मैं समझ गया कि रावण जलने के बाद जो पटाखे नहीं जल पाएंगे जो चटाई में से लड़कियां अधीगजली रह जाएगी या किसी कारणवश नहीं जल पाएंगे उन्हें निकाल कर लिया जाएगा और दिवाली के दिन उसे घर पर जलाया जाएगा।
दिवाली के दिन भी बहुत सारे बच्चे हैं काम करते हैं कि जो पटाखे नहीं जलती उन्हें किनारे धकेल देते हैं फिर अगले दिन उन्हें पटाखों पर रंड करके फिर से जलाकर एक और दिवाली मनाते हैं वह खुद को गौर मानवी महसूस करते हैं