नई दिल्ली: मनु भाकर स्वतंत्रता के बाद एक ही ओलंपिक में दो पदक जीतने वाली पहली भारतीय बन गई हैं. भाकर ने मंगलवार को सरबजोत सिंह के साथ मिलकर पेरिस ओलंपिक 2024 में 10 मीटर एयर पिस्टल मिश्रित टीम वर्ग में दक्षिण कोरिया को हराकर इतिहास रच दिया. भारतीय जोड़ी ने कोरिया के ली वोन्हो और ओ ये जिन को 16-10 से हराकर देश को इस ओलंपिक में दूसरा पदक दिलाया. मनु ने इससे पहले महिलाओं की 10 मीटर एयर पिस्टल स्पर्धा में कांस्य जीता था.
मनु की इस ऐतिहासिक सफलता पर उनके माता-पिता ने तिरंगा लहराकर बेटी की जीत का जश्न मनाया. सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें हरियाणा के फरीदाबाद में मनु के माता-पिता अपनी बेटी की ऐतिहासिक जीत का जश्न मना रही हैं. वीडियो में मनु के माता औप पिता इस दौरान तिरंगे से लिपटे हुए हैं और वह उसे लहरा रहे हैं.
मनु ने पेरिस ओलंपिक में दो पदक जीते हैं और वह एक ही ओलंपिक में पदक जीतने वाली आजादी के बाज देश की पहली खिलाड़ी बन गई हैं. ब्रिटिश मूल के भारतीय खिलाड़ी नॉर्मन प्रिचार्ड ने 1900 ओलंपिक में 200 मीटर फर्राटा और 200 मीटर बाधा दौड़ में रजत पदक जीते थे लेकिन वह उपलब्धि आजादी से पहले की थी.
मनु के पास एक ही ओलंपिक में तीन मेडल जीतने का मौका
मनु को अभी 25 मीटर एयर पिस्टल स्पर्धा में भी उतरना है और उनके पास तीसरा पदक जीतने का भी मौका है. सरबजोत 10 मीटर एयर पिस्टल व्यक्तिगत वर्ग में क्वालीफिकेशन में 577 के स्कोर के साथ नौवें स्थान पर रहे थे और फाइनल में जगह नहीं बना सके थे.
मनु और सरबजोत ने क्वालीफिकेशन दौर में 580 स्कोर करके कांस्य पदक के मुकाबले में जगह बनाई थी. टोक्यो ओलंपिक में मनु पिस्टल में खराबी आने के कारण फाइनल के लिये क्वालीफाई नहीं कर सकी थी लेकिन यहां दो पदक जीतकर उन्होंने हर जख्म पर मरहम लगा दिया.
मनु ने जीत के बाद कहा, ”मैं बहुत ही गर्व महसूस कर रही हूं. सभी को शुभकामनाओं के लिये धन्यवाद. हम विरोधी टीम के प्रदर्शन पर नियंत्रण नहीं कर सकते लेकिन अपना प्रदर्शन तो अपने साथ में है । मैने और मेरे जोड़ीदार ने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करके अंत तक जुझारूपन नहीं छोड़ा.
अंबाला के निशानेबाज सरबजोत पर व्यक्तिगत वर्ग में नाकाम रहने के बाद अच्छे प्रदर्शन का काफी दबाव था. उन्होंने कहा, ” मुझे अच्छा लग रहा है. मुकाबला काफी कठिन था और काफी दबाव था.”
टोक्यो ओलंपिक में मनु पिस्टल में खराबी आने के कारण फाइनल के लिये क्वालीफाई नहीं कर सकी थी लेकिन यहां दो पदक जीतकर उन्होंने हर जख्म पर मरहम लगा दिया.