आईआईटी मद्रास में हुए पहले 'वेल-बीइंग सर्वे' में यह पाया गया कि एक तिहाई नए छात्रों (32%) को किसी न किसी प्रकार की मानसिक सहायता की आवश्यकता है। सर्वेक्षण के परिणामों के अनुसार, 2,800 नए प्रवेशित यूजी, पीजी और पीएचडी छात्रों में से 3% को तत्काल मानसिक स्वास्थ्य हस्तक्षेप की जरूरत है।
छात्र स्वयंसेवक और पेशेवर काउंसलर इन 3% छात्रों पर निगरानी रखेंगे। आईआईटी-मद्रास ने यह सर्वेक्षण कैंपस में मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का पता लगाने और आत्महत्या को रोकने के लिए किया था। सर्वेक्षण में यह भी सामने आया कि 2% नए छात्रों को पिछले आघातों से गहरी असर पड़ी है, जबकि 17% छात्रों ने कहा कि वे आघात से आंशिक रूप से प्रभावित हैं।
साथियानारायण एन गुम्मडी, डीन (छात्र), ने कहा, "हम विभिन्न कार्यक्रमों की योजना बना रहे हैं, जिसमें तनाव प्रबंधन और मुकाबला कौशल, आत्म-जागरूकता कार्यशालाएँ, व्यवहारिक कौशल प्रशिक्षण, लचीलापन निर्माण कार्यशालाएँ और वित्तीय साक्षरता शामिल हैं।"
यह सर्वेक्षण जुलाई में किया गया था और इसमें मानसिक कल्याण, पारिवारिक गतिशीलता, माहौल, और आत्म-प्रभावशीलता पर आधारित 70 प्रश्न थे।
यह भारत के भविष्य के लिए अच्छी खबर नहीं है, जहाँ हम युवा पीढ़ी को उनके अध्ययन पर अधिक ध्यान केंद्रित करने के लिए मजबूर करते हैं, बजाय इसके कि उन्हें हमारी संस्कृति, धरोहर सीखने और राष्ट्र के विकास के लिए समझदारी से कार्य करने का अवसर दिया जाए।
सर्वेक्षण में सामने आया कि आईआईटी मद्रास के 32% नए छात्रों को मानसिक सहायता की आवश्यकता है।
Re: सर्वेक्षण में सामने आया कि आईआईटी मद्रास के 32% नए छात्रों को मानसिक सहायता की आवश्यकता है।
भारत में अधिकतर छात्र-छात्रा है मानसिक तनाव से गुजरते हैं और उसका कारण मां-बाप की तरफ से प्रेशर और साथ ही साथ अच्छी नौकरी की तलाश। आईआईटी जैसे बड़े संस्थान जहां से देश के बड़े-बड़े वैज्ञानिक पढ़ के निकलते हैं और समाज के लिए कुछ भला करते हैं पर इस मुकाम को पानी के लिए मानसिक तनाव से गुजरा उनके लिए एक मजबूरी बन गई है। आईआईटी जैसे बड़े संस्थानों को अपने छात्र-छात्राओं के मानसिक तनाव को काबू में रखने के लिए साइकोलॉजिस्ट की मदद लेनी चाहिए।
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Re: सर्वेक्षण में सामने आया कि आईआईटी मद्रास के 32% नए छात्रों को मानसिक सहायता की आवश्यकता है।
आईआईटी मद्रास, सहयोगी अधिगम एवं अनुसंधान में अग्रणी है जिसमें 20 विश्व-स्तरीय संस्थानों के साथ संयुक्त पीएच.डी. प्रोग्राम शामिल है| आईआईटी की प्रवेश परीक्षा जहां बहुत ही कठिन होता है और इसको चुनिंदा बच्चे ही निकाल पाते हैं इसको निकालने के लिए छात्रों को काफी कड़ी मेहनत करनी पड़ती है और इस कड़ी मेहनत के बाद जब उनका एडमिशन आईआईटी में हो जाता है तो उसका पाठ्यक्रम भी काफी हार्ड होता है, जिसकी वजह से छात्र-छात्राओं के ऊपर काफी मानसिक दवाव पड़ता है, और उनकी मानसिक दशा खराब हो जाती है|
Re: सर्वेक्षण में सामने आया कि आईआईटी मद्रास के 32% नए छात्रों को मानसिक सहायता की आवश्यकता है।
ये तो हम सभी जानते है की आई आई टी की परीक्षा कितनी कठिन होती है और उसके बाद उकसी पड़े भी काफी प्रेशर डालती है स्टूडेंट्स पर तो ये स्वाभाविक है की उनके मानसिकता पर असर तो पड़ता है। पर हर एक संसथान में एक यूनिट होनी चाहिए जो इन छात्रों का समय समय पर काउन्सलिंग करे और इसके समाधान निकले।