बजट के बाद से एफआईआई के 30000 करोड़ रुपए की बिकवाली करने के बावजूद मार्केट नहीं गिरा, लेकिन एक्सपर्ट्स का मानना है कि हम एफआईआई को भारतीय बाज़ार से दूर नहीं रख सकते. वे हमारे बाज़ार का हिस्सा हैं.
शेयर मार्केट में लोकसभा चुनाव से पहले से ही तेज़ी बनी हुई है और इसी तेज़ी में ओवर वैल्यूएशन की चिंताएं भी समय समय ज़ाहिर की गई हैं, लेकिन कई मौके बनने के बावजूद मार्केट में गिरावट नहीं आई, बल्कि और उसने हायर हाई लेवल बना लिए.
लोकसभा चुनाव परिणाम के बाद मार्केट करेक्शन की आशंका जताई गई, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ. इसके बाद यूनियन बजट में बाज़ार के फेवर का अधिक कुछ नहीं था, इसके बावजूद बाज़ार में गिरावट नहीं आई. बाज़ार को हर बार निचले लेवल पर सपोर्ट मिला और बजट के बाद से एफआईआई के 30000 करोड़ रुपए की बिकवाली करने के बावजूद मार्केट नहीं गिरा, क्योंकि मंथली एसआईपी, म्यूचुअल फंड, डीआईआई और रिटेलर्स ने निचले स्तरों पर खरीदारी की.
लेकिन एक्सपर्ट्स का मानना है कि हम एफआईआई को भारतीय बाज़ार से दूर नहीं रख सकते. वे हमारे बाज़ार का हिस्सा हैं.
हेलिओस कैपिटल के संस्थापक समीर अरोड़ा कहते हैं कि हम सिर्फ़ यह मानकर एफआईआई के फ्लो के पॉकेट को नहीं छोड़ सकते कि हमें हर महीने हमें सिस्टेमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान से 20,000 करोड़ रुपये मिल रहे हैं. SIP के आंकड़े अच्छे हैं, लेकिन वे वैसे नहीं हैं लेकिन वे वैसे नहीं हैं जैसा आप सोच रहे हैं.
अरोड़ा ने कहा कि वास्तविक नेट फ्लो 20,000 करोड़ रुपये या उससे ज़्यादा नहीं है, यह सिर्फ़ 10,000 करोड़ रुपये है. किसी कारण से हम सिर्फ़ ग्रोस फ्लो के बारे में बात कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि जब हालात खराब होंगे तो हालात बहुत खराब हो जाएंगे और संभाले नहीं जाएंगे, इसलिए हम उस एक बड़े फंड फ्लो को नज़र अंदाज़ नहीं कर सकते जो एफआईआई से आता है.
उन्होंने कहा कि अगर हम एक बड़ी रकम और उससे ज़्यादा को नज़रअंदाज़ कर दें, वैल्यूएशन को नज़रअंदाज़ कर दें और एक लिमिट से ज़्यादा बुरी ख़बरों को नज़रअंदाज़ कर दें तो संतुलन बिगड़ सकता है, इसलिए हमें संतुलन बनाना होगा. हमने यह किया है और हम ऐसा मानते हैं कि फंड मैनेजर ऐसा कर रहे हैं.
समीर अरोड़ा ने कहा कि अगर हम वैल्यूएशन के मामले में दुनिया से अलग रूप से कुछ अलग कर रहे होते तो यह अजीब लगता है. उन्होंने कहा कि बजट या चुनावों से संबंधित नहीं, बल्कि सामान्य रूप से किसी भी एफआईआई फ्लो काफी नकारात्मक रहा है और मुझे लगता है कि ऐसा इसलिए है क्योंकि ये टैक्स बढ़तरी असहनीय हो गई है.
उन्होंने कहा कि आपको एक नंबर बताने के लिए, डॉलर के संदर्भ में एमएससीआई इंडिया इंडेक्स इस साल अब तक 17 प्रतिशत से अधिक ऊपर है, जबकि $10 बिलियन इंडेक्स 13 प्रतिशत ऊपर है, इसलिए समय के साथ यह नुकसानदेह होगा और भारत में एफआईआई निवेश में कुछ कमी आएगी.
उन्होंने कहा कि अब हम म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री में हैं, हमें बहुत अधिक एसआईपी फ्लो दिखाया जाता है. इसकी तुलना में हमारे फंड फल बहुत कम लगे लेकिन फिर हमें एहसास हुआ कि वास्तविक फ्लो इसका केवल आधा है. मुझे नहीं पता कि एक इंडस्ट्री और एक देश के रूप में सामूहिक रूप से हम जानबूझकर आधी जानकारी क्यों दे रहे हैं और बाकी आधी जानकारी फ़ुटनोट में है, कि वास्तविक नेट फ्लो 20,000 करोड़ रुपये प्रति माह या उससे अधिक नहीं है, यह केवल 10,000 करोड़ रुपये है. किसी कारण से, हम केवल ग्रोस फ्लो के बारे में बात कर रहे हैं.
उन्होंने कहा कि हम एफआईआई के फ्लो को नज़र अंदाज़ नहीं सकते. अगर हम कहते हैं कि हम परेशान नहीं हैं तो एक दिन यह बहुत अधिक परेशान कर सकता है जैसा कि हमने अतीत में देखा है.
Source:
https://hindi.economictimes.com/markets ... 571982.cms