जम्मू आतंकी हमले में एम-4 कार्बाइन का इस्तेमाल, दहशतगर्दों को कैसे मिले अमेरिकी हथियार?

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जम्मू आतंकी हमले में एम-4 कार्बाइन का इस्तेमाल, दहशतगर्दों को कैसे मिले अमेरिकी हथियार?

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नई दिल्ली: जम्मू में हालिया आतंकी हमलों में आतंकियों ने एम-4 कार्बाइन का इस्तेमाल किया। एम-4 कार्बाइन अमेरिका मेड है और नाटो के सैनिक इसका काफी इस्तेमाल करते हैं। 2021 में जब अफगानिस्तान में तालिबान का कब्जा हुआ और अमेरिकी सैनिक वापस गए तो वे बड़ी संख्या में हथियार वहां छोड़कर गए थे। इसके एक साल बाद ही यह सामने आया था कि अफगानिस्तान से ये हथियार पाकिस्तानी आतंकवादियों तक पहुंच रहे हैं।

साल 2022 के बाद आतंकियों के एम-4 इस्तेमाल की घटनाएं बढ़ी और तभी से सिक्योरिटी एजेंसियां चौकन्नी थी। उस वक्त सिक्योरिटी फोर्स की कोशिश थी कि आतंकियों तक ये हथियार ना पहुंचे और वे इन हथियारों के इस्तेमाल में ट्रेंड ना हों। लेकिन जिस तरह जम्मू में हालिया आतंकी हमलों में एम-4 कार्बाइन का इस्तेमाल किया है, उससे ये साफ हो गया है कि आतंकियों के पास न सिर्फ ये हथियार मौजूद हैं बल्कि वे इसमें ट्रेंड भी हो गए हैं।

क्या है एम-4 कार्बाइन की खासियत?
जम्मू-कश्मीर में तैनात एक अधिकारी के मुताबिक वैसे तो सबसे पहले साल 2017 में सामने आया था कि आतंकियों के पास एम-4 कार्बाइन है। लेकिन तब शायद उनके पास कुछ लिमिटेड संख्या में यह थी। 2022 के बाद आतंकियों के पास ये बड़ी संख्या में आई। एम-4 कार्बाइन की रेंज करीब 600 मीटर है और ये क्लोज एनकाउंटर में इस्तेमाल होती हैं। इस अमेरिकी कार्बाइन को 1980 के दशक में डिजाइन किया गया था। आतंकी इसमें स्टील कोर की गोलियों का इस्तेमाल कर रहे हैं। एक अधिकारी के मुताबिक स्टील कोर की गोलियां वाहनों को आराम से भेद देती हैं।

चौंकाने वाली अमेरिकी रिपोर्ट
अमेरिकी मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक जब अमेरिकी सैनिक अफगानिस्तान से गए थे तो वहां 3 लाख से ज्यादा छोटे-बड़े हथियार छोड़ गए थे। साथ ही करीब 48 मिलियन डॉलर कीमत के 1,537,000 एम्युनेशन छोड़ गए थे। बड़ी संख्या में नाइट विजन डिवाइस, सर्विलांस डिवाइस, बायोमेट्रिक एंड पोजिशनिंग इक्विपमेंट भी अफगानिस्तान में छोड़ गए थे। इंटेलिजेंस एजेंसियों के मुताबिक इस बात का अंदेशा है कि एम-4 कार्बाइन के साथ ही नाइट विजन डिवाइस और सर्विलांस डिवाइज भी आतंकियों के हाथ तक पहुंची हैं। अमेरिकी सैनिक अफगानिस्तान में बड़ी संख्या में एम-4 कार्बाइन, एम-24 स्नाईपर, एम-16A4 राइफल, एम-249 मशीन गन, एम-16 A2/A4 असॉल्ट राइफल भी छोड़ गए थे।
Source: https://navbharattimes.indiatimes.com/i ... 841740.cms
Suman sharma
400 पार !! ये बाबा!!! ...मतलब की ऐसे ...!!!!
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Re: जम्मू आतंकी हमले में एम-4 कार्बाइन का इस्तेमाल, दहशतगर्दों को कैसे मिले अमेरिकी हथियार?

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संडे गार्जियन की रिपोर्ट के मुताबिक, काबुल स्थित सूत्रों का कहना है कि कश्मीर में सक्रिय आतंकी गुटों M4 राइफल काबुल से नहीं बल्कि दूसरे स्रोतों (पाकिस्तान) से मिली हैं। तालिबान के सूत्रों ने कहा कि अमेरिकी और नाटो सेनाएं जब अफगानिस्तान में काम कर रही थीं, तो उन्हें पाकिस्तान के कराची और खैबर पख्तूनख्वा के रास्ते काबुल तक हथियार और गोला-बारूद की आपूर्ति की जाती थी।
Sarita
अबकी बार, 500 पार?
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Re: जम्मू आतंकी हमले में एम-4 कार्बाइन का इस्तेमाल, दहशतगर्दों को कैसे मिले अमेरिकी हथियार?

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जम्मू में हाल हालिया अंतिम हम लोग से हत्या क्यों ने M4 कंबाइनों का इस्तेमाल किया एम कंबाइन अमेरिका मद है और नाटो के सैनिक इसका काफी इस्तेमाल करते हैं 2021 में जब अफगानिस्तान में तालाब का कब्जा हुआ और इस अमेरिका सैनिक वापस आ गए तो वह बड़ी संख्या में हथियार वह छोड़कर गई थी इसके 1 साल बाद ही यह सामने आया था कि अफगानिस्तान से यह हथियार पाकिस्तानी अंतर वीडियो तक पहुंच रहे हैं
johny888
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Joined: Sun Oct 13, 2024 12:32 am

Re: जम्मू आतंकी हमले में एम-4 कार्बाइन का इस्तेमाल, दहशतगर्दों को कैसे मिले अमेरिकी हथियार?

Post by johny888 »

ऐसे हथियार आमतौर पर सीमा पार से तस्करी के जरिए आतंकवादियों तक पहुंचते हैं, जो इन हथियारों का इस्तेमाल भारत में हमलों के लिए करते हैं। ये तो पक्का है की अमेरिका ने अफगानिस्तान से अपनी सेनाएँ वापिस लीं तो हथियार वहां छूटे थे उनमे एम-4 कार्बाइन जैसे आधुनिक हथियार भी शामिल थे और बाद में यह तस्करी के जरिए आतंकवादी समूहों तक पहुँच गए हो।
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