भारतवर्ष में मुस्लिम महिलाओं को सभी हक प्राप्त हैं जो हिंदू महिलाएं सिख महिलाएं या यह साइन महिलाओं को प्राप्त है ऐसे में गुजारा भत्ता के लिए जो एक नियामक राशि तय कर रखा है वह मुस्लिम महिलाओं को भी मिलन निश्चित है जिसके सुप्रीम कोर्ट भी कई बार व्याख्या कर चुका है।Bhaskar.Rajni wrote: Mon Nov 18, 2024 10:21 pm मुस्लिम महिलाओं के लिए यह एक महत्वपूर्ण फैसला है जो कि उनकी आर्थिक तौर पर मदद करेगा क्योंकि मुस्लिम महिलाएं बहुत ही तीन हैं हालत में अपना जीवन गुजारती है जब उन्हें तलाक देकर घर से निकाल दिया जाता है और गुजारा भत्ता मिलने से उनकी कुछ आर्थिक मदद हो सकेगी और अपना जीवन यापन करने में मदद मिलेगी।
लेकिन मुस्लिम महिलाओं के रास्ते का बेड़ा उनके स्वंयजन होते हैं जो किसी न किसी रूप में मौलवी आदि बनकर सुप्रीम कोर्ट की बजाय शरीयत कानून लागू कर देते हैं यहीं से महिलाओं का जीवन नर्क हो जाता है। मुस्लिम महिलाओं को स्वयं के लिए कोई भी हक नहीं है लेकिन वही हमें भूलना नहीं चाहिए कि बेनजीर भुट्टो आज भी मुस्लिम देशों से उभर कर सामने आई है।