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Missing those old days....

Posted: Sun Oct 27, 2024 7:53 pm
by Warrior
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🥲🥲🥲🥲🥲🥲🥲🥲🥲🥲🥲🥲

Re: Missing those old days....

Posted: Wed Nov 06, 2024 10:02 pm
by johny888
भाईसाहब अगर ओल्ड डेज की बात करे तो स्कूल के दिन बड़े याद आते है। वो सुबह सुबह उठ कर स्कूल के लिए जाना और घर आते ही खाने से पहले खेलने जाना और थोड़े बड़े हुए मतलब १० या ११ क्लास में आये तो दोस्तों के साथ कहीं बैठ कर गप्पे लड़ना। अब ये सब कहाँ रहा सब कुछ सोशल मीडिया पर ही हो जाता है। और संडे को भी सोशल मीडिया पर बिजी रहते है।

Re: Missing those old days....

Posted: Sat Nov 09, 2024 7:47 am
by Warrior
हाँ! आज की पीढ़ी के बच्चे कभी उस सुनहरे दौर का अनुभव नहीं कर पाएंगे जब दोस्तों के साथ असली दुनिया में समय बिताया जाता था। :| :| :| :| :| :|
johny888 wrote: Wed Nov 06, 2024 10:02 pm भाईसाहब अगर ओल्ड डेज की बात करे तो स्कूल के दिन बड़े याद आते है। वो सुबह सुबह उठ कर स्कूल के लिए जाना और घर आते ही खाने से पहले खेलने जाना और थोड़े बड़े हुए मतलब १० या ११ क्लास में आये तो दोस्तों के साथ कहीं बैठ कर गप्पे लड़ना। अब ये सब कहाँ रहा सब कुछ सोशल मीडिया पर ही हो जाता है। और संडे को भी सोशल मीडिया पर बिजी रहते है।

Re: Missing those old days....

Posted: Fri Nov 15, 2024 7:55 pm
by manish.bryan
johny888 wrote: Wed Nov 06, 2024 10:02 pm भाईसाहब अगर ओल्ड डेज की बात करे तो स्कूल के दिन बड़े याद आते है। वो सुबह सुबह उठ कर स्कूल के लिए जाना और घर आते ही खाने से पहले खेलने जाना और थोड़े बड़े हुए मतलब १० या ११ क्लास में आये तो दोस्तों के साथ कहीं बैठ कर गप्पे लड़ना। अब ये सब कहाँ रहा सब कुछ सोशल मीडिया पर ही हो जाता है। और संडे को भी सोशल मीडिया पर बिजी रहते है।
बिल्कुल सही कहा आपने पुराने दिनों को याद किया जाए तो बाकी दिन तो दोस्तों के साथ खेल को धोता था ही लेकिन संडे को सुबह से शाम तक पिलाम पलों का दौर चलता था बचपन में तो मैं घर में ही अपने खेलने रहा हूं लेकिन बाद में क्रिकेट ग्राउंड में बहुत समय बीतता था तो एक तरह से मैं खेलों में ड्यूटी निभा चुका हूं।

हमारे दोस्तों में बहुत ज्यादा चतुराई थी तो ऐसे में मैं बेवकूफ बन जाता था और ऐसे लोगों से खुद को दूर ही रखना चाहता था तो ऐसे गपशप करने वाले दोस्तों का समय मेरे पास टेन प्लस टू के बाद आया जहां हम कुछ दोस्त बैठकर शतरंज की गोटे पर गांव खेलते थे और हारने वाले को कुछ ना कुछ नियम के मुताबिक करना होता था जैसे चाय बनाना या समोसे लाना।

Re: Missing those old days....

Posted: Sat Nov 16, 2024 10:56 pm
by Bhaskar.Rajni
manish.bryan wrote: Fri Nov 15, 2024 7:55 pm
johny888 wrote: Wed Nov 06, 2024 10:02 pm भाईसाहब अगर ओल्ड डेज की बात करे तो स्कूल के दिन बड़े याद आते है। वो सुबह सुबह उठ कर स्कूल के लिए जाना और घर आते ही खाने से पहले खेलने जाना और थोड़े बड़े हुए मतलब १० या ११ क्लास में आये तो दोस्तों के साथ कहीं बैठ कर गप्पे लड़ना। अब ये सब कहाँ रहा सब कुछ सोशल मीडिया पर ही हो जाता है। और संडे को भी सोशल मीडिया पर बिजी रहते है।
बिल्कुल सही कहा आपने पुराने दिनों को याद किया जाए तो बाकी दिन तो दोस्तों के साथ खेल को धोता था ही लेकिन संडे को सुबह से शाम तक पिलाम पलों का दौर चलता था बचपन में तो मैं घर में ही अपने खेलने रहा हूं लेकिन बाद में क्रिकेट ग्राउंड में बहुत समय बीतता था तो एक तरह से मैं खेलों में ड्यूटी निभा चुका हूं।

हमारे दोस्तों में बहुत ज्यादा चतुराई थी तो ऐसे में मैं बेवकूफ बन जाता था और ऐसे लोगों से खुद को दूर ही रखना चाहता था तो ऐसे गपशप करने वाले दोस्तों का समय मेरे पास टेन प्लस टू के बाद आया जहां हम कुछ दोस्त बैठकर शतरंज की गोटे पर गांव खेलते थे और हारने वाले को कुछ ना कुछ नियम के मुताबिक करना होता था जैसे चाय बनाना या समोसे लाना।
शतरंज तो हमने भी बहुत खेला। मैं और मेरा छोटा भाई रात के दो-दो बजे तक शतरंज की बाजी लगाते रहते थे। मम्मी खाना खाने को कहती रहती लेकिन हमारे पास फुर्सत ही कहां होती थी की बाजी को छोड़कर जाए तो कई बार मम्मी को गुस्सा आता तो मम्मी हमारे गोटियां उठा कर ले जाती थी। जैसे ही हमें पता चला कि अब मम्मी हमारा गेम बिगाड़ने के लिए आ रही है हम दोनों गोटियों को संभालने में लग जाते कई बार खेल बिगड़ जाता कई बार हम लोग बचा लेते थे।