मोहन: अरे रामू, तुम जानते हो, कल मैं एक किताब पढ़ रहा था "सफलता के रहस्य"।
रामू: ओह! क्या मिला उसमें?
मोहन: उसमें लिखा था, "काम करो, मेहनत करो।"
रामू: और फिर?
मोहन: फिर मैंने सोचा, "किताबें पढ़ने से क्या होगा? काम तो करना पड़ेगा!"
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रामू: सुनो, मैंने आज चिड़िया को पानी पिलाया।
मोहन: वाह! तुम तो बड़े दयालु हो गए हो।
रामू: हाँ, पर चिड़िया ने पानी पीने से मना कर दिया।
मोहन: क्यों?
रामू: बोली, "तू कौन होता है मुझे पानी पिलाने वाला?"
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मोहन: अरे, कल मैंने अपनी चाय में नमक डाल दिया।
रामू: क्या? चाय में नमक? क्यों?
मोहन: क्योंकि मैंने सुना था, "नमक डालने से चाय का स्वाद बढ़ता है!"
रामू: तो फिर तुम्हारी चाय का स्वाद कैसा था?
मोहन: बुरा नहीं, बस जैसे बर्फ़ में नहाने का अनुभव!