सरोजिनी नायडू का उपनाम क्या है?

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Warrior
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Joined: Mon Jul 29, 2024 8:39 pm

सरोजिनी नायडू का उपनाम क्या है?

Post by Warrior »

सरोजिनी नायडू को भारतीय साहित्य में "नाइटिंगेल ऑफ इंडिया" (भारत की नाइटिंगेल) के उपनाम से जाना जाता है। यह उपनाम उन्हें उनकी काव्य रचनाओं की सौंदर्य और भावनात्मक गहराई के कारण मिला। सरोजिनी नायडू ने हिंदी और अंग्रेजी में कविताएँ लिखीं और उनके लेखन में भारतीय संस्कृति, प्रकृति, और सामाजिक मुद्दों की सुंदर और संवेदनशील अभिव्यक्ति देखने को मिलती है। उनके प्रमुख काव्य संग्रह में "इन नाचूरल वर्ड्स," "द कोलोनियल गार्डन," और "इन्डियन गाथा" शामिल हैं। उनकी कविता और लेखन ने उन्हें भारतीय साहित्य के प्रमुख व्यक्तित्वों में शामिल किया और उनकी काव्यात्मक कला को एक नई ऊँचाई दी।
johny888
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Re: सरोजिनी नायडू का उपनाम क्या है?

Post by johny888 »

सरोजिनी नायडू को अक्सर "भारत की कोकिला" के नाम से जाना जाता है। उनकी कविता में संगीत और सुंदरता की इतनी मिठास थी कि उनकी आवाज को कोकिला की मधुर आवाज से तुलना की जाती थी। कहा जाता है कि जब वे अपनी कविताएं पढ़ती थीं तो उनकी आवाज इतनी मधुर होती थी कि सुनने वाले मंत्रमुग्ध हो जाते थे। इसलिए, उनकी कविता और उनकी आवाज दोनों ही कारण थे कि उन्हें "भारत की कोकिला" का उपनाम दिया गया।
Realrider
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Re: सरोजिनी नायडू का उपनाम क्या है?

Post by Realrider »

Sarojini Naidu, इन्हें "Bharat Kokila" के नाम से भी जाना जाता है|

उनके जीवन और कार्य के कुछ कम ज्ञात तथ्य उनके असाधारण योगदान की गहराई को उजागर करते हैं:

1. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की पहली महिला अध्यक्ष: 1925 में सरोजिनी नायडू भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की अध्यक्ष बनने वाली पहली भारतीय महिला बनीं। उनसे पहले केवल एनी बेसेंट (एक आयरिश महिला) ने यह पद संभाला था।

2. प्रारंभिक कविता और प्रतिष्ठित कवियों से सराहना: नायडू की कविताओं ने कई प्रतिष्ठित साहित्यकारों जैसे एडमंड गॉस, आर्थर साइमन्स और यहां तक कि रवींद्रनाथ टैगोर को भी प्रभावित किया। उनकी काव्य संग्रह द गोल्डन थ्रेशोल्ड 1905 में प्रकाशित हुई, जिससे वे भारतीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक प्रतिष्ठित कवि के रूप में जानी गईं।

3. बहुभाषी कौशल: यद्यपि उन्होंने मुख्य रूप से अंग्रेजी में लिखा, सरोजिनी कई भाषाओं में निपुण थीं, जैसे उर्दू, तेलुगु, बांग्ला और फ़ारसी। उनकी बहुभाषी योग्यता ने उन्हें भारत और विदेशों में विभिन्न दर्शकों के साथ जुड़ने में मदद की।

4. मेडिकल शिक्षा छोड़ साहित्य को चुना: सरोजिनी मूल रूप से लंदन के किंग्स कॉलेज और बाद में कैंब्रिज के गिर्टन कॉलेज में चिकित्सा अध्ययन करने गईं थीं। हालाँकि, वहाँ उन्होंने कविता के प्रति अपनी रुचि पाई और चिकित्सा अध्ययन छोड़कर लेखन को अपनाया।

5. महात्मा गांधी के साथ गहरा संबंध: महात्मा गांधी के साथ उनका संबंध व्यक्तिगत और पेशेवर दोनों था। सरोजिनी गांधीजी की एक करीबी विश्वासपात्र थीं, जो उनके अभियानों और आंदोलनों में सक्रिय रूप से भाग लेती थीं। उन्होंने गांधी को स्नेहपूर्वक "मिक्की माउस" कहकर संबोधित किया।

6. भारत में महिलाओं के अधिकारों की समर्थक: उन्होंने महिलाओं के अधिकारों की पुरजोर वकालत की। 1918 में, नायडू ने महिला भारतीय संघ (WIA) की स्थापना में मदद की, जो सामाजिक सुधारों के लिए अभियान चलाता था, जिसमें भारतीय महिलाओं को वोट का अधिकार भी शामिल था।

7. यूनाइटेड प्रोविन्सेस की राज्यपाल: 1947 में भारत की स्वतंत्रता के बाद, सरोजिनी नायडू एक राज्य की पहली महिला राज्यपाल बनीं और यूनाइटेड प्रोविन्सेस (अब उत्तर प्रदेश) का कार्यभार संभाला। वह 1949 में अपनी मृत्यु तक इस पद पर रहीं।

8. जनसभा में बोलने की अनूठी शैली: सरोजिनी नायडू अपनी जनसभाओं में अपने हास्य और बुद्धिमत्ता के लिए जानी जाती थीं। उनका काव्यात्मक और भावनात्मक भाषण शैली उन्हें अपने समय के सबसे प्रभावशाली वक्ताओं में से एक बनाती थी।

9. ब्रिटिश महिला मताधिकार समर्थकों के साथ निकट संबंध: इंग्लैंड में रहते हुए, सरोजिनी ने एमेलिन पैंकहर्स्ट जैसे महिला मताधिकार समर्थकों के साथ मित्रता विकसित की। इस अंतरराष्ट्रीय अनुभव ने भारत में महिलाओं के सशक्तिकरण के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को और मजबूत किया।

10. कार्यालय में ही मृत्यु: 2 मार्च 1949 को लखनऊ में सरकारी भवन में अपने कार्यालय में काम करते समय उन्हें दिल का दौरा पड़ा और उनकी मृत्यु हो गई। यह उनके सार्वजनिक सेवा के प्रति आजीवन समर्पण का प्रतीक है।
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