User ID aakanksha24
लघु कथा
शीर्षक -सबक
हमारे मुहल्ले में एक चाचा जी रहते थे उनका सब पंडित जी कहकर बुलाते थे ।
लेकिन चाचा जी थे तो पंडित लेकिन सिर्फ नाम से कर्म से तो बिल्कुल ही विपरीत थे ।
गर्मियों के दिन में मुहल्ले में पानी की किल्लत होती है तब पंडित जी पानी की मोटर चला कर अपने घर की बाहर की सड़क पानी से धो धो कर चमकाते थे
उन्हें बिल्कुल नही फर्क पड़ता था की मुहल्ले के लोगो के पास पीने के पानी की भी कमी है, व्यर्थ पानी न बहाएं।
अगर कोई उन्हें रोक देता था तो वो उस रोकने वाले पर गालियों की बरसात कर देते थे ।
पंडित जी शाम को अपने घर के बाहर झाड़ू लगा कर तो साफ करते थे
लेकिन ,अपने घर का सारा कचरा और सड़क का कचरा इकट्ठा करके
रात होने पर दूसरो के घर के बाहर डाल देते थे ।
अपनी नाली को साफ कर कीचड़ को दूसरो की नालियों में फेंक देते थे ।
मुहल्ले के सभी लोगो ने उन्हें ऐसा करने से कई बार मना किया लेकिन
वो नही माने ।
एक दिन मुहल्ले के सभी लोगो ने मिल कर निर्णय लिया की अगर मुहल्ले को साफ रखना है और पंडित जी को दूसरो के घर के बाहर गंदगी डालने से रोकना है
तो कोई अच्छा सबक सिखाना पड़ेगा तब ही पंडित जी को रोक
पाएंगे।
लोगो ने आपसी सहमति से मुहल्ले में सीसीटीवी कैमरे लगवाएं
ताकि पंडित जी खिलाफ सबूत मिल जाए क्युकी पंडित जी
आधी रात में ही घरों के बाहर गली में कचरा डालते थे ।
सबूत न होने की वजह से वो कभी स्वीकार नहीं करते थे ।
मुहल्ले में सीसीटीवी कैमरे लगते ही पंडित जी के कचरे डालने का वीडियो मिल गया ।
और उस वीडियो को सुबह सभी मुहल्ले वालो के फोन पर भेज दिया गया ।
फिर क्या था जब पंडित जी ने खुद का वीडियो देखा तो चौंक गए
और अपने गलती स्वीकार करते हुए सभी से माफ़ी मांगी और खुद ने सब के घरों के बाहर सफाई कर ली और आगे से दूसरो के घर कचरा न फेकने की शपथ ली ।
हिन्दी प्रतियोगिता - स्वच्छ भारत , स्वच्छ विचार ( 02.10.2024 से 02.10.2025 तक)
Forum rules
कोई विशेष नियम नहीं है।
यह सारी प्रतियोगिताएं हिन्दी प्रेमियों द्वारा, हिन्दी प्रेमियों के लिए, सुभावना लिए, प्रेम से किया गया प्रयास मात्र है। यदि इसे इसी भावना से लिया जाए, तो हमारा विश्वास है की कोई विशेष समस्या नहीं आएगी।
यदि फिर भी .. तो कृपया हमसे संपर्क साधें। आपकी समस्या का उचित निवारण करने का यथासंभव प्रयास करने हेतु हम कटिबद्ध है।
कोई विशेष नियम नहीं है।
यह सारी प्रतियोगिताएं हिन्दी प्रेमियों द्वारा, हिन्दी प्रेमियों के लिए, सुभावना लिए, प्रेम से किया गया प्रयास मात्र है। यदि इसे इसी भावना से लिया जाए, तो हमारा विश्वास है की कोई विशेष समस्या नहीं आएगी।
यदि फिर भी .. तो कृपया हमसे संपर्क साधें। आपकी समस्या का उचित निवारण करने का यथासंभव प्रयास करने हेतु हम कटिबद्ध है।
-
- Posts: 17
- Joined: Sat Sep 07, 2024 1:10 pm
-
- Posts: 17
- Joined: Sat Sep 07, 2024 1:10 pm
Re: हिन्दी प्रतियोगिता - स्वच्छ भारत , स्वच्छ विचार ( 02.10.2024 से 02.10.2025 तक)
User ID aakanksha24
गीत -स्वच्छता अभियान
गली गली में शोर है
स्वच्छ भारत अभियान की धूम है
बच्चा बच्चा चिल्लाएगा
स्वच्छ बनेगा ये भारत ।
कचरे को एकत्रित करने की ,
बड़े, बुजुर्ग सब पर है जिम्मेदारी आई
कचरे को लेने कचरा गाड़ी आई ।
सब ने सूखा, गीला कचरा
नीले और हरे डिब्बे में डाला।
कचरे को न फेंके नाली में,
वरना बीमारी फैलेगी हर गलियारे
में ।
हो तुम भी पढ़े लिखे फिर
क्यों जानवरो से काम करे।
फैलाई जो तुम ने गंदगी तो
तुम ही तो बीमार पड़े ,
फिर ,डॉक्टरों की जेब में न जाने कितने पैसे है पड़े।
सुनलो मेरी बात ,
स्वच्छता की बात महान
खुद से खुद की जिम्मेदारी निभाओ न
बीमारी को दूर भगाओ न
स्वच्छता की आदत को अपनाओ न ।
आकांक्षा रैकवार
गीत -स्वच्छता अभियान
गली गली में शोर है
स्वच्छ भारत अभियान की धूम है
बच्चा बच्चा चिल्लाएगा
स्वच्छ बनेगा ये भारत ।
कचरे को एकत्रित करने की ,
बड़े, बुजुर्ग सब पर है जिम्मेदारी आई
कचरे को लेने कचरा गाड़ी आई ।
सब ने सूखा, गीला कचरा
नीले और हरे डिब्बे में डाला।
कचरे को न फेंके नाली में,
वरना बीमारी फैलेगी हर गलियारे
में ।
हो तुम भी पढ़े लिखे फिर
क्यों जानवरो से काम करे।
फैलाई जो तुम ने गंदगी तो
तुम ही तो बीमार पड़े ,
फिर ,डॉक्टरों की जेब में न जाने कितने पैसे है पड़े।
सुनलो मेरी बात ,
स्वच्छता की बात महान
खुद से खुद की जिम्मेदारी निभाओ न
बीमारी को दूर भगाओ न
स्वच्छता की आदत को अपनाओ न ।
आकांक्षा रैकवार
Re: हिन्दी प्रतियोगिता - स्वच्छ भारत , स्वच्छ विचार ( 02.10.2024 से 02.10.2025 तक)
ज़रा सुनो, बच्चों, मैं कहानी सुनाऊँ,
एक नन्हे से बच्चे की, जो हँसता मुस्कुराता था।
उसका नाम था सोहन, वो बहुत ही चंचल था,
रंग-बिरंगे खिलौनों से, वो खेलता मचलता था।
वो जाता जंगल में, पक्षियों से दोस्ती करता,
तितलियों को पकड़ता, उन्हें प्यार से सहलाता।
नदियों में नहाता, मछलियों के साथ खेलता,
कभी घास पर लेटकर, बादलों को देखता।
एक दिन सोहन को मिला, एक जादुई घोड़ा,
वो उड़ सकता था आसमान में, बड़ा ही रोमांचक था।
सोहन उस पर सवार हुआ, और निकल पड़ा सफर पर,
देखा उसने तारे चाँद, और दूर-दूर तक नज़रें।
वो गया समुद्र के किनारे, देखा लहरों का खेल,
रेत पर महल बनाया, फिर उसे तोड़ा स्वयं।
वो गया पहाड़ों पर, देखा बर्फ की चादर,
बर्फ के गोले बनाए, फिर उनसे लड़ाई की।
रात को सोहन आसमान में, तारों को गिनता,
कल्पना करता, कि वो भी एक तारा है।
सपनों की दुनिया में खोया, वो सो गया आराम से,
सुबह उठा तो पाया, सब कुछ था वैसा ही।
बच्चों, ये थी सोहन की कहानी,
कितनी मज़ेदार है ना, ये कहानी?
तुम भी सोहन की तरह, खूब खेलो और पढ़ो,
नई-नई चीज़ें सीखो, और आगे बढ़ो।
एक नन्हे से बच्चे की, जो हँसता मुस्कुराता था।
उसका नाम था सोहन, वो बहुत ही चंचल था,
रंग-बिरंगे खिलौनों से, वो खेलता मचलता था।
वो जाता जंगल में, पक्षियों से दोस्ती करता,
तितलियों को पकड़ता, उन्हें प्यार से सहलाता।
नदियों में नहाता, मछलियों के साथ खेलता,
कभी घास पर लेटकर, बादलों को देखता।
एक दिन सोहन को मिला, एक जादुई घोड़ा,
वो उड़ सकता था आसमान में, बड़ा ही रोमांचक था।
सोहन उस पर सवार हुआ, और निकल पड़ा सफर पर,
देखा उसने तारे चाँद, और दूर-दूर तक नज़रें।
वो गया समुद्र के किनारे, देखा लहरों का खेल,
रेत पर महल बनाया, फिर उसे तोड़ा स्वयं।
वो गया पहाड़ों पर, देखा बर्फ की चादर,
बर्फ के गोले बनाए, फिर उनसे लड़ाई की।
रात को सोहन आसमान में, तारों को गिनता,
कल्पना करता, कि वो भी एक तारा है।
सपनों की दुनिया में खोया, वो सो गया आराम से,
सुबह उठा तो पाया, सब कुछ था वैसा ही।
बच्चों, ये थी सोहन की कहानी,
कितनी मज़ेदार है ना, ये कहानी?
तुम भी सोहन की तरह, खूब खेलो और पढ़ो,
नई-नई चीज़ें सीखो, और आगे बढ़ो।
Re: हिन्दी प्रतियोगिता - स्वच्छ भारत , स्वच्छ विचार ( 02.10.2024 से 02.10.2025 तक)
आप लोगों में से जिनकी 2 ऑक्टोबर 2024 से 15 ऑक्टोबर 2024 तक 11 पोस्ट हो गई है और जो अपना gift भी claim करना चाहते है, वो कृपया हमें अपना postal address पुनः प्रेषित करें।
Re: हिन्दी प्रतियोगिता - स्वच्छ भारत , स्वच्छ विचार ( 02.10.2024 से 02.10.2025 तक)
स्वच्छता का हो दीप जलाएं,
हर दिल में नये विचार बसाएं।
गंदगी को दूर भगाएं हम,
साफ-सुथरे हों ये चारों धाम।
हर गली, हर मोहल्ला हो चमकता,
प्रकृति का हर कोना सुगंधित और महकता।
प्लास्टिक का त्याग करें,
पौधों की छांव में जीवन सहेजें।
एकता में है हमारी शक्ति,
साफ-सुथरे भारत की यही है संस्कृति।
स्वच्छ भारत, स्वच्छ विचार,
साथ मिलकर करें हम यह संकल्प साकार।
हर दिल में नये विचार बसाएं।
गंदगी को दूर भगाएं हम,
साफ-सुथरे हों ये चारों धाम।
हर गली, हर मोहल्ला हो चमकता,
प्रकृति का हर कोना सुगंधित और महकता।
प्लास्टिक का त्याग करें,
पौधों की छांव में जीवन सहेजें।
एकता में है हमारी शक्ति,
साफ-सुथरे भारत की यही है संस्कृति।
स्वच्छ भारत, स्वच्छ विचार,
साथ मिलकर करें हम यह संकल्प साकार।