जीवन की कठिनाइयों और दुखों पर उद्धरण

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जीवन की कठिनाइयों और दुखों पर उद्धरण

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"जीवन में हर कदम पर कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है, पर ये ही हमें मजबूत बनाती हैं।"

"दुख भरे दिन भी जिंदगी का हिस्सा हैं, इन्हें सहन कर ही हम सच्चे आनंद को समझ पाते हैं।"

"जीवन की राहें हमेशा आसान नहीं होतीं, हर मोड़ पर संघर्ष और चुनौतियाँ मिलती हैं।"

"कभी-कभी जीवन में अंधेरा ही इतना गहरा हो जाता है कि रौशनी की एक किरण भी सुकून दे जाती है।"

"दुख की घड़ियों में ही सच्चे मित्र और अपने का पता चलता है।"

"जीवन में हार और जीत दोनों ही मिलती हैं, हार हमें सीखाती है और जीत हमें आगे बढ़ाती है।"

"कठिनाइयों का सामना कर ही इंसान सफलता की ऊंचाइयों को छू सकता है।"

"दुख और पीड़ा जीवन का अभिन्न हिस्सा हैं, ये हमें सच्ची खुशी और संतोष का महत्व समझाते हैं।"

"जीवन की सच्चाई यही है कि हर खुशी के पीछे एक दर्द छुपा होता है।"

"दुख भरे पल भी जीवन के रंग हैं, इन्हें सहन कर ही हम सच्ची खुशी का अनुभव कर सकते हैं।"

ये उद्धरण जीवन की कठिनाइयों और दुखों की वास्तविकता को सरल और गहरे शब्दों में व्यक्त करते हैं।
johny888
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Re: जीवन की कठिनाइयों और दुखों पर उद्धरण

Post by johny888 »

"दुख हमें मजबूत बनाते हैं, वे हमें सिखाते हैं कि खुश रहने के लिए हमें संघर्ष करना पड़ता है।"
यह उद्धरण हमें यह समझाता है कि कठिनाइयाँ ही हमें जीवन के वास्तविक मूल्यों की ओर मार्गदर्शित करती हैं।
"हर अंधेरे बादल के पीछे, एक नया सवेरा छिपा होता है।"
यह उद्धरण हमें यह सिखाता है कि दुख और कठिनाइयाँ अस्थायी होती हैं, और हमें उम्मीद नहीं छोड़नी चाहिए।
"संघर्ष से ही सफलता की कहानी लिखी जाती है।"
यह जीवन के अनुभव को दर्शाता है कि कठिनाइयों के बिना सफलता की मिठास का अनुभव नहीं किया जा सकता।
Bhaskar.Rajni
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Re: जीवन की कठिनाइयों और दुखों पर उद्धरण

Post by Bhaskar.Rajni »

जीवन की कठिनाइयां ही हमें असल जीवन से रूबरू कराती हैं यदि जीवन में दुख ना आए तो मनुष्य की समझ इतनी विकसित नहीं होती मनुष्य जब संकटों से दुखों से गुजरता है तो उसकी समझ उसकी तर्कशक्ति उसकी सहनशक्ति पर की जाती है और जो व्यक्ति जितनी अधिक कठिनाइयों से गुजर कर आता है वह उतना ही मजबूत और सफल व्यक्ति बन जाता है।
Sonal singh
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Re: जीवन की कठिनाइयों और दुखों पर उद्धरण

Post by Sonal singh »

Bhaskar.Rajni wrote: Thu Nov 14, 2024 9:35 pm जीवन की कठिनाइयां ही हमें असल जीवन से रूबरू कराती हैं यदि जीवन में दुख ना आए तो मनुष्य की समझ इतनी विकसित नहीं होती मनुष्य जब संकटों से दुखों से गुजरता है तो उसकी समझ उसकी तर्कशक्ति उसकी सहनशक्ति पर की जाती है और जो व्यक्ति जितनी अधिक कठिनाइयों से गुजर कर आता है वह उतना ही मजबूत और सफल व्यक्ति बन जाता है।
मनुष्य का जीवन में कठिनाइयों का आना और जाना उसके खुद के विचारों पर निर्भर करता है. परिस्थितियों पर निर्भर करता है फिजूल की अपनी इच्छाओं को बढ़ाएगा तू अपना जीवन ही संघर्ष में बनाएगा और यह जीवन है। कठिनाइयों के उतार-चढ़ाव तो लग ही रहते हैं सरल जीवन तो आज तक किसी का नहीं रहा। एक ही सरल माला है मनुष्य का शिक्षित होना। फिजूल के विचार और खर्चों को नियंत्रण में रखना।
Bhaskar.Rajni
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Re: जीवन की कठिनाइयों और दुखों पर उद्धरण

Post by Bhaskar.Rajni »

Sonal singh wrote: Wed Nov 20, 2024 3:29 pm
Bhaskar.Rajni wrote: Thu Nov 14, 2024 9:35 pm जीवन की कठिनाइयां ही हमें असल जीवन से रूबरू कराती हैं यदि जीवन में दुख ना आए तो मनुष्य की समझ इतनी विकसित नहीं होती मनुष्य जब संकटों से दुखों से गुजरता है तो उसकी समझ उसकी तर्कशक्ति उसकी सहनशक्ति पर की जाती है और जो व्यक्ति जितनी अधिक कठिनाइयों से गुजर कर आता है वह उतना ही मजबूत और सफल व्यक्ति बन जाता है।
मनुष्य का जीवन में कठिनाइयों का आना और जाना उसके खुद के विचारों पर निर्भर करता है. परिस्थितियों पर निर्भर करता है फिजूल की अपनी इच्छाओं को बढ़ाएगा तू अपना जीवन ही संघर्ष में बनाएगा और यह जीवन है। कठिनाइयों के उतार-चढ़ाव तो लग ही रहते हैं सरल जीवन तो आज तक किसी का नहीं रहा। एक ही सरल माला है मनुष्य का शिक्षित होना। फिजूल के विचार और खर्चों को नियंत्रण में रखना।
हां यह बात सही है कि जीवन किसी का भी सरल नहीं है। ऐसा लगता है कि दूसरा मजे में है लेकिन जब हम नजदीक से जाकर देखते हैं तो पता चलता है कि वह भी परेशान है वह कहते हैं ना नानक दुखिया सब संसार तो ऐसा ही है सब दुखी है सब परेशान है इस दुनिया में कोई सुखी नहीं सुख क्षणिक है और दुख परमानेंट आदत बना लेनी चाहिए इसकी और जहां तक रही फिजूल के विचारों की बात तो विचारों पर ही तो कंट्रोल करना नहीं आता यदि विचारों पर कंट्रोल करना आ जाए तब तो जीवन सुखद ही ना हो जाए।
Harendra Singh
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Re: जीवन की कठिनाइयों और दुखों पर उद्धरण

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Bhaskar.Rajni wrote: Thu Nov 21, 2024 5:41 pm
Sonal singh wrote: Wed Nov 20, 2024 3:29 pm
Bhaskar.Rajni wrote: Thu Nov 14, 2024 9:35 pm जीवन की कठिनाइयां ही हमें असल जीवन से रूबरू कराती हैं यदि जीवन में दुख ना आए तो मनुष्य की समझ इतनी विकसित नहीं होती मनुष्य जब संकटों से दुखों से गुजरता है तो उसकी समझ उसकी तर्कशक्ति उसकी सहनशक्ति पर की जाती है और जो व्यक्ति जितनी अधिक कठिनाइयों से गुजर कर आता है वह उतना ही मजबूत और सफल व्यक्ति बन जाता है।
मनुष्य का जीवन में कठिनाइयों का आना और जाना उसके खुद के विचारों पर निर्भर करता है. परिस्थितियों पर निर्भर करता है फिजूल की अपनी इच्छाओं को बढ़ाएगा तू अपना जीवन ही संघर्ष में बनाएगा और यह जीवन है। कठिनाइयों के उतार-चढ़ाव तो लग ही रहते हैं सरल जीवन तो आज तक किसी का नहीं रहा। एक ही सरल माला है मनुष्य का शिक्षित होना। फिजूल के विचार और खर्चों को नियंत्रण में रखना।
हां यह बात सही है कि जीवन किसी का भी सरल नहीं है। ऐसा लगता है कि दूसरा मजे में है लेकिन जब हम नजदीक से जाकर देखते हैं तो पता चलता है कि वह भी परेशान है वह कहते हैं ना नानक दुखिया सब संसार तो ऐसा ही है सब दुखी है सब परेशान है इस दुनिया में कोई सुखी नहीं सुख क्षणिक है और दुख परमानेंट आदत बना लेनी चाहिए इसकी और जहां तक रही फिजूल के विचारों की बात तो विचारों पर ही तो कंट्रोल करना नहीं आता यदि विचारों पर कंट्रोल करना आ जाए तब तो जीवन सुखद ही ना हो जाए।
जीवन की कठिनाइयों में सुख और दुख तो धूप छाव की तरह है। मनुष्य का जीवन मिला है तो कठिनाइयां भी आएंगे और खुशियां भी आएंगी। वह मनुष्य की स्थिति पर डिपेंड करता है कि वह जीवन को कैसे चल रहा है। मनुष्य की जिंदगी में जब अच्छा समय आता है तो वह खूब मजा करता है और जब दुख आता है तो वह बैठकर रोता है इसका कारण मनुष्य स्वयं ही होता है अगर वह दुख और सुख का सामान तालमेल बनाकर रखें और परिस्थितियों के हिसाब से चले तो वह कभी कठिनाइयों में नहीं पड़ सकता। एक कहावत जैसे बड़े बुजुर्ग कहते हैं जितनी चादर हो उतने ही पैर फैलाने चाहिए। इससे जीवन कहीं हद तक सरल हो सकता है।
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