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Re: हिन्दी प्रतियोगिता - स्वच्छ भारत , स्वच्छ विचार ( 02.10.2024 से 02.10.2025 तक)
Posted: Tue Mar 04, 2025 10:10 pm
by Ruchi Agarwal
Username : Ruchi Agarwal
Post no. : 55
शीर्षक : फिक्र
तेरे दर्दे दिल की दवा बन पाऊं
उसी कौशिश में लगी हूं मैं
पर तकदीर का लिखा
कोई बदल नहीं सकता
देखा नहीं जाता मुझसे
तुझे यू दर्द में
पर हर बार नाकाम
हो जाती मेरी कौशिशें
और टूट जाती है तुम्हारी उम्मीद भी ।
Re: हिन्दी प्रतियोगिता - स्वच्छ भारत , स्वच्छ विचार ( 02.10.2024 से 02.10.2025 तक)
Posted: Tue Mar 04, 2025 10:17 pm
by Ruchi Agarwal
Username: Ruchi Agarwal
Post no. : 56
शीर्षक : नया सवेरा
हर दिन नया सवेरा संग में
नई अभिलाषा लाता है ,
कुछ पुरानी यादें भूलाता है
कुछ नई चुनौतियां लाता है,
जीवन बोझिल ना लगे
आशाओं से जुड़ जाओ
नित नई खोज करो
और जिज्ञासा बढ़ाओ।
Re: हिन्दी प्रतियोगिता - स्वच्छ भारत , स्वच्छ विचार ( 02.10.2024 से 02.10.2025 तक)
Posted: Tue Mar 04, 2025 10:17 pm
by Ruchi Agarwal
Username: Ruchi Agarwal
Post no. : 56
शीर्षक : नया सवेरा
हर दिन नया सवेरा संग में
नई अभिलाषा लाता है ,
कुछ पुरानी यादें भूलाता है
कुछ नई चुनौतियां लाता है,
जीवन बोझिल ना लगे
आशाओं से जुड़ जाओ
नित नई खोज करो
और जिज्ञासा बढ़ाओ।
Re: हिन्दी प्रतियोगिता - स्वच्छ भारत , स्वच्छ विचार ( 02.10.2024 से 02.10.2025 तक)
Posted: Tue Mar 04, 2025 10:25 pm
by Ruchi Agarwal
Username : Ruchi Agarwal
Post no. : 57
शीर्षक : जरूरत से ज्यादा
ज्यादा जानने समझने की कोशिश में
हम इतना ज्यादा खो गए,
के नजदीकी वो पल सभी
अनदेखे ही रह गए,
अंजानी ,चीजें जितनी
सरल रूप में रहती है
गहराई में जाने से वह
पेचीदा हो जाती है
जितनी जरूरत उतना ही समझो
तो संतुलन बिगड़ ना पाता है
ज्यादा की कोशिशों में
सुकून कही खो जाता है।
Re: हिन्दी प्रतियोगिता - स्वच्छ भारत , स्वच्छ विचार ( 02.10.2024 से 02.10.2025 तक)
Posted: Tue Mar 04, 2025 11:14 pm
by Ruchi Agarwal
Username: Ruchi Agarwal
Post no. : 58
शीर्षक : अंतर्मन की बातें
चारो ओर सन्नाटा है
पर अंदर है कितना शोर,
बिखर गए हैं मोती सारे
टूट गई है डोर,
धरती अंबर सब मिलकर के
जोड़ उसे ना पाएंगे,
मेरे अविचल बहते आसू
क्या कभी रुक पाएंगे ?
मेरी आत्मा तुझे सौंपकर
लाश बनी में फिरती हूं ,
दिलो जान से पहले जैसा
प्यार अभी भी करती हूं।
Re: हिन्दी प्रतियोगिता - स्वच्छ भारत , स्वच्छ विचार ( 02.10.2024 से 02.10.2025 तक)
Posted: Tue Mar 04, 2025 11:23 pm
by Ruchi Agarwal
Username: Ruchi Agarwal
Post no. : 59
शीर्षक: नहीं आसान होता
नहीं आसान होता है
किसी को भूला पाना
दिल में बसाकर
मन से निकाल पाना
बहुत दर्द होता है
असीमित असहाय
हालत ऐसी हो जाती है
की जिया ही ना जाए
तड़प उठता है दिल
दूरी ना सही जाती है
नजर भर देखने को
आँखें बेचैन हो जाती है।
Re: हिन्दी प्रतियोगिता - स्वच्छ भारत , स्वच्छ विचार ( 02.10.2024 से 02.10.2025 तक)
Posted: Tue Mar 04, 2025 11:32 pm
by Ruchi Agarwal
Username: Ruchi Agarwal
Post no. : 60
शीर्षक: कुर्बानी के रंग
लहर लहर लहराता है
तिरंगा चहूं ओर
लेकर अपने साथ में
आजादी का सराबोर।
उमड़ घुमड़ मन में छाए
खुशियां अपार
शहीदों ने लहू गवाकर
आजादी का सपना ,किया साकार
इस देश की मिट्टी
गौरव उनका गाएगी
कुर्बान हुए उन वीरों का
कर्ज चुका ना पाएगी ।
Re: हिन्दी प्रतियोगिता - स्वच्छ भारत , स्वच्छ विचार ( 02.10.2024 से 02.10.2025 तक)
Posted: Tue Mar 04, 2025 11:36 pm
by Ruchi Agarwal
Username: Ruchi Agarwal
Post no.: 61
शीर्षक: जय जय भारत गणतंत्र
आओ सब मिलकर गणतंत्र दिवस मनाते हैं
अपने देश की आन बान शान को बढ़ाते हैं
76 वे गणतंत्र दिवस की सबको हार्दिक बधाई
हमारे देश के संविधान की हमेशा रही है इकाई
न्याय और समानता का सबको अधिकार है
छोटे बड़े का भेद नहीं, मिले सबको एक सा प्यार है
सब दिल से अपना रहे ,यह सत्य का प्रतीक है
संविधान में लिखी गई हर एक बात सटीक है ।
Re: हिन्दी प्रतियोगिता - स्वच्छ भारत , स्वच्छ विचार ( 02.10.2024 से 02.10.2025 तक)
Posted: Tue Mar 04, 2025 11:41 pm
by Ruchi Agarwal
User name: Ruchi Agarwal
Post no. : 62
शीर्षक: प्रयास
सच कहा तुमने कि तुम हालातो से मजबूर हो
ना चाहते हुए भी अपने सपनों से दूर हो
एक दिन ये फासले सब खत्म हो जाएंगे
तुम्हारे कदम खुदको मंजिल के करीब पाएंगे
अपनी मंजिल पाकर , लेना चैन की सांस
व्यर्थ नहीं जाते कभी , दिल से किए प्रयास।
Re: हिन्दी प्रतियोगिता - स्वच्छ भारत , स्वच्छ विचार ( 02.10.2024 से 02.10.2025 तक)
Posted: Wed Mar 05, 2025 6:40 pm
by utopian_writeups
Username - Utopian_writeups
Post NO.- 52
तुझको दिल का हिस्सा नहीं,
पूरा दिल बना लिया,
खुद को तराश कर,
तेरी दोस्ती के काबिल बना लिया,
मैं वो कश्ती था कि,
जिसका कोई किनारा नही था,
फिर तू मिला तो तुझको,
अपना साहिल बना लिया।