अनकही बातें, अनकहे अल्फाज
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- नाबालिक से बालिक ...!
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अनकही बातें, अनकहे अल्फाज
USER ID aakanksha24
बहुत मुश्किल था मेरे लिए खुद को तकलीफ में देखना
लेकिन उस से ज्यादा जरूरी था मां बाप को मुस्कुराते हुए देखना ।
तनाव, अवसाद, बैचेनी झेल रही थी
दुनिया के इस रंगमंच में भी अपने किरादर से खेल रही थी , कभी किसी को हंसाने के लिए,तो कभी किसी को सहारे देने के लिए ,कभी किसी के खालीपन को भरने के लिए ।
दर्द , तकलीफ से मैं भी गुजर रही थी ,लेकिन हंसी के मुखौटे मैने भी पहन रखे थे अपनो के लिए।
अकेली रातों में रोती थी ,चिल्लाती थी ,
खुद को टूटता, बिखरता पाती थी एक कोने में ।
इतना सब अकेले झेलती थी , मुंह मैं रूमाल रख रोती थी
पर कह कुछ भी न पाती थी ..... हां खामोश थी मैं उस वक्त
आकांक्षा रैकवार
मध्य प्रदेश
बहुत मुश्किल था मेरे लिए खुद को तकलीफ में देखना
लेकिन उस से ज्यादा जरूरी था मां बाप को मुस्कुराते हुए देखना ।
तनाव, अवसाद, बैचेनी झेल रही थी
दुनिया के इस रंगमंच में भी अपने किरादर से खेल रही थी , कभी किसी को हंसाने के लिए,तो कभी किसी को सहारे देने के लिए ,कभी किसी के खालीपन को भरने के लिए ।
दर्द , तकलीफ से मैं भी गुजर रही थी ,लेकिन हंसी के मुखौटे मैने भी पहन रखे थे अपनो के लिए।
अकेली रातों में रोती थी ,चिल्लाती थी ,
खुद को टूटता, बिखरता पाती थी एक कोने में ।
इतना सब अकेले झेलती थी , मुंह मैं रूमाल रख रोती थी
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- या खुदा ! एक हज R !!! पोस्टर महा लपक के वाले !!!
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Re: अनकही बातें, अनकहे अल्फाज
WELCOME TO THE CLUB!!!!
आज की व्यस्त दुनिया में, हर व्यक्ति मानसिक पीड़ा से गुजर रहा है।
1. Men - बाहरी दुनिया के माध्यम से महत्वपूर्ण दबाव और दर्द का सामना कर रहे हैं।
2. Women - परिवार के सदस्य के माध्यम से बहुत अधिक अवसाद और तनाव का सामना कर रही हैं।
3. Children - तनाव और दर्द के बारे में न जानते हुए, वे शिक्षा के माध्यम से प्रारंभिक बचपन में संघर्ष कर रहे हैं।
4. Adults - समाज के साथ मेलजोल और सामंजस्य स्थापित करने में संघर्ष कर रहे हैं (जो उन्होंने अपनी बचपन में कभी नहीं देखा था) एक सामान्य आदमी/महिला के रूप में।
कुल मिलाकर, हम इंसान बिना कुछ जाने एक-एक करके तनावपूर्ण जीवन के पैटर्न से गुजर रहे हैं और सफलता के पीछे दौड़ रहे हैं, खुशियों के बजाय।
आज की व्यस्त दुनिया में, हर व्यक्ति मानसिक पीड़ा से गुजर रहा है।
1. Men - बाहरी दुनिया के माध्यम से महत्वपूर्ण दबाव और दर्द का सामना कर रहे हैं।
2. Women - परिवार के सदस्य के माध्यम से बहुत अधिक अवसाद और तनाव का सामना कर रही हैं।
3. Children - तनाव और दर्द के बारे में न जानते हुए, वे शिक्षा के माध्यम से प्रारंभिक बचपन में संघर्ष कर रहे हैं।
4. Adults - समाज के साथ मेलजोल और सामंजस्य स्थापित करने में संघर्ष कर रहे हैं (जो उन्होंने अपनी बचपन में कभी नहीं देखा था) एक सामान्य आदमी/महिला के रूप में।
कुल मिलाकर, हम इंसान बिना कुछ जाने एक-एक करके तनावपूर्ण जीवन के पैटर्न से गुजर रहे हैं और सफलता के पीछे दौड़ रहे हैं, खुशियों के बजाय।
aakanksha24 wrote: Mon Dec 09, 2024 10:40 am USER ID aakanksha24
बहुत मुश्किल था मेरे लिए खुद को तकलीफ में देखना
लेकिन उस से ज्यादा जरूरी था मां बाप को मुस्कुराते हुए देखना ।
तनाव, अवसाद, बैचेनी झेल रही थी
दुनिया के इस रंगमंच में भी अपने किरादर से खेल रही थी , कभी किसी को हंसाने के लिए,तो कभी किसी को सहारे देने के लिए ,कभी किसी के खालीपन को भरने के लिए ।
दर्द , तकलीफ से मैं भी गुजर रही थी ,लेकिन हंसी के मुखौटे मैने भी पहन रखे थे अपनो के लिए।
अकेली रातों में रोती थी ,चिल्लाती थी ,
खुद को टूटता, बिखरता पाती थी एक कोने में ।
इतना सब अकेले झेलती थी , मुंह मैं रूमाल रख रोती थी
पर कह कुछ भी न पाती थी ..... हां खामोश थी मैं उस वक्त
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Re: अनकही बातें, अनकहे अल्फाज
इन self-help कदमों को आजमाएं और परखें जो आपको आपके दर्द से राहत दिला सकते हैं
1. Talking therapies दर्द से राहत में मदद कर सकती हैं - कुछ लोगों को यह सहायक होता है कि वे एक मनोवैज्ञानिक या हिप्नोथेरेपिस्ट से मदद लें ताकि वे अपने दर्द से संबंधित भावनाओं को समझने और निपटने का तरीका ढूंढ सकें।
2. Distract yourself - ध्यान को कुछ और चीज़ों पर शिफ्ट करें ताकि दर्द ही आपकी सोच का केंद्र न बने। किसी ऐसे काम में व्यस्त हो जाएं (जैसे फोटोग्राफी, सिलाई या बुनाई) जिसे आप पसंद करते हैं या जो आपको मानसिक उत्तेजना प्रदान करता हो।
3. Keeping in touch with friends and family - यह आपके स्वास्थ्य के लिए अच्छा है और आपको महसूस करने में मदद कर सकता है कि आप बेहतर हैं। छोटे-छोटे दौरे करें, शायद अधिक बार, और अगर आप बाहर नहीं जा सकते तो किसी दोस्त को फोन करें, किसी परिवार के सदस्य को चाय के लिए बुलाएं या अपने पड़ोसी से बात करें।
4. Meditation with guided imagery - गहरी सांसों की शुरुआत करें, प्रत्येक सांस पर ध्यान केंद्रित करें। फिर शांतिपूर्ण संगीत सुनें या एक विश्रामपूर्ण वातावरण की कल्पना करें।
5. Eliciting the relaxation response - यह तनाव प्रतिक्रिया का प्रतिकार है, जो हृदय गति को तेज करता है और शरीर की प्रणालियों को उच्च सतर्कता पर डालता है, जबकि विश्राम प्रतिक्रिया शरीर की प्रतिक्रियाओं को कम कर देती है। अपनी आँखें बंद करने और सभी मांसपेशियों को आराम देने के बाद, गहरी सांस लेने पर ध्यान केंद्रित करें।
1. Talking therapies दर्द से राहत में मदद कर सकती हैं - कुछ लोगों को यह सहायक होता है कि वे एक मनोवैज्ञानिक या हिप्नोथेरेपिस्ट से मदद लें ताकि वे अपने दर्द से संबंधित भावनाओं को समझने और निपटने का तरीका ढूंढ सकें।
2. Distract yourself - ध्यान को कुछ और चीज़ों पर शिफ्ट करें ताकि दर्द ही आपकी सोच का केंद्र न बने। किसी ऐसे काम में व्यस्त हो जाएं (जैसे फोटोग्राफी, सिलाई या बुनाई) जिसे आप पसंद करते हैं या जो आपको मानसिक उत्तेजना प्रदान करता हो।
3. Keeping in touch with friends and family - यह आपके स्वास्थ्य के लिए अच्छा है और आपको महसूस करने में मदद कर सकता है कि आप बेहतर हैं। छोटे-छोटे दौरे करें, शायद अधिक बार, और अगर आप बाहर नहीं जा सकते तो किसी दोस्त को फोन करें, किसी परिवार के सदस्य को चाय के लिए बुलाएं या अपने पड़ोसी से बात करें।
4. Meditation with guided imagery - गहरी सांसों की शुरुआत करें, प्रत्येक सांस पर ध्यान केंद्रित करें। फिर शांतिपूर्ण संगीत सुनें या एक विश्रामपूर्ण वातावरण की कल्पना करें।
5. Eliciting the relaxation response - यह तनाव प्रतिक्रिया का प्रतिकार है, जो हृदय गति को तेज करता है और शरीर की प्रणालियों को उच्च सतर्कता पर डालता है, जबकि विश्राम प्रतिक्रिया शरीर की प्रतिक्रियाओं को कम कर देती है। अपनी आँखें बंद करने और सभी मांसपेशियों को आराम देने के बाद, गहरी सांस लेने पर ध्यान केंद्रित करें।
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- जीयो मेरे लाल, दोहरा शतक पूर्ण ....!!!
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Re: अनकही बातें, अनकहे अल्फाज
इस ज़िन्दगी में कुछ भी स्थायी नहीं है… हर कदम हर पल कुछ न कुछ बदलता रहता है…. और हमें भी न चाहते हुए भी उस बदलाव के साथ बदलना पड़ता है… कई बार हमें अपने दिल के बोहोत करीबी चीजों को छोड़ना पड़ता…. अपना स्कूल… अपना घर…. पर सबसे अहम अपने दोस्त…. और साथ रह जाती हैं हमारे तो बस कुछ यादें पुरानी जो किसी को बताई नहीं जा सकती…. बस कहीं अंदर ही अंदर दिल के किसी कोने में अपना घर बसा लेती हैं…. मैं जिंदगी है अनकही अल्फाज है हर किसी को बताने का मन नहीं करता।
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- शतकवीर ..….. संपूर्ण!!!
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Re: अनकही बातें, अनकहे अल्फाज
अनकहे अल्फाज़ समझा तो करोaakanksha24 wrote: Mon Dec 09, 2024 10:40 am USER ID aakanksha24
बहुत मुश्किल था मेरे लिए खुद को तकलीफ में देखना
लेकिन उस से ज्यादा जरूरी था मां बाप को मुस्कुराते हुए देखना ।
तनाव, अवसाद, बैचेनी झेल रही थी
दुनिया के इस रंगमंच में भी अपने किरादर से खेल रही थी , कभी किसी को हंसाने के लिए,तो कभी किसी को सहारे देने के लिए ,कभी किसी के खालीपन को भरने के लिए ।
दर्द , तकलीफ से मैं भी गुजर रही थी ,लेकिन हंसी के मुखौटे मैने भी पहन रखे थे अपनो के लिए।
अकेली रातों में रोती थी ,चिल्लाती थी ,
खुद को टूटता, बिखरता पाती थी एक कोने में ।
इतना सब अकेले झेलती थी , मुंह मैं रूमाल रख रोती थी
पर कह कुछ भी न पाती थी ..... हां खामोश थी मैं उस वक्त
आकांक्षा रैकवार
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धड़कने दिल की, सुना तो करो
ये रात ये समा सब नसीबो का किस्सा है
हकीक़त ना सही, सपना ही समझा तो करो
तुमसे बात करना महज एक बहाना है
धड़कने दिल की, कभी सुना तो करो
मजबूर है हम दिल के हाथों समझा तो करो
प्यार ना सही, दोस्त बन के पास रहा तो करो
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- 300 से 400 की ओर, रोको बा रोको ... !!!
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Re: अनकही बातें, अनकहे अल्फाज
यादें कुछ अनकही कुछ अनसुनी रह रह गई
दिल के कुछ पन्नों पे किस्से लिख गई
आँखों में बसी वो मासूमियत कह गयी
कुछ द्रश्यों पुराने से अपने जज़्बात कह गयी
उस गली जिधर ना जाना कभी अब सुनसान ना रही
कुछ बोली ना कभी कुछ आज हज़ार द्रश्य दिखा गयी
अनजानों से डरता था जो दिल शायद अनजानापन भूल गया
परायों को भी अपनी माया में अपना बना गया
ज़िन्दगी का ये सफर सुहाना यादों की डोरी में बंध गया
भूले ना भुलाये जाएं जो पल सारे एक पल में दिखा गया
ना जाने क्या तमन्ना इस जीवन की
हर कदम पर लेती इक अलग मोड़ है
जो याद आये कभी उस मोड़ पे तो एक पल मन की नज़रें खोल याद करलेना
उन नैनों की पलकों के नीचे हर पल हर समाहम सब का बसेरा रखलेना।
दिल के कुछ पन्नों पे किस्से लिख गई
आँखों में बसी वो मासूमियत कह गयी
कुछ द्रश्यों पुराने से अपने जज़्बात कह गयी
उस गली जिधर ना जाना कभी अब सुनसान ना रही
कुछ बोली ना कभी कुछ आज हज़ार द्रश्य दिखा गयी
अनजानों से डरता था जो दिल शायद अनजानापन भूल गया
परायों को भी अपनी माया में अपना बना गया
ज़िन्दगी का ये सफर सुहाना यादों की डोरी में बंध गया
भूले ना भुलाये जाएं जो पल सारे एक पल में दिखा गया
ना जाने क्या तमन्ना इस जीवन की
हर कदम पर लेती इक अलग मोड़ है
जो याद आये कभी उस मोड़ पे तो एक पल मन की नज़रें खोल याद करलेना
उन नैनों की पलकों के नीचे हर पल हर समाहम सब का बसेरा रखलेना।
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Re: अनकही बातें, अनकहे अल्फाज
अनकहे अल्फाज़ समझा तो करो
धड़कने दिल की, सुना तो करो
ये रात ये समा सब नसीबो का किस्सा है
हकीक़त ना सही, सपना ही समझा तो करो
तुमसे बात करना महज एक बहाना है
धड़कने दिल की, कभी सुना तो करो
मजबूर है हम दिल के हाथों समझा तो करो
प्यार ना सही, दोस्त बन के पास रहा तो करो
धड़कने दिल की, सुना तो करो
ये रात ये समा सब नसीबो का किस्सा है
हकीक़त ना सही, सपना ही समझा तो करो
तुमसे बात करना महज एक बहाना है
धड़कने दिल की, कभी सुना तो करो
मजबूर है हम दिल के हाथों समझा तो करो
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Re: अनकही बातें, अनकहे अल्फाज
टूटे दिल की दास्ताँ…aakanksha24 wrote: Mon Dec 09, 2024 10:40 am USER ID aakanksha24
बहुत मुश्किल था मेरे लिए खुद को तकलीफ में देखना
लेकिन उस से ज्यादा जरूरी था मां बाप को मुस्कुराते हुए देखना ।
तनाव, अवसाद, बैचेनी झेल रही थी
दुनिया के इस रंगमंच में भी अपने किरादर से खेल रही थी , कभी किसी को हंसाने के लिए,तो कभी किसी को सहारे देने के लिए ,कभी किसी के खालीपन को भरने के लिए ।
दर्द , तकलीफ से मैं भी गुजर रही थी ,लेकिन हंसी के मुखौटे मैने भी पहन रखे थे अपनो के लिए।
अकेली रातों में रोती थी ,चिल्लाती थी ,
खुद को टूटता, बिखरता पाती थी एक कोने में ।
इतना सब अकेले झेलती थी , मुंह मैं रूमाल रख रोती थी
पर कह कुछ भी न पाती थी ..... हां खामोश थी मैं उस वक्त
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आज फिर से किसी ने हाल पूछ लिया…और मेरा जवाब कुछ यूँ था:
कि एक ज़ख़्म अब नासूर हो चुका है…
और नासूर पे फिर से वार दस्तूर हो चुका है…
ना लगाना कोई दावा कोई मलहम अब इस्पे…
इस दिल को दर्द का फितूर हो चुका है…!!!
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Re: अनकही बातें, अनकहे अल्फाज
इस ज़िन्दगी में कुछ भी स्थायी नहीं है… हर कदम हर पल कुछ न कुछ बदलता रहता है…. और हमें भी न चाहते हुए भी उस बदलाव के साथ बदलना पड़ता है… कई बार हमें अपने दिल के बोहोत करीबी चीजों को छोड़ना पड़ता…. अपना स्कूल… अपना घर…. पर सबसे अहम अपने दोस्त…. और साथ रह जाती हैं हमारे तो बस कुछ यादें पुरानी जो किसी को बताई नहीं जा सकती…. बस कहीं अंदर ही अंदर दिल के किसी कोने में अपना घर बसा लेती हैं….LinkBlogs wrote: Mon Dec 09, 2024 11:48 am WELCOME TO THE CLUB!!!!
आज की व्यस्त दुनिया में, हर व्यक्ति मानसिक पीड़ा से गुजर रहा है।
1. Men - बाहरी दुनिया के माध्यम से महत्वपूर्ण दबाव और दर्द का सामना कर रहे हैं।
2. Women - परिवार के सदस्य के माध्यम से बहुत अधिक अवसाद और तनाव का सामना कर रही हैं।
3. Children - तनाव और दर्द के बारे में न जानते हुए, वे शिक्षा के माध्यम से प्रारंभिक बचपन में संघर्ष कर रहे हैं।
4. Adults - समाज के साथ मेलजोल और सामंजस्य स्थापित करने में संघर्ष कर रहे हैं (जो उन्होंने अपनी बचपन में कभी नहीं देखा था) एक सामान्य आदमी/महिला के रूप में।
कुल मिलाकर, हम इंसान बिना कुछ जाने एक-एक करके तनावपूर्ण जीवन के पैटर्न से गुजर रहे हैं और सफलता के पीछे दौड़ रहे हैं, खुशियों के बजाय।
aakanksha24 wrote: Mon Dec 09, 2024 10:40 am USER ID aakanksha24
बहुत मुश्किल था मेरे लिए खुद को तकलीफ में देखना
लेकिन उस से ज्यादा जरूरी था मां बाप को मुस्कुराते हुए देखना ।
तनाव, अवसाद, बैचेनी झेल रही थी
दुनिया के इस रंगमंच में भी अपने किरादर से खेल रही थी , कभी किसी को हंसाने के लिए,तो कभी किसी को सहारे देने के लिए ,कभी किसी के खालीपन को भरने के लिए ।
दर्द , तकलीफ से मैं भी गुजर रही थी ,लेकिन हंसी के मुखौटे मैने भी पहन रखे थे अपनो के लिए।
अकेली रातों में रोती थी ,चिल्लाती थी ,
खुद को टूटता, बिखरता पाती थी एक कोने में ।
इतना सब अकेले झेलती थी , मुंह मैं रूमाल रख रोती थी
पर कह कुछ भी न पाती थी ..... हां खामोश थी मैं उस वक्त
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Re: अनकही बातें, अनकहे अल्फाज
समय परिवर्तन एक नियम है और वह आता है और जाता है इसी तरह से हमारे ग्रह नक्षत्र आपस में हमारे आसपास घूमते रहते हैं और हमारे दशा अंतर्दशा को चेंज करते रहते हैं तो कभी हम बहुत खुश और कभी हम बहुत दुखी हो जाते हैं इस तरह से अपने अंतर्दशा को कंट्रोल करना सीख लेंगे तो हम कभी भी मानसिक अवसाद के शिकार नहीं होंगे और ही हम जान लेंगे यह सिर्फ एक मौसम है और जल्दी ही बदल जाएगा