रक्षा बंधन पर सुधा मूर्ति ने शेयर की मुगल बादशाह हुमायूं और रानी कर्णावती की कहानी, लोगों ने जमकर किया ट्रोल

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रक्षा बंधन पर सुधा मूर्ति ने शेयर की मुगल बादशाह हुमायूं और रानी कर्णावती की कहानी, लोगों ने जमकर किया ट्रोल

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राज्यसभा सांसद और नारायण मूर्ति की की पत्नी सुधा मूर्ति ने रक्षाबंधन के अवसर पर मुगल सम्राट हुमायूं और चित्तौड़ की रानी कर्णावती से जुड़ी एक कहानी को सुनाते हुए एक पोस्ट सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर शेयर किया था। जिसमें उन्होंने रक्षाबंधन की शुरुआत की वजह मुगल बादशाह हुमायूं और रानी कर्णावती के इस कहानी को बताया था। सुधा मूर्ति ने अपने पोस्ट के कैप्शन में रक्षा बंधन के "समृद्ध इतिहास" के बारे में बताते हुए लिखा - "16वीं शताब्दी में जब रानी कर्णावती मुसीबत में थी तब उन्होंने मुगल सम्राट हुमायूं को रक्षा सूत्र भेंजकर मदद मांगी थी। यहीं से राखी भेजने की परंपरा शुरू हुई और यह आज भी जारी है।" जिसके बाद सोशल मीडिया यूजर्स ने उन्हें उनके इस पोस्ट के लिए ट्रोल कर दिया।

सुधा मूर्ति ने सुनाई सम्राट हुमायूं और रानी कर्णावती की कहानी
उन्होंने अपने पोस्ट में एक वीडियो भी शेयर किया है और कहा है कि, "रक्षाबंधन और राखी मेरे लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण त्योहार है, जहां एक बहन अपने भाई को रक्षा सूत्र बांधती है। यह धागा वह इसलिए बांधती हैं कि अगर मैं किसी मुसीबत में रहूं, तब तुम्हें हमेशा मेरी रक्षा करनी होगी। भाई-बहन का रिश्ता जीवन में बहुत खास रिश्ता होता है। अगर इतिहास में झांककर देखें तो रानी कर्णावती के साम्राज्य पर किसी दूसरे ने जब हमला किया तो उन्हें ये समझ नहीं आया कि वे क्या करें, इसलिए उन्होंने मुगल बादशाह हुमायूं को एक धागा भेजा और कहा कि मैं खतरे में हूं, मुझे आप अपनी बहन समझिए और मेरी सुरक्षा के लिए आप जल्द से जल्द आ जाइए। चूंकि हुमायूं किसी दूसरे देश से आया था इसलिए वह इस धागे और संदेश का मतलब नहीं समझ पाया। तब उसने अपने लोगों से इस बारे में पूछा। उनके लोगों ने हुमायूं को बताया कि यह एक भाई को एक बहन का बुलावा संदेश है। ताकि भाई वहां पहुंचकर अपनी बहन की सुरक्षा कर सके। हुमायूं को जब इसका मतलब पता चला तो वह तुरंत अपनी बहन कर्णावती की रक्षा के लिए दिल्ली छोड़कर निकल पड़ा। लेकिन उसे वहां पहुंचने में थोड़ी देर हो गई, तब तक रानी कर्णावती की मौत हो चुकी थी। लेकिन इस कहानी से हमें यह सबक मिलता है कि अगर बहन किसी मुसीबत में हो तो वह अपने भाई को एक धागा भेजकर उसे अपनी मदद के लिए बुला सकती है। उत्तर भारत में यह परंपरा है कि एक बहन मीलों दूरी तय कर के भी अपने भाई को राखी बांधने के लिए पहुंच जाती है और बदले में भाई उसकी रक्षा की वचन देता है।"

लोगों ने सुधा मूर्ति के पोस्ट पर उन्हें कर दिया ट्रोल
सुधा मूर्ति के इस पोस्ट को लेकर सोशल मीडिया पर उनके इस हुमायूं और कर्णावती वाली कहानी का विरोध होने लगा। यूजर्स उन्हें ट्रोल करने लगे। लोग कहने लगे की रक्षाबंधन की शुरुआत महाभारत काल से ही हो चुकी है। जब कृष्ण और द्रौपदी अच्छे दोस्त हुआ करते थे। एक दिन युद्ध में जब कृष्ण की उंगली में कट गई तब खून रोकने के लिए द्रौपदी ने अपना दुपट्टा फाड़कर उनकी उंगली पर बांध दिया। तब भगवान कृष्ण उन्हें अपनी बहन मानते हुए उनकी रक्षा का वचन दिया था। जब महाभारत युद्ध हुआ तब युद्ध में जाने से पहले कृष्ण की कलाई पर द्रौपदी ने राखी बांधी थी और अभिमन्यु की कलाई पर उनकी दादी कुंती ने राखी बांधी थी। हुमायूं ने बस भारत में अपना अधिपत्य स्थापित करने के लिए इन हिंदू कथाओं का सहारा लिया और अपने लोगों को इस तरह की कहानी लिखने को कहा। ये कहानी सिर्फ एक मनगढ़ंत कहानी है।


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Source: https://www.indiatv.in/viral/news/sudha ... 19-1068772

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Re: रक्षा बंधन पर सुधा मूर्ति ने शेयर की मुगल बादशाह हुमायूं और रानी कर्णावती की कहानी, लोगों ने जमकर किया ट्रोल

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सुधा मूर्ति ने अपने पोस्ट के कैप्शन में रक्षा बंधन के "समृद्ध इतिहास" के बारे में बताते हुए लिखा - "16वीं शताब्दी में जब रानी कर्णावती मुसीबत में थी तब उन्होंने मुगल सम्राट हुमायूं को रक्षा सूत्र भेंजकर मदद मांगी थी। यहीं से राखी भेजने की परंपरा शुरू हुई और यह आज भी जारी है।" उत्तर भारत में यह परंपरा है कि एक बहन मीलों दूरी तय कर के भी अपने भाई को राखी बांधने के लिए पहुंच जाती है और बदले में भाई उसकी रक्षा की वचन देता है।
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