोन,फ्यूल, वनस्पति ऑयल, फर्टिलाइजर इत्यादि रस से आयात करती है भारत |
Bhaskar.Rajni
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Re: राय | गले मिलने के अलावा, यह है कि भारत और रूस वास्तव में एक-दूसरे के लिए कितना मायने रखते हैं

Post by Bhaskar.Rajni »

दोस्ती करना अच्छी बात है लेकिन दोस्त के गलत काम में उसका साथ देना गलत है। दोस्ती अपनी जगह और सिद्धांत अपनी जगह
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Re: राय | गले मिलने के अलावा, यह है कि भारत और रूस वास्तव में एक-दूसरे के लिए कितना मायने रखते हैं

Post by manish.bryan »

Bhaskar.Rajni wrote: Mon Nov 11, 2024 4:42 pm दोस्ती करना अच्छी बात है लेकिन दोस्त के गलत काम में उसका साथ देना गलत है। दोस्ती अपनी जगह और सिद्धांत अपनी जगह
भारत और रूस की दोस्ती बहुत गहरी है और उसे किसी भी एक छोटे से पार्टी प्रमुख या किसी भी चलित युद्ध को देखते हुए खंडित नहीं किया जा सकता। रूस ने भारत के हर बुरे समय पर मदद किया है और भारत भी छुपे तौर पर रूस का साथी होने का हर भर्षक सबूत दिया है।
व्लादिमीर पुतिन मेरे ही नहीं विश्व के तमाम लोगों के पसंदीदा नेता है जो अपने तौर तरीके और अपने लिए गए फैसलों के लिए बहुत प्रसिद्ध है। व्लादिमीर पुतिन यूक्रेन युद्ध में किसी भी तरह से कोई गलत कार्य नहीं कर रहे हैं जहां वह पूरे यूक्रेन को चुटकी में या यू कहें एक बटन दबाते ही पूरे यूक्रेन को नशे से गायब कर सकते हैं वह अभी तक नहीं कर रहे हैं और वह कर भी दिन तो किसी देश में भी इतनी ही मकत नहीं है कि वह रूस के खिलाफ कर उठा कर खड़ा हो जाए।
रूस ने s600 एंटी मिसाइल जो करीब 100 मिसाइल को हवा में ही मार के खत्म कर देने की क्षमता रखती है ऐसे 10 से 20 10 से 20 एस 600 को बनकर तैयार करके रखा हुआ है और उसके पास पहले से ही बड़े में 500 और ऐसे तमाम साथ जीने जिनके नाम भी हम नहीं जानते होंगे ऐसा युद्ध का बेटा देकर रूस बैठा हुआ है और यूक्रेन से थप्पड़ थप्पड़ खेल रहा है।
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