सिख रिपब्लिकन हरमीत ढिल्लों ने मंगलवार को मिलवाउकी में चल रहे रिपब्लिकन सम्मेलन में डोनाल्ड ट्रंप के सामने अरदास पढ़ी थी। हालांकि, इसके बाद अमेरिका में ही उनका विरोध शुरू हो गया था। कई अमेरिकन ने सोशल मीडिया पर उनके ऊपर विदेशी भगवान की प्रार्थना करने का आरोप लगाया है।
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वाशिंगटन: भारतीय मूल की रिपब्लिकन सिख नेता हरमीत ढिल्लों रिपब्लिकन पार्टी कन्वेंशन में सिख प्रार्थना अरदास करके सुर्खियों में आ गई हैं। मंगलवार को जब उन्होंने अरदास की, उस समय राष्ट्रपति चुनाव में रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप भी मौजूद थे। रिपब्लिकन सम्मेलन में उन्होंने कहा, मैं सिख प्रवासियों के परिवार से आती हूं। मैं आज रात मेरे साथी रिपब्लिकन और मेहमानों, आप सभी के साथ दुनियाभर में 2.5 करोड़ से अधिक लोगों द्वारा की जाने वाली एक प्रार्थना साझा करके सम्मानित महसूस कर रही हूं। उन्होंने अपनी प्रार्थना में ट्रंप की जान बचाने के लिए धन्यवाद भी दिया था। हालांकि, उन्होंने इस प्रार्थना के लिए ट्रोलिंग का भी सामना करना पड़ा।
सिख प्रार्थना पर हुईं ट्रोल
सिख प्रार्थना को ईश निंदा बताते हुए एक जॉर्ज नाम के यूजर ने एक्स पर लिखा, बिल्कुल स्वीकार नहीं। मेरे मन में हरमीत ढिल्लन के लिए सम्मान के अलावा कुछ नहीं है, लेकिन जिसने भी उन्हें विदेशी भगवान से प्रार्थना करने के लिए आमंत्रित किया है, उसे बाहर करो। केवल एक ही सच्चा भगवान है जिसकी हम प्रार्थना करते हैं और उसका नाम वह नहीं है जो उसने कहा है। उसका नाम यहोवा है और उसका एकमात्र पुत्र यीशु मसीह है।' कई लोग ढिल्लों के प्रति समर्थन में भी आए और उनके खिलाफ नफरत की भावना को पूरी तरह से गलत बताया।
कौन हैं हरमीत ढिल्लों?
हरमीत ढिल्लों का जन्म भारत के चंडीगढ़ में सिख परिवार में हुआ था। बचपन में ही वे अमेरिका चली गईं, जहां उत्तरी कैरोलिना के ग्रामीण शहर में उनका पालन-पोषण हुआ। उन्होंने डार्टमाउथ कॉलेज में शिक्षा प्राप्त की और बाद में वर्जीनिया विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ लॉ में कानून की पढ़ाई की। ढिल्लों ने फोर्थ सर्किट के यूनाइटेड स्टेट्स कोर्ट ऑफ अपील्स के जज पॉल विक्टर नीमेयर के लिए क्लर्क के रूप में अपना करियर शुरू किया। हमारे सहयोगी टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, 2006 में उन्होंने अपनी खुद की लॉ फर्म 'ढिल्लों लॉ ग्रुप' की स्थापना की। उसी साल उन्होंने कैलिफोर्निया में एक सीट के लिए असफल रूप से चुनाव भी लड़ा।
सिखों के अधिकार की वकालत
न्यूयॉर्क पोस्ट ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि वह एक धार्मिक अधिकार वकील भी हैं और 2020 के राष्ट्रपति अभियान के दौरान ट्रम्प के कानूनी सलाहकार के रूप में काम किया। उन्होंने 9/11 हमले के दौरान सिख अधिकारों के लिए आवाज उठाई। 9/11 के बाद जब उनके रिपब्लिकन सहयोगियों ने पैट्रियट एक्ट के पक्ष में तर्क दिए, तब ढिल्लों ने पगड़ी पहनने वाले सिखों को भेदभाव से बचाने के लिए कई कानूनी ज्ञापन लिखे। वह गर्भपात विरोधी हैं और समलैंगिक जोड़ों के लिए समान कर लाभ की वकालत करती है