दीवाली
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Re: दीवाली
दीपावली अकेले नहीं आती अपने साथ बहुत सारे त्यौहार भी लेकर आती है जैसे गोवर्धन पूजा, विश्व कर्म पूजा, भाई दूज और त्योहारों की जैसे लड़ी सी बन जाती है।
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Re: दीवाली
देखने में आ रहा है कि त्योहारों के प्रति उत्साह लोगों में काम होता जा रहा है यदि अपनी संस्कृति को बचाना है तो त्योहारों को उतने ही उत्साह के साथ मनाया जाना चाहिए जितना कि हमारे पूर्वज मानते थे।
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Re: दीवाली
रीति रिवाज, त्योहार सभी हमारी संस्कृति हैं अपनी संस्कृति से जुड़े रहिए और अपने सभी तीज त्योहार को मनाइये।
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Re: दीवाली
दीपावली अमावस्या को होती है और उस रात दीए जलाने का अपना ही महत्व है।
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Re: दीवाली
बदलते वक्त के साथ परंपराएं भी बदल रही हैं लेकिन कुछ मूलभूत परंपराएं हैं जिन्हें कि प्रयास करके जोड़ कर रखना है टूटने नहीं देना है। हमारी संस्कृति को जिंदा रखना हमारी जिम्मेदारी है।
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Re: दीवाली
दीपावली शब्द की उत्पत्ति संस्कृत के दो शब्दों 'दीप' अर्थात 'दीया' + 'आवली' अर्थात 'पक्ति' या 'श्रृंखला' के मिश्रण से हुई है। इस उत्सव में घरों के द्वारों, घरों व मंदिरों पर लाखों प्रकाशकों को प्रज्वलित किया जाता है। दीपावली संपूर्ण भारतवर्ष में मनाया जाता है।
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Re: दीवाली
दीपावली जिसे दिवाली भी कहते हैं उसे अन्य भाषाओं में अलग-अलग नामों से पुकार जाता है जैसे : दिपावली, दीवाली, 'दीपावली' (उड़िया), दीपाबॉली'(बंगाली), 'दीपावली' (असमी, कन्नड़, मलयालम: तमिल:और तेलुगू), 'दिवाली' (गुजराती:, हिन्दी, दिवाली, मराठी:दिवाळी, कोंकणी:दिवाळी,पंजाबी), 'दियारी' (सिंधी:दियारी), और 'तिहार' (नेपाली) मारवाड़ी में दियाळी।[7]
इतिहास
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Re: दीवाली
भारत में प्राचीन काल से दीपावली को विक्रम संवत के कार्तिक माह में गर्मी की फसल के बाद के एक त्योहार के रूप में दर्शाया गया। दीपावली भारत के सबसे प्राचीन त्योहारों में से एक है और किसी न किसी नाम से संपूर्ण भारत में मनाया जाता है।
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Re: दीवाली
महर्षि वेदव्यास द्वारा रचित संस्कृत भाषा में रचे गए अठारह पुराणों में से एक पुराण ग्रंथ है। सभी अठारह पुराणों की गणना के क्रम में ‘पद्म पुराण’ को द्वितीय स्थान प्राप्त है। श्लोक संख्या की दृष्टि से भी यह द्वितीय स्थान पर है। पहला स्थान स्कन्द पुराण को प्राप्त है। पद्म का अर्थ है-‘कमल का पुष्प’।
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Re: दीवाली
सृष्टि-रचयिता ब्रह्माजी ने भगवान् नारायण के नाभि-कमल से उत्पन्न होकर सृष्टि-रचना संबंधी ज्ञान का विस्तार किया था, इसलिए इस पुराण को पद्म पुराण की संज्ञा दी गयी है।