रिलायंस और Elon Musk की स्टारलिंक में टकराव, सैटेलाइट स्पेक्ट्रम ऑक्शन का है मुद्दा
Posted: Mon Nov 11, 2024 7:34 am
Source: https://hindi.gadgets360.com/telecom/re ... ws-6988690बिलिनेयर Mukesh Ambani की Reliance Industries ने टेलीकॉम रेगुलेटर से सैटेलाइट स्पेक्ट्रम को लेकर अपनी योजना पर दोबारा विचार करने के लिए कहा है। टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (TRAI) ने सैटेलाइट स्पेक्ट्रम का ऑक्शन नहीं, बल्कि इसे एलोकेट करने की योजना बनाई है।
पिछले महीने टेलीकॉम मिनिस्टर Jyotiraditya Scindia ने बताया था कि केंद्र सरकार वैश्विक चलनों के अनुसार, इस स्पेक्ट्रम को एलोकेट करेगी। हालांकि, इसके साथ ही उनका कहना था कि इस बारे में अंतिम नोटिफिकेशन TRAI से फीडबैक मिलने के बाद जारी किया जाएगा। दुनिया के सबसे रईस शख्स Elon Musk की स्टारलिंक ने देश में अपनी इंटरनेट सर्विस शुरू करने में दिलचस्पी दिखाई है। इससे पहले कंपनी ने अफ्रीका में अपनी सर्विस का सफल लॉन्च किया था।
रिलायंस के सीनियर पॉलिसी एग्जिक्यूटिव, Ravi Gandhi ने एक चर्चा में TRAI से इस फैसले पर दोबारा विचार करने का निवेदन किया था। उनका कहना था कि स्पेक्ट्रम को प्रशासनिक तौर पर एलोकेट करना किसी सरकारी रिसोर्स के डिस्ट्रीब्यूशन का 'सबसे पक्षपात पूर्ण तरीका' है। इसके विपरीत स्टारलिंक के देश में एग्जिक्यूटिव, Parnil Urdhwareshe ने कहा कि स्पेक्ट्रम के एलोकेशन की यह योजना 'आगे की ओर देखने वाली' है। इस बारे में TRAI के सुझाव आगामी सप्ताहों में सामने आएंगे। सैटेलाइट स्पेक्ट्रम के डिस्ट्रीब्यूशन के तरीके को तय करने में ये सुझाव महत्वपूर्ण होंगे। मुकेश अंबानी की Reliance Jio बड़ी टेलीकॉम कंपनियों में शामिल है। एनालिस्ट्स का मानना है कि इस स्पेक्ट्रम के लिए ऑक्शन होने पर अधिक इनवेस्टमेंट करना पड़ सकता है। इससे विदेशी कंपनियों की इसमें दिलचस्पी घट सकती है।
सैटेलाइट इंटरनेट सर्विसेज शुरू करने के लिए टेलीकॉम कंपनियों को सिक्योरिटी क्लीयरेंस लेने के साथ ही कई मिनिस्ट्रीज से अप्रूवल लेने होते हैं। पिछले वर्ष रिलायंस जियो ने बताया था कि उसने दूरदराज के चार क्षेत्रों को अपनी JioSpaceFiber सर्विस से कनेक्ट किया है। ये क्षेत्र गुजरात में गिर, छत्तीसगढ़ में कोरबा, ओडिशा में नबरंगपुर और असम में जोरहाट, ONGC हैं। विदेशी इंटरनेट सर्विस कंपनियों ने इस स्पेक्ट्रम के लिए लाइसेंस देने की डिमांड की थी। इन कंपनियों का मानना है कि अगर भारत में इसके लिए नीलामी होती है तो अन्य देशों में भी इस प्रोसेस को लागू किया जा सकता है। इससे इन कंपनियों को कॉस्ट में बढ़ोतरी का सामना करना पड़ सकता है।