Source: https://navbharattimes.indiatimes.com/m ... 804705.cmsमहाराष्ट्र में लोकसभा चुनाव के बाद महायुति में उठा तूफान थमा नहीं है। विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी से जुड़े संगठन में बार-बार अजित पवार से जारी गठबंधन पर हिदायत दी जा रही है। आरएसएस की पत्रिका आर्गेनाइजर के बाद मराठी पत्रिका विवेक भी एनसीपी से चुनावी गठबंधन पर सवाल खड़े किए गए हैं। इस बीच दोनों दलों के बीच गठबंधन खत्म होने के संकेत भी मिल रहे हैं।
मुंबई: महाराष्ट्र में बीजेपी-शिवसेना की महायुति में एनसीपी (अजित पवार) की एंट्री के बाद से भगवा दल में घमासान मचा है। लोकसभा चुनाव में हार के बाद एनसीपी के खिलाफ कार्यकर्ता मुखर नजर आए। अब आरएसएस से जुड़ी साप्ताहिक मराठी पत्रिका विवेक में एनसीपी और बीजेपी की दोस्ती पर सवाल खड़े किए गए हैं। विवेक में लिखे गए आलेख में बताया गया है कि बीजेपी के कार्यकर्ता हार के लिए एनसीपी के साथ गठबंधन को जिम्मेदार बता रहे हैं, इसका मतलब है कि उन्हें यह गठबंधन पसंद नहीं आ रहा है। बीजेपी के नेता भी इस बात को जानते हैं। शिवसेना से गठबंधन का समर्थन करते हुए बताया गया है कि हिंदुत्व पर आधारित गठबंधन बीजेपी और कार्यकर्ताओं के लिए सहज था, मगर एनसीपी के साथ ऐसा नहीं है। लोकसभा चुनाव के रिजल्ट के बाद पार्टी और नेताओं ने मंथन किया था कि आखिर गलती कहां हुई? इसका जवाब खोजना जरूरी है।
आर्गेनाइजर में भी की गई थी अजित से गठबंधन की मुखालफत
बता दें कि इससे पहले आरएसएस की पत्रिका आर्गेनाइजर में भी एनसीपी के साथ गठबंधन पर टिप्पणी की गई थी। रतन शारदा ने अपने आलेख में कहा था कि महाराष्ट्र में एनसीपी के साथ गठबंधन का फैसला सही नहीं था, इसलिए लोकसभा चुनाव में बीजेपी की ब्रांड बैल्यू कम हो गई। इस कारण यह पार्टी विद डिफरेंस नहीं रही। उधर, कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया कि अजित पवार से रिश्ते के कारण पार्टी का कैडर वोटिंग के लिए बाहर नहीं निकले और चुनाव में पार्टी की हार हुई। अगर बीजेपी विधानसभा चुनाव में गठबंधन जारी रखती है तो कार्यकर्ता निष्क्रिय हो सकते हैं और पार्टी की हार हो सकती है। हाल के एक सर्वे में सामने आया कि चुनाव हुए बीजेपी की सदस्यों की संख्या 100 के नीचे चली जाएगी और वह सरकार बनाने की स्थिति में नहीं होगी।
आरएसएस से जुड़ी मराठी पत्रिका में बीजेपी से सवाल, महायुति के अंगने में अजित पवार का क्या काम है?
आरएसएस से जुड़ी मराठी पत्रिका में बीजेपी से सवाल, महायुति के अंगने में अजित पवार का क्या काम है?
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Re: आरएसएस से जुड़ी मराठी पत्रिका में बीजेपी से सवाल, महायुति के अंगने में अजित पवार का क्या काम है?
महायुति में, अजित पवार एक कमजोर कड़ी है, इसलिए गठबंधन में कमजोरियां बहुत बड़ी हैं।"LinkBlogs wrote: ↑Wed Jul 17, 2024 7:08 pmSource: https://navbharattimes.indiatimes.com/m ... 804705.cmsमहाराष्ट्र में लोकसभा चुनाव के बाद महायुति में उठा तूफान थमा नहीं है। विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी से जुड़े संगठन में बार-बार अजित पवार से जारी गठबंधन पर हिदायत दी जा रही है। आरएसएस की पत्रिका आर्गेनाइजर के बाद मराठी पत्रिका विवेक भी एनसीपी से चुनावी गठबंधन पर सवाल खड़े किए गए हैं। इस बीच दोनों दलों के बीच गठबंधन खत्म होने के संकेत भी मिल रहे हैं।
मुंबई: महाराष्ट्र में बीजेपी-शिवसेना की महायुति में एनसीपी (अजित पवार) की एंट्री के बाद से भगवा दल में घमासान मचा है। लोकसभा चुनाव में हार के बाद एनसीपी के खिलाफ कार्यकर्ता मुखर नजर आए। अब आरएसएस से जुड़ी साप्ताहिक मराठी पत्रिका विवेक में एनसीपी और बीजेपी की दोस्ती पर सवाल खड़े किए गए हैं। विवेक में लिखे गए आलेख में बताया गया है कि बीजेपी के कार्यकर्ता हार के लिए एनसीपी के साथ गठबंधन को जिम्मेदार बता रहे हैं, इसका मतलब है कि उन्हें यह गठबंधन पसंद नहीं आ रहा है। बीजेपी के नेता भी इस बात को जानते हैं। शिवसेना से गठबंधन का समर्थन करते हुए बताया गया है कि हिंदुत्व पर आधारित गठबंधन बीजेपी और कार्यकर्ताओं के लिए सहज था, मगर एनसीपी के साथ ऐसा नहीं है। लोकसभा चुनाव के रिजल्ट के बाद पार्टी और नेताओं ने मंथन किया था कि आखिर गलती कहां हुई? इसका जवाब खोजना जरूरी है।
आर्गेनाइजर में भी की गई थी अजित से गठबंधन की मुखालफत
बता दें कि इससे पहले आरएसएस की पत्रिका आर्गेनाइजर में भी एनसीपी के साथ गठबंधन पर टिप्पणी की गई थी। रतन शारदा ने अपने आलेख में कहा था कि महाराष्ट्र में एनसीपी के साथ गठबंधन का फैसला सही नहीं था, इसलिए लोकसभा चुनाव में बीजेपी की ब्रांड बैल्यू कम हो गई। इस कारण यह पार्टी विद डिफरेंस नहीं रही। उधर, कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया कि अजित पवार से रिश्ते के कारण पार्टी का कैडर वोटिंग के लिए बाहर नहीं निकले और चुनाव में पार्टी की हार हुई। अगर बीजेपी विधानसभा चुनाव में गठबंधन जारी रखती है तो कार्यकर्ता निष्क्रिय हो सकते हैं और पार्टी की हार हो सकती है। हाल के एक सर्वे में सामने आया कि चुनाव हुए बीजेपी की सदस्यों की संख्या 100 के नीचे चली जाएगी और वह सरकार बनाने की स्थिति में नहीं होगी।
अजित पवार की एनसीपी को गठबंधन में डगमगाते देखा जा सकता है, जहां अन्य दो भाजपा और शिवसेना, एक साथ चलते दिख रहे हैं।
देखने में तो ऐसा ही लग रहा है कि महायूती ज्यादा दिनों तक नहीं चलेगी | इसकी सफलता में संदेह है |
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Re: आरएसएस से जुड़ी मराठी पत्रिका में बीजेपी से सवाल, महायुति के अंगने में अजित पवार का क्या काम है?
सुनील उपाध्याय जी मैं आपकी बात से सहमत हूं और महायुद्ध का या गठबंधन शायद चुनाव से पहले ही आहुति प्राप्त कर लेगा हालांकि अजीत पवार विगत चार-पांच वर्षों में कमजोर नेता के तौर पर देखे जाते हैं लेकिन उनकी पकड़ अभी भी मुंबई के आसपास थाने और नासिक के आसपास के जिलों में प्रगति रूप से मौजूद है जिसे नकारा नहीं जा सकता और शरद पवार के नाम को भी वह बीज खा सकते हैं इसमें भी कोई दो राय नहीं है।
"जो भरा नहीं है भावों से, जिसमें बहती रसधार नहीं, वह हृदय नहीं पत्थर है, जिसमें स्वदेश का प्यार नहीं"