कराची: पाकिस्तान की एक अदालत ने खुद को पैगंबर घोषित करने के दोष में एक व्यक्ति को ईशनिंदा के लिए 25 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई है। सिंध प्रांत में हैदराबाद में केंद्रीय कारागार में सुनवाई के बाद एक अतिरिक्त जिला न्यायाधीश ने मंगलवार को दोषी को सजा सुनाई। दोषी के नाम या धर्म का खुलासा नहीं किया गया। न्यायाधीश ने दोषी ठहराए गए व्यक्ति पर पांच लाख रूपये का जुर्माना भी लगाया है। न्यायाधीश ने कहा कि उसे मौत की सजा देने के लिए कोई ठोस सबूत नहीं मिला।
ऐसे दर्ज हुआ केस
शख्स को तब ईशनिंदा कानून के तहत गिरफ्तार किया गया था, जब महबूब अली नाम के एक व्यक्ति ने मीरपुर सकरो पुलिस थाने में उसके खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। शिकायतकर्ता ने कहा कि एक अप्रैल, 2018 को शख्स ने उसकी उपस्थिति में खुद को पैगंबर घोषित किया था। उसने मामले में चार लोगों को गवाह के तौर पर पेश किया। पाकिस्तान के ईशनिंदा कानून में इस्लाम का अपमान करने वाले किसी भी व्यक्ति के लिए मौत की सजा हो सकती है।
क्या कहते हैं आलोचक
आलोचकों का कहना है कि ईशनिंदा कानून का माल अल्पसंख्यकों को सताने और गलत तरीके से निशाना बनाने के लिए किया गया है। पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में कुरान के पन्ने जलाने के आरोप में इस सप्ताह दो मुस्लिम महिलाओं के खिलाफ ईशनिंदा के आरोप में मामला दर्ज किया गया था। पिछले हफ्ते, पंजाब पुलिस ने कहा कि उन्होंने दो ईसाई बहनों के खिलाफ ईशनिंदा के आरोपों के तहत मामला दर्ज किया था। पिछले अक्टूबर में, मानवाधिकारों पर एक सीनेट समिति को बताया गया था कि 2023 में ईशनिंदा कानून के तहत 215 व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया था, जिसमें सिंध में सबसे अधिक 78 गिरफ्तारियां हुई थीं। समिति को यह भी बताया गया कि व्यक्तिगत दुश्मनी और अन्य विवादों को निपटाने के लिए व्यक्तियों द्वारा ईशनिंदा कानून का उपयोग करने की घटनाएं दर्ज की गई हैं। (भाषा)