Unforgettable Childhood
Posted: Thu Oct 24, 2024 11:20 am
Who remembers?
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याद आता है वो पुराना वक्त, तो उस याद में खो जाता हूँ ! कहाँ गयी वो बचपन की अठखेलियाँ, कहाँ गया वो अपनों का प्यार ! कहाँ गयी वो थोड़े की खुशियां, कहाँ गया वो मेरा प्यारा संसारjohny888 wrote: Thu Oct 24, 2024 12:41 pm सही बात है पहले के दिनों में सही हमारी लिए एमोजिस का रोले निभाते थे अब तो डिजिटल वर्ल्ड ने हर जगह अपने पैर पसार दिए है। अब तो हम अपने दोस्तों से ठीक से मिल भी नहीं पाते, व्हाट्सप्प या किसी और सोशल मीडिया के माध्यम से मिलना हो जाता है और बड़े त्यौहार पर भी नहीं हो पता मिलना। डेरी मिल्क के एक ऐड में इसी को बताया था कहते है टेक्नोलॉजी इतनी भी तरक्की नहीं की है की गले मिल कर बधाई या शुबकामनाएं देने में सक्षम हो गयी हो।
बचपन में तो हर कोई स्पाइडरमैन होता है। घर में दरवाजों पर लटकना, खिड़कियों पर चढ़ना, ये तो खेल हुआ करता था।रंग बिरंगी कैंडी के सामने अच्छी-अच्छी मिठाई फेल हो जाती है। ये जितनी खूबसूरत दिखने में लगती थी, उससे ज्यादा मजा खाने में आता था।उन दिनों में स्कूल ध्वस्त होता ही दिखाई देता था। उन दिनों 'सबसे बड़ा दुश्मन' भी तो यही होता था।Kunwar ripudaman wrote: Fri Dec 06, 2024 4:08 pm वो चाचा का प्यार, वो मामा का दुलार, और वो कम रोटियों में भी संतुष्ट-संपन्न परिवार !
वो रविवार शाम चार बजे की दूरदर्शन की पिक्चर, वो ब्लैक & व्हाइट टीवी पे इस्तेहार !
वो मामी के घर नास्ता, वो चाची का डिनर, उस प्यार में बहुत सुकून पाता हूँ !
याद आता है वो पुराना वक्त, तो उस याद में खो जाता हूँ !
मेरा बचपन गांव में ही बीता है इसलिए मुझे बचपन की और भी ज्यादा याद आती है बचपन में हम भैंस के ऊपर बैठकर खेत चले जाते थे तो बकरी के बच्चों के पीछे दौड़ लगाते थे. बचपन में सावन का महीना आने पर हम पेड़ पर झूला डाल कर झूला झूलते थे और ठंडी ठंडी हवा का आनंद लेते थे.Kunwar ripudaman wrote: Fri Dec 06, 2024 4:08 pmयाद आता है वो पुराना वक्त, तो उस याद में खो जाता हूँ ! कहाँ गयी वो बचपन की अठखेलियाँ, कहाँ गया वो अपनों का प्यार ! कहाँ गयी वो थोड़े की खुशियां, कहाँ गया वो मेरा प्यारा संसारjohny888 wrote: Thu Oct 24, 2024 12:41 pm सही बात है पहले के दिनों में सही हमारी लिए एमोजिस का रोले निभाते थे अब तो डिजिटल वर्ल्ड ने हर जगह अपने पैर पसार दिए है। अब तो हम अपने दोस्तों से ठीक से मिल भी नहीं पाते, व्हाट्सप्प या किसी और सोशल मीडिया के माध्यम से मिलना हो जाता है और बड़े त्यौहार पर भी नहीं हो पता मिलना। डेरी मिल्क के एक ऐड में इसी को बताया था कहते है टेक्नोलॉजी इतनी भी तरक्की नहीं की है की गले मिल कर बधाई या शुबकामनाएं देने में सक्षम हो गयी हो।
मैं उस समय किंडरगार्टन में था। शायद यूकेजी में। यह छुट्टियों का मौसम था, इसलिए मैं और मेरी माँ अपनी नानी के घर गए हुए थे। एक दिन, हमारा पूरा परिवार दोपहर के भोजन के लिए इकट्ठा हुआ। दोपहर के भोजन के बाद, बड़े-बुज़ुर्ग गंभीर गपशप में लगे हुए थे। मैं अपने चचेरे भाइयों में सबसे छोटा हूँ, बाकी सभी अपनी किशोरावस्था में थे। इसलिए वे GTA खेलने में व्यस्त थे। ओमा थानर (ओम जल/अजवाइन जल) के रूप में जाना जाने वाला एक पेय है। लोग आमतौर पर इसे पाचन के लिए पीते हैं। लेकिन मैं इसे जूस की तरह पीता हूँ (एक औसत तमिल बच्चे का जुनून)। मैं आमतौर पर सिर्फ़ 3-4 दिनों में एक पूरी 1 लीटर की बोतल खाली कर देता हूँ। मेरी माँ मुझे ऐसा करने के लिए बुरी तरह डाँटती है।Bhaskar.Rajni wrote: Fri Dec 06, 2024 5:18 pmमेरा बचपन गांव में ही बीता है इसलिए मुझे बचपन की और भी ज्यादा याद आती है बचपन में हम भैंस के ऊपर बैठकर खेत चले जाते थे तो बकरी के बच्चों के पीछे दौड़ लगाते थे. बचपन में सावन का महीना आने पर हम पेड़ पर झूला डाल कर झूला झूलते थे और ठंडी ठंडी हवा का आनंद लेते थे.Kunwar ripudaman wrote: Fri Dec 06, 2024 4:08 pmयाद आता है वो पुराना वक्त, तो उस याद में खो जाता हूँ ! कहाँ गयी वो बचपन की अठखेलियाँ, कहाँ गया वो अपनों का प्यार ! कहाँ गयी वो थोड़े की खुशियां, कहाँ गया वो मेरा प्यारा संसारjohny888 wrote: Thu Oct 24, 2024 12:41 pm सही बात है पहले के दिनों में सही हमारी लिए एमोजिस का रोले निभाते थे अब तो डिजिटल वर्ल्ड ने हर जगह अपने पैर पसार दिए है। अब तो हम अपने दोस्तों से ठीक से मिल भी नहीं पाते, व्हाट्सप्प या किसी और सोशल मीडिया के माध्यम से मिलना हो जाता है और बड़े त्यौहार पर भी नहीं हो पता मिलना। डेरी मिल्क के एक ऐड में इसी को बताया था कहते है टेक्नोलॉजी इतनी भी तरक्की नहीं की है की गले मिल कर बधाई या शुबकामनाएं देने में सक्षम हो गयी हो।