Blockchain Technology कैसे काम करती है?
Posted: Fri Feb 21, 2025 10:18 am
ब्लॉकचेन एक डिजिटल लेजर की तरह है जो सुरक्षित, पारदर्शी और छेड़छाड़-प्रतिरोधी होता है, जो बिना किसी केंद्रीय प्राधिकरण के विश्वसनीय पीयर-टू-पीयर लेन-देन की अनुमति देता है। यह एक विकेन्द्रीकृत, वितरित लेजर सिस्टम के रूप में काम करता है जो कई कंप्यूटरों में लेन-देन को सुरक्षित रूप से रिकॉर्ड करता है। यह इस प्रकार काम करता है:
1. Decentralization: केंद्रीय सर्वर पर डेटा को स्टोर करने के बजाय, ब्लॉकचेन डेटा की प्रतियों को कंप्यूटरों (जिसे nodes कहा जाता है) के नेटवर्क में वितरित करता है। इससे यह छेड़छाड़-प्रतिरोधी और पारदर्शी बनता है।
2. Blocks and Chains: डेटा "ब्लॉक्स" में स्टोर किया जाता है, जो लेन-देन की जानकारी रखते हैं। प्रत्येक ब्लॉक पिछले ब्लॉक से जुड़ा होता है, जिससे एक चेन बनती है (इसलिए इसे ब्लॉकचेन कहा जाता है)। इससे लेन-देन का क्रम सुनिश्चित होता है और छेड़छाड़ को रोका जाता है।
3. Transaction Validation: जब एक नया लेन-देन किया जाता है, तो इसे नेटवर्क पर प्रसारित किया जाता है। Nodes इस लेन-देन को consensus algorithms (जैसे Proof of Work या Proof of Stake) का उपयोग करके सत्यापित करते हैं। यदि लेन-देन वैध होता है, तो इसे एक नए ब्लॉक में जोड़ा जाता है।
4. Hashing: प्रत्येक ब्लॉक में पिछले ब्लॉक का एक अद्वितीय क्रिप्टोग्राफिक हैश होता है, जो उसकी अखंडता सुनिश्चित करता है। यदि कोई किसी ब्लॉक को बदलने की कोशिश करता है, तो हैश बदल जाता है, जिससे चेन टूट जाती है और नेटवर्क को अलर्ट हो जाता है।
5. Immutability: एक बार जब ब्लॉक ब्लॉकचेन में जुड़ जाता है, तो इसे बदलना या हटाना लगभग असंभव होता है, जिससे सभी लेन-देन का एक स्थायी और पारदर्शी रिकॉर्ड बनता है।
6. Security: ब्लॉकचेन डेटा को सुरक्षित करने के लिए उन्नत क्रिप्टोग्राफी का उपयोग करता है। नेटवर्क की वितरित प्रकृति और consensus mechanism इसे धोखाधड़ी और हैकिंग के प्रति अत्यधिक प्रतिरोधी बनाते हैं।
1. Decentralization: केंद्रीय सर्वर पर डेटा को स्टोर करने के बजाय, ब्लॉकचेन डेटा की प्रतियों को कंप्यूटरों (जिसे nodes कहा जाता है) के नेटवर्क में वितरित करता है। इससे यह छेड़छाड़-प्रतिरोधी और पारदर्शी बनता है।
2. Blocks and Chains: डेटा "ब्लॉक्स" में स्टोर किया जाता है, जो लेन-देन की जानकारी रखते हैं। प्रत्येक ब्लॉक पिछले ब्लॉक से जुड़ा होता है, जिससे एक चेन बनती है (इसलिए इसे ब्लॉकचेन कहा जाता है)। इससे लेन-देन का क्रम सुनिश्चित होता है और छेड़छाड़ को रोका जाता है।
3. Transaction Validation: जब एक नया लेन-देन किया जाता है, तो इसे नेटवर्क पर प्रसारित किया जाता है। Nodes इस लेन-देन को consensus algorithms (जैसे Proof of Work या Proof of Stake) का उपयोग करके सत्यापित करते हैं। यदि लेन-देन वैध होता है, तो इसे एक नए ब्लॉक में जोड़ा जाता है।
4. Hashing: प्रत्येक ब्लॉक में पिछले ब्लॉक का एक अद्वितीय क्रिप्टोग्राफिक हैश होता है, जो उसकी अखंडता सुनिश्चित करता है। यदि कोई किसी ब्लॉक को बदलने की कोशिश करता है, तो हैश बदल जाता है, जिससे चेन टूट जाती है और नेटवर्क को अलर्ट हो जाता है।
5. Immutability: एक बार जब ब्लॉक ब्लॉकचेन में जुड़ जाता है, तो इसे बदलना या हटाना लगभग असंभव होता है, जिससे सभी लेन-देन का एक स्थायी और पारदर्शी रिकॉर्ड बनता है।
6. Security: ब्लॉकचेन डेटा को सुरक्षित करने के लिए उन्नत क्रिप्टोग्राफी का उपयोग करता है। नेटवर्क की वितरित प्रकृति और consensus mechanism इसे धोखाधड़ी और हैकिंग के प्रति अत्यधिक प्रतिरोधी बनाते हैं।