एक माँ की बेबसी

महफिल यहां जमाएं....
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Realrider
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एक माँ की बेबसी

Post by Realrider »

न जाने किस अदृश्य पड़ोस से

निकल कर आता था वह

खेलने हमारे साथ—

रतन, जो बोल नहीं सकता था

खेलता था हमारे साथ

एक टूटे खिलौने की तरह

देखने में हम बच्चों की ही तरह

था वह भी एक बच्चा।

लेकिन हम बच्चों के लिए अजूबा था

क्योंकि हमसे भिन्न था।

थोड़ा घबराते भी थे हम उससे

क्योंकि समझ नहीं पाते थे

उसकी घबराहटों को,

न इशारों में कही उसकी बातों को,

न उसकी भयभीत आँखों में

हर समय दिखती

उसके अंदर की छटपटाहटों को।

जितनी देर वह रहता

पास बैठी उसक माँ

निहारती रहती उसका खेलना।

अब जैसे-जैसे

कुछ बेहतर समझने लगा हूँ

उनकी भाषा जो बोल नहीं पाते हैं

याद आती

रतन से अधिक

उसकी माँ की आँखों में

झलकती उसकी बेबसी।

- कुँवर नारायण
Source: https://www.hindwi.org/kavita/ek-man-ki ... arity-desc
johny888
सात सो!!!! पोस्टिंग के साथ !!! लाहौल विला कुव्वत!!!
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Re: एक माँ की बेबसी

Post by johny888 »

कोख में पाले, सीने से लगाया,
छोटे से बच्चे को बड़ा किया।
दिन रात मेहनत की, त्याग दिया सब कुछ,
बच्चे की खुशी के लिए, झेला हर दुख।

बच्चा जब बीमार पड़ता,
माँ का दिल रोता, आँखें भर आतीं।
देखती रहती बेबस, दर्द सहती,
अपने बच्चे को संभालती।

बच्चा जब बड़ा होता,
रास्ते भटक जाता,
माँ की आँखों में आंसू,
दिल में दर्द छुपाती।

कभी समझता नहीं, माँ की पीड़ा,
रह जाती है अकेली, माँ की जिंदगी।
Bhaskar.Rajni
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Re: एक माँ की बेबसी

Post by Bhaskar.Rajni »

अपने बच्चों की आंख में आंसू
कभी नहीं देख पाती है मां
आंखों से रोती, दिल से रोती
बहुत बेबस हो जाती है मां

मां की बेबसी उसके दिल से पूछो
जब बच्चे को खिलौना नहीं दे पाती है मां
सारी दुनिया से अकेली भिड़ ले
अपने बच्चों को दुखी नहीं देख पाती है मां
Harendra Singh
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Re: एक माँ की बेबसी

Post by Harendra Singh »

उदास होता हूं तो हंसा देती है मां
नींद नहीं आती है तो सुला देती है मां
मकान को घर बना देती है मां
खुद भूखी रह कर भी मेरा पेट भरती है मां
जमीं से शिखर तक साथ देती है मां
जन्म से आंखरी सांस तक साथ देती है मां
जिंदगी में मुश्किले चाहें कितनी भी हो
हंस के गुजार लेती है मा.
परिवार छोटा हो या बड़ा सम्भाल लेती है मां
मेरी आंखों में छुपी हर एक ख्वाहिश को पहचान लेती है मां
मेरे हर दर्द की दवा करती है मां
मेरी हर खता को माफ कर देती है मां
रिश्तों को जोड़ती है मां
बिना किसी स्वार्थ के प्यार देती है मां
परिवार खुश होता है तब खुश होती है मां
तू चाहे सन्तान ना हो उसकी फिर भी दुलार देती है मां।❤️❤️❤️❤️❤️
Sonal singh
अबकी बार, 500 पार?
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Re: एक माँ की बेबसी

Post by Sonal singh »

Harendra Singh wrote: Sun Dec 08, 2024 6:05 pm उदास होता हूं तो हंसा देती है मां
नींद नहीं आती है तो सुला देती है मां
मकान को घर बना देती है मां
खुद भूखी रह कर भी मेरा पेट भरती है मां
जमीं से शिखर तक साथ देती है मां
जन्म से आंखरी सांस तक साथ देती है मां
जिंदगी में मुश्किले चाहें कितनी भी हो
हंस के गुजार लेती है मा.
परिवार छोटा हो या बड़ा सम्भाल लेती है मां
मेरी आंखों में छुपी हर एक ख्वाहिश को पहचान लेती है मां
मेरे हर दर्द की दवा करती है मां
मेरी हर खता को माफ कर देती है मां
रिश्तों को जोड़ती है मां
बिना किसी स्वार्थ के प्यार देती है मां
परिवार खुश होता है तब खुश होती है मां
तू चाहे सन्तान ना हो उसकी फिर भी दुलार देती है मां।❤️❤️❤️❤️❤️
बिन बोले पीड़ा समझ जाती है मां
अपनी पीड़ा भूल संतान को दुलारती है मां बिना कुछ कहे बहुत कुछ समझ जाती है मां बुरा वक्त आने पर कभी काली तो कभी दुर्गा है मां काम खर्चों में खुशहाली और भूख मिटाने वाली है मां खुद भूखी रहकर संतान को खिलाने वाली है मां हर दुख को भूलकर हर जख्मों को भूल कर संतान को सुख देती है मां रानी और राजाओं के जैसी परवरिश देती है मां ❤️❤️❤️
Sarita
अबकी बार, 500 पार?
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Re: एक माँ की बेबसी

Post by Sarita »

के मुताबिक उसकी मां की बेबसी का वर्णन किया गया है रतन देखने में अन्य बच्चों की तरह ही था परंतु बोल नहीं सकता था वह रोज बच्चों के साथ खेलने आया करता था बच्चों के लिए वह अजूबा था क्योंकि वह उसे अपनों से अलग पाए थे
Harendra Singh
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Re: एक माँ की बेबसी

Post by Harendra Singh »

johny888 wrote: Sat Oct 26, 2024 4:30 pm कोख में पाले, सीने से लगाया,
छोटे से बच्चे को बड़ा किया।
दिन रात मेहनत की, त्याग दिया सब कुछ,
बच्चे की खुशी के लिए, झेला हर दुख।

बच्चा जब बीमार पड़ता,
माँ का दिल रोता, आँखें भर आतीं।
देखती रहती बेबस, दर्द सहती,
अपने बच्चे को संभालती।

बच्चा जब बड़ा होता,
रास्ते भटक जाता,
माँ की आँखों में आंसू,
दिल में दर्द छुपाती।

कभी समझता नहीं, माँ की पीड़ा,
रह जाती है अकेली, माँ की जिंदगी।
🫠🫠🫠
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