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Re: प्रेमियों के लिए कविता
Posted: Sun Dec 08, 2024 11:54 pm
by Harendra Singh
Bhaskar.Rajni wrote: Thu Nov 21, 2024 12:57 pm
तेरे साथ में जीवन है
तेरी बातों में मधुबन सी
तेरी यादें समीर के झौंके
सूरत तेरी सुमन सी
तू क्या है मेरे लिए
शब्दों में कैसे लिखूं
सारी कायनात हो जैसे
इसे शब्दों में कैसे भरूं?
एक रोज़,
जब टूट गई थी मेरी कोल्हापुरी
तब उतार दी थी तुमने भी अपनी चप्पल
और उड़ने लगी थीं मेरे साथ हरी दूब पर
उस रोज़ आख़िरी बार घास इतनी अधिक सब्ज़ हुई थी
और तुम इतनी अधिक गुलाबी
उस रोज़ आख़िरी बार दिल्ली में इंद्रधनुष अपनी पूरी रंगत में निकला था
और आख़िरी बार मैंने बादलों पर घोड़े दौड़ाए थे
तुम्हारी यादों की नदी में,
मैं रोज़
डूबता हूँ
और रोज़ तलाशता हूँ किनारा
मेरे चश्मे का फ़्रेम अब कुछ बड़ा हो गया है
लेकिन तुम्हारी उँगलियाँ इतनी दूर
कि मेरी दूर की नज़र को भी वे नज़र नहीं आतीं
कोल्हापुरी अब टूटती नहीं है
और धुँध के साथ चलना सीख लिया है मैंने
बस्स! हाथ ठंडे रहते हैं
और बायाँ कांधा…
बायाँ कांधा बहुत दुखता है सर्दियों में।
Re: प्रेमियों के लिए कविता
Posted: Sun Dec 08, 2024 11:57 pm
by Harendra Singh
Sonal singh wrote: Sun Dec 08, 2024 6:27 pm
अब के सावन में ये शरारत मेरे साथ हुई...
अब के सावन में ये शरारत मेरे साथ हुई,
मेरा घर छोड़ के कुल शहर में बरसात हुई
आप मत पूछिए क्या हम पे सफ़र में गुजरी?
था लुटेरों का जहाँ गाँव वहीं रात हुई
ज़िंदगी-भर तो हुई गुफ़्तगू गैरों से मगर,
आज तक हमसे न हमारी मुलाक़ात हुई
प्रेमिकाएँ तकलीफ़देह थीं। जब-जब उन्हें मजबूरन छोड़कर जाना पड़ा, तब-तब वे सिर्फ़ मजबूर लगीं। जब-जब उन्होंने आँखों के सामने ही दूसरा पुरुष चुन लिया, तब-तब वे सिर्फ़ नीच लगीं। और जब-जब हमेशा के लिए साथ रह गईं तो सिर्फ़ प्रेमिका नहीं रह गईं। पीड़ा और रिक्तता हर हाल में मिली। इस ‘सिर्फ़’ सोच के चलते किसी प्रेमिका को मज़बूत मानकर मुनादी पीटना क़ायदे से मुश्किल है।
Re: प्रेमियों के लिए कविता
Posted: Mon Dec 09, 2024 12:00 am
by Harendra Singh
तुम्हें औषध मिले, पीर न मिले
दृष्टि मिले, दृश्य न मिले
नींदें मिलें, स्वप्न न मिले
गीत मिलें, धुन न मिले
नाव मिले, नदी न मिले
प्रिय!
तुम पर प्रेम के हज़ार कोड़े बरसें
तुम्हारी पीठ पर एक नीला निशान तक न मिले
Re: प्रेमियों के लिए कविता
Posted: Mon Dec 09, 2024 12:05 pm
by Anurag Srivastava
रात के दरिया का किनारा भी कभी आएगा
वक्त का क्या है हमारा भी कभी आएगा
मेरे हिस्से में आया था अच्छा कोई दिन
पूछना था दोबारा कभी आएगा
Re: प्रेमियों के लिए कविता
Posted: Mon Dec 09, 2024 5:03 pm
by Anurag Srivastava
हम वह नहीं जो तुझे गम में छोड़ देंगे
हम वह नहीं जो तुझसे रिश्ता तोड़ देंगे
हम तो तेरे वह हैं जो तेरी सांसे बंद होने पर
तेरी सांसों को अपनी सांसों से जोड़ देंगे
Re: प्रेमियों के लिए कविता
Posted: Mon Dec 09, 2024 6:31 pm
by Anurag Srivastava
मैं और तुम तुम और मैं ढेर सी बातें
कल्पना से लेकर कॉलेज तक
बारिश से लेकर इंद्रधनुष तक
रहते हैं साथ-साथ करते हैं कुछ बात
मन ही मन में कह दिया था हमने आंखों से
शायद तुम्हें है याद मेरी वह शामें तन्हाई
जब याद तुम् आई पहली बार था शायद तो पहला प्यार था
Re: प्रेमियों के लिए कविता
Posted: Tue Dec 10, 2024 6:48 pm
by Anurag Srivastava
जाने क्या वास्ता है तुमसे
हजारों अपने है मगर सिर्फ तुम ही याद रह जाते हो
हां तुमसे मिलकर महसूस किया मैंने
पसंदीदा सख्श के साथ इंसान दर्द और वक्त अक्सर भूल जाता है
Re: प्रेमियों के लिए कविता
Posted: Tue Dec 10, 2024 8:18 pm
by Anurag Srivastava
मुझे हमारा रिश्ता समझ नहीं आ रहा है हम है क्या आखिर ये साफ नजर नहीं
आता
कभी लगता है जैसे दोस्त हूं कभी दोस्ती से बढ़कर
कभी लगता है कुछ है बीच हमारे कभी बिल्कुल परे
कभी तुम ऐसे बात करती हो जैसे स्पेशल हूं मै
कभी इतना इग्नोर करती हो जैसे कुछ हु ही नहीं मैं
कभी लगता है तुम इंटरेस्टेड हो मेरी बात से
कभी लगता है बस फॉर्मेलिटी ही चल रही है तुम्हारी तरफ से
कभी लगता है तुम्हारा भी ध्यान है मेरी और
कभी लगता है तुम्हे मुझसे केवल मतलब ही है
कभी लगता है तुम्हे सच में फिक्र है मेरी
कभी दिल की बाते लगती है कभी बेमन से ज्यादा
ये कैसा रिश्ता है न तो अजनबी है
और ना ही उससे ज्यादा
Re: प्रेमियों के लिए कविता
Posted: Wed Dec 11, 2024 12:04 am
by Anurag Srivastava
पता है जो हर वक्त आपसे आपका वक्त मांगते हैं ना लड़ते हैं आपसे आपके टाइम के लिए और आप उन्हें टाइम नहीं दे पाते
एक दिन वह खामोश हो जाएंगे पता है एक दिन वह आपका वक्त मांगना छोड़ देंगे
और तब आपको एहसास होगा कि आपने क्या छोड़ दिया और पता है
उसके बाद आप कुछ भी सुधार नहीं पाएंगे क्योंकि होगा क्या ना तो आपसे जो वक्त मांग रहा है उसके अंदर सब कुछ खत्म हो चुका होगा उसके अंदर आपके प्रति ना वह संवेदनाएं न भावनाएं , सहनशीलता ना वह प्यार ना वह अपना व्यवहार इसलिए चीजों को ना वक्त सुधारो लोगों को वक्त रहते समझो क्योंकि वक्त निकल गया सब चला गया
Re: प्रेमियों के लिए कविता
Posted: Wed Dec 11, 2024 1:09 pm
by Sarita
मुझे तुम्हारी सास की जरूरत है मुझे जीने की यह जरूरत है मुझे तुम्हारे प्यार की जरूरत है...