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Re: हिन्दी प्रतियोगिता - स्वच्छ भारत , स्वच्छ विचार ( 02.10.2024 से 02.10.2025 तक)
Posted: Mon Mar 10, 2025 11:48 pm
by Ruchi Agarwal
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Post no. 73
शीर्षक: गुणों की गुणवत्ता
कोई भी चीज बेकार नहीं होती
भले वो हमें स्वीकार नहीं होती।
हर चीज का अपना मोल है
भगवान का रचा हर पहलू अनमोल है।
बिन मतलब हम नहीं देख पाते है
हर चीज की अपनी खूबसूरती है
ये नहीं समझ पाते है।
हम तब ही कर पाएंगे
किसी का यथोचित सम्मान
जब किसी के अनमोल गुणों पर
केंद्रित करेंगे अपना ध्यान ।
Re: हिन्दी प्रतियोगिता - स्वच्छ भारत , स्वच्छ विचार ( 02.10.2024 से 02.10.2025 तक)
Posted: Mon Mar 10, 2025 11:54 pm
by Ruchi Agarwal
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Post no. 74
शीर्षक: प्रेम
प्यार की रोशनी सलामत हो
चाहे चारों ओर कयामत हो,
मन में भरा हो उजियारा
बहती रहे प्रेम धारा,
इबादत से ये कम नहीं
मोहब्बत में ताकत कम नहीं,
इसकी गहराई का पार नहीं
प्रेम बिना संसार नहीं।
बाहरी दुनिया में नहीं मिलेगा
चाहे ढूंढो सौ बार
स्वयं के अंदर ही होता है
प्रेम का संचार ।
Re: हिन्दी प्रतियोगिता - स्वच्छ भारत , स्वच्छ विचार ( 02.10.2024 से 02.10.2025 तक)
Posted: Mon Mar 10, 2025 11:58 pm
by Ruchi Agarwal
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Post no. 75
शीर्षक: मुश्किलों से नहीं डरते
मुश्किलों से नहीं डरते
मुश्किलें मजबूत बनाती है ,
जला देती भले पूर्ण रूप से
पर सोने सा खरा बनाती है,
जीवन के हर सबक सिखाकर
ऊंच नीच समझाती है,
हर कठिन राहों पर डटकर
मुश्किलें ही चलना सिखलाती है।
Re: हिन्दी प्रतियोगिता - स्वच्छ भारत , स्वच्छ विचार ( 02.10.2024 से 02.10.2025 तक)
Posted: Tue Mar 11, 2025 12:02 am
by Ruchi Agarwal
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Post no. 76
शीर्षक : जायका जिंदगी का
जायका जिंदगी का
क्या खूब स्वाद चखाता है
कभी मीठा ,कभी खट्टा
तो कभी कड़वा एहसास दिलाता है।
मीठा एहसास कराने में
कड़वे की बड़ी भूमिका है
है एक की खुशी पर दूजा कुर्बान
यही जायके से सिखा है।
हर जायके का जीवन में
अपना विशिष्ट स्थान है
ये महकाते हर हाल में रहकर
यही इनकी खूबसूरत पहचान है ।
Re: हिन्दी प्रतियोगिता - स्वच्छ भारत , स्वच्छ विचार ( 02.10.2024 से 02.10.2025 तक)
Posted: Tue Mar 11, 2025 12:08 am
by Ruchi Agarwal
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Post no. 77
शीर्षक: कुछ अनजाने ख्याल
जो कही भी ना पहुंचे
वो ऐसे ख्याल हैं,
कोई समझे या ना समझे
वे फिर भी बेमिसाल है ,
हर ख्याल समझ पाए
ऐसे लोग कम होते है,
पराए दर्द को समझकर जो
उनके साथ में रोते हैं,
ऐसे लोगों का मिलना भी
अपने आप में मिसाल है,
जो कही भी ना पहुंचे
ऐसे भी कुछ खयाल है।
Re: हिन्दी प्रतियोगिता - स्वच्छ भारत , स्वच्छ विचार ( 02.10.2024 से 02.10.2025 तक)
Posted: Tue Mar 11, 2025 12:11 am
by Ruchi Agarwal
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Post no. 78
शीर्षक: कल किसने देखा है
कौन जाने दोस्तों
कैसा समय आएगा ,
हम सदा साथ रहेंगे
या कोई बिछड़ जाएगा ,
जब तक हैं साथ
जी भरकर मुस्कुरालो,
एक दूजे के साथ
भरपूर समय बिता लो,
ना जाने ये जिंदगी
क्या क्या रंग दिखलाएगी,
फिर एक झलक पाने को भी
आँखें तरस जाएंगी ।
Re: हिन्दी प्रतियोगिता - स्वच्छ भारत , स्वच्छ विचार ( 02.10.2024 से 02.10.2025 तक)
Posted: Tue Mar 11, 2025 1:42 pm
by Ruchi Agarwal
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Post no. 79
शीर्षक: कौन हमारी बात सुने
जब तुमने ही मुंह फेर लिया
तो कौन हमारी बात सुने,
उठ गया विश्वास सभी से
तो नया साथी किसको चुने,
आदत नहीं थी कभी मुझे
तेरे बिना यूं जीने की,
ये दर्द भरी कड़वी सच्चाई
घूंट घूंट भर पीने की ,
रूह मेरी तुझमें बस्ती थी
जिसको ना अब तक मोक्ष मिला,
तुझसे अलग हो पाई कभी ना
ना टूटा मोह का सिलसिला।
Re: हिन्दी प्रतियोगिता - स्वच्छ भारत , स्वच्छ विचार ( 02.10.2024 से 02.10.2025 तक)
Posted: Tue Mar 11, 2025 1:45 pm
by Ruchi Agarwal
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Post no. 80
शीर्षक: जब तुम आओ
जब तुम आओ मिलने कभी
तो टुकड़ों में ना आना,
एक हिस्सा कही और छोड़कर
बस दूजा ना ले आना ,
यूं आधे आधे हिस्सों में
पूर्ण समर्पण ना होगा,
आधे दर्पण में ,अपनत्व का
आधा अर्क मिला होगा ,
वो अधूरे पन्नो की पुस्तक
तुम मुझको ना पढ़ाना,
जब तुम आओ मिलने कभी
तो पूर्ण रूप में आना।
Re: हिन्दी प्रतियोगिता - स्वच्छ भारत , स्वच्छ विचार ( 02.10.2024 से 02.10.2025 तक)
Posted: Tue Mar 11, 2025 1:51 pm
by Ruchi Agarwal
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Post no. 81
शीर्षक: जीवन का महत्व समझो
क्यों गुजरे वक्त की यादों में
तू आज को खोता है,
ना दिन चैन से बीते तेरे
ना ही रातों को सोता हैं ,
गुजर गए जो लम्हे उनका
कब तक शोक मनाएगा ,
वो लम्हे वापस ना आएंगे
पर तू पूरा मिट जाएगा ,
मिला एक ही जीवन सबको
क्यों करता है, उसको बेकार ,
नजर उठाकर देख जरा तू
बाहें फैलाए खड़ा है प्यार ।
Re: हिन्दी प्रतियोगिता - स्वच्छ भारत , स्वच्छ विचार ( 02.10.2024 से 02.10.2025 तक)
Posted: Tue Mar 11, 2025 1:56 pm
by Ruchi Agarwal
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Post no. 82
शीर्षक: हमारे पास रहना तुम
हो दिल का अटूट हिस्सा
तुम हो हमारी जान,
कभी कभी मिलते हो हमसे
जैसे कोई मेहमान,
दूर चले गए हो इतना
की हो गए हो गुम,
बस जीवन की अंत घड़ी में
हमारे पास रहना तुम।