स्वतंत्रता से पहले के हिंदी साहित्य में कई क्रांतिकारी कवियों ने अपने काव्य के माध्यम से भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इनमें से एक प्रमुख क्रांतिकारी कवि थे रामधारी सिंह 'दिनकर'। दिनकर का साहित्यिक जीवन राष्ट्रीय भावना और क्रांतिकारी विचारों से भरपूर था। उनकी कविताएँ न केवल स्वतंत्रता संग्राम के दौरान भारतीय जनता में उत्साह और जोश भरती थीं, बल्कि उनमें सामाजिक अन्याय और शोषण के खिलाफ भी तीव्र विरोध व्यक्त होता था।
दिनकर की प्रमुख रचनाओं में "रश्मिरथी," "कुरुक्षेत्र," और "परशुराम की प्रतीक्षा" शामिल हैं। उनकी कविताएँ वीर रस से ओतप्रोत हैं और उनमें राष्ट्रीयता की भावना प्रबल है। दिनकर ने अपने काव्य में भारतीय संस्कृति और गौरव का गुणगान किया और लोगों को स्वतंत्रता संग्राम के लिए प्रेरित किया। उनकी रचनाएँ इतनी प्रभावशाली थीं कि उन्हें 'राष्ट्रकवि' का सम्मान भी प्राप्त हुआ।
इसके अलावा, मैथिलीशरण गुप्त भी एक प्रमुख क्रांतिकारी कवि थे। उनकी रचनाएँ "भारत-भारती" और "साकेत" ने भारतीय जनता में देशप्रेम और राष्ट्रीयता की भावना को जागृत किया। गुप्त जी की कविताओं में स्वतंत्रता, सामाजिक सुधार और भारतीय संस्कृति की महत्ता का संदेश मिलता है।
इन महान कवियों ने अपनी कविताओं के माध्यम से स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण योगदान दिया और भारतीय जनमानस को जागरूक और प्रेरित किया। उनके काव्य आज भी हमें उनके क्रांतिकारी विचारों और देशभक्ति की भावना की याद दिलाते हैं।