गांव का IPL, नाचने के लिए बुलाई गईं चीयरलीडर्स, Video देख लोग बोले- इन्हें हल्के में ना लें, ये खुद का क्रिकेट बोर्ड भी

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गांव का IPL, नाचने के लिए बुलाई गईं चीयरलीडर्स, Video देख लोग बोले- इन्हें हल्के में ना लें, ये खुद का क्रिकेट बोर्ड भी

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भारत में क्रिकेट का इतना क्रेज है कि देश के हर कोने में लोगों को यह खेल खेलते हुए देखा जा सकता है। गांवों में भी क्रिकेट का क्रेज लोगों के सिर पर चढ़कर बोलता है। भले ही यहां पर क्रिकेट के लिए स्टेडियम और जरूरी सुविधाएं नहीं हैं लेकिन गांव के लोग खुद से ही खेतों में मैदान और पीच तैयार कर क्रिकेट खेलते नजर आ जाएंगे। इन खेत में बने मैदानों में बड़े-बड़े टूर्नामेंट्स भी आयोजित करवाए जाते हैं। जहां गांव के आस-पास के टोले-मोहल्ले के लोग अपनी-अपनी टीमों के साथ इन टूर्नामेंट्स में भाग लेते हैं। यहां जीतने वालों को ईनाम भी मिलता है। टूर्नामेंट को और भी शानदार बनाने के लिए लोग DJ और चीयरलीडर्स का भी प्रबंध कर लेते हैं। यानी कुल मामला किसी इंटरनेशनल मैच या IPL से कम नहीं लगता।

देसी IPL किसी से कम नहीं
हाल में ऐसे ही आयोजित एक क्रिकेट टूर्नामेंट का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। जिसमें गांव के लोगों ने क्रिकेट टूर्नामेंट कराने के लिए बाकायदा ग्राउंड तैयार किया है। दर्शकों के बैठने के लिए टेंट के नीचे कुर्सियों का प्रबंध किया गया है। कमेंट्री करने के लिए बड़े-बड़े DJ और माइक भी लगाए गए हैं। साथ में चौके-छक्के और विकेट पर जश्न मनाने के लिए चीयरलीडर्स को भी बुलाया गया है। इस क्रिकेट मैच को देखने के लिए लोगों की अच्छी-खासी भीड़ भी जुटी हुई है। वीडियो में दो चीयरलीडर्स नाचते हुए भी दिख रही हैं। इस पूरे वाकये का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।

लोगों ने Video पर किए मजेदार कमेंट्स
वीडियो देखने से आपको भी यहीं लगेगा कि यार गांव वालों ने तो IPL जैसा ही सीन बना दिया है। वायरल हो रहे इस वीडियो को इंस्टाग्राम पर 46 लाख से भी ज्यादा लोगों ने देखा और 7 लाख लोगों ने लाइक किया है। वहीं, तमाम लोग गांव वालों के इस क्रिकेट मैच को देख उसकी तुलना IPL से कर रहे हैं। एक यूजर ने कमेंट करते हुए कहा- गांव वालों को हल्के में ना लें, ये खुद अपना क्रिकेट बोर्ड भी बना सकते हैं। दूसरे ने लिखा- इसमें से 80% लोग तो सिर्फ नाच देखने गए होंगे। तीसरे ने लिखा- पाकिस्तान प्रीमियर लीग से ज्यादा बजट है इस मैच का। चौथे ने लिखा- हे पार्थ रथ को रोको, आगे आईपीएल चल रहा है, देख लेते हैं।

Source: https://www.indiatv.in/viral/news/gaon- ... 03-1064811
हिंदी
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Re: गांव का IPL, नाचने के लिए बुलाई गईं चीयरलीडर्स, Video देख लोग बोले- इन्हें हल्के में ना लें, ये खुद का क्रिकेट बोर्ड

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ई जलवा देखने हमका हिंदी फोरम के बाहर क्यों जाना पड़ी रे बबुआ ?

:mrgreen:
manish.bryan
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Re: गांव का IPL, नाचने के लिए बुलाई गईं चीयरलीडर्स, Video देख लोग बोले- इन्हें हल्के में ना लें, ये खुद का क्रिकेट बोर्ड

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गाँव में क्रिकेट का जूनून का स्तर शहरों की अपेक्षा बहुत ज्यादा है| निश्चय ही वो शहर की सुविधाओ से गाँव की खिलाडी वंचित रह जाते है लेकिन गाँव में पर्याप्त जमीन, मेहनती लोग, और सिखने का जज्बा है| गाँव के क्रिकेट में रात्रि काल के मैच बहुत ज्यादा खेला जाता है| एक अच्छी प्रकाश की व्यवस्था, बुजुर्गो के बैठने की उचित इन्तेजाम, और महिलाओ को शिर्ष क्रम में बिठाना और क्रिकेट का जलवा पुरे गाँव में फ़ैल जाता है|

गाँव में आईपीएल के तरज पर DJ, संगीत, शीतल पेय, और मनोरंजन का उचित इन्तेजाम भी रहता है|
"जो भरा नहीं है भावों से, जिसमें बहती रसधार नहीं, वह हृदय नहीं पत्थर है, जिसमें स्वदेश का प्यार नहीं"
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Re: गांव का IPL, नाचने के लिए बुलाई गईं चीयरलीडर्स, Video देख लोग बोले- इन्हें हल्के में ना लें, ये खुद का क्रिकेट बोर्ड

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लोग मनोरंजन के लिए क्रिकेट मैच देखने जाते हैं.. लेकिन मैच के दौरान उनका मनोरंजन चीयरलीडर्स के साथ होता है.. क्या क्रिकेट का खेल बोरिंग होने लगा है...?????? :lol: :lol: :lol:

क्या हमें खेल के बीच में ऐसे रिफ्रेशमेंट की ज़रूरत है?
Bhaskar.Rajni
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Re: गांव का IPL, नाचने के लिए बुलाई गईं चीयरलीडर्स, Video देख लोग बोले- इन्हें हल्के में ना लें, ये खुद का क्रिकेट बोर्ड

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manish.bryan wrote: Tue Aug 06, 2024 9:49 am गाँव में क्रिकेट का जूनून का स्तर शहरों की अपेक्षा बहुत ज्यादा है| निश्चय ही वो शहर की सुविधाओ से गाँव की खिलाडी वंचित रह जाते है लेकिन गाँव में पर्याप्त जमीन, मेहनती लोग, और सिखने का जज्बा है| गाँव के क्रिकेट में रात्रि काल के मैच बहुत ज्यादा खेला जाता है| एक अच्छी प्रकाश की व्यवस्था, बुजुर्गो के बैठने की उचित इन्तेजाम, और महिलाओ को शिर्ष क्रम में बिठाना और क्रिकेट का जलवा पुरे गाँव में फ़ैल जाता है|

गाँव में आईपीएल के तरज पर DJ, संगीत, शीतल पेय, और मनोरंजन का उचित इन्तेजाम भी रहता है|
हमारे घर के बाहर रोज बच्चे क्रिकेट खेलते हैं। भाई क्या जबरदस्त उनके कंट्री होती है एक घंटा डेढ़ घंटा वह लोग खेलते हैं और इतनी जबरदस्त कमेंट्री करते हैं कि सिद्धू पाजी भी नहीं कर सकते उनकी कमेंट्री सुन सुन के इतना आनंद आता है उनके जैसे एक कोई कॉमेडी फिल्म देख ली हो। यदि इनकी वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर डाली जाए तो लाखों करोड़ों भी हो जाएंगे... खैर मुझे तो बहुत पसंद है मैं इंतजार करती रहती हूं कि कब यह लोग आकर खेलें..... दूर-दूर तक इनका शोर सुनाई देता है दिन की सारी थकान उतर जाती है इनको क्रिकेट खेलते देखकर और उनकी कंट्री सुनकर.. और ऐसा नहीं की एक उम्र के बच्चे हैं हर उम्र के बच्चे बड़े भी छोटे भी...
।।
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Re: गांव का IPL, नाचने के लिए बुलाई गईं चीयरलीडर्स, Video देख लोग बोले- इन्हें हल्के में ना लें, ये खुद का क्रिकेट बोर्ड

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Bhaskar.Rajni wrote: Fri Dec 06, 2024 6:09 pm
manish.bryan wrote: Tue Aug 06, 2024 9:49 am गाँव में क्रिकेट का जूनून का स्तर शहरों की अपेक्षा बहुत ज्यादा है| निश्चय ही वो शहर की सुविधाओ से गाँव की खिलाडी वंचित रह जाते है लेकिन गाँव में पर्याप्त जमीन, मेहनती लोग, और सिखने का जज्बा है| गाँव के क्रिकेट में रात्रि काल के मैच बहुत ज्यादा खेला जाता है| एक अच्छी प्रकाश की व्यवस्था, बुजुर्गो के बैठने की उचित इन्तेजाम, और महिलाओ को शिर्ष क्रम में बिठाना और क्रिकेट का जलवा पुरे गाँव में फ़ैल जाता है|

गाँव में आईपीएल के तरज पर DJ, संगीत, शीतल पेय, और मनोरंजन का उचित इन्तेजाम भी रहता है|
हमारे घर के बाहर रोज बच्चे क्रिकेट खेलते हैं। भाई क्या जबरदस्त उनके कंट्री होती है एक घंटा डेढ़ घंटा वह लोग खेलते हैं और इतनी जबरदस्त कमेंट्री करते हैं कि सिद्धू पाजी भी नहीं कर सकते उनकी कमेंट्री सुन सुन के इतना आनंद आता है उनके जैसे एक कोई कॉमेडी फिल्म देख ली हो। यदि इनकी वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर डाली जाए तो लाखों करोड़ों भी हो जाएंगे... खैर मुझे तो बहुत पसंद है मैं इंतजार करती रहती हूं कि कब यह लोग आकर खेलें..... दूर-दूर तक इनका शोर सुनाई देता है दिन की सारी थकान उतर जाती है इनको क्रिकेट खेलते देखकर और उनकी कंट्री सुनकर.. और ऐसा नहीं की एक उम्र के बच्चे हैं हर उम्र के बच्चे बड़े भी छोटे भी...
।।
यह तभी तक अच्छा लग सकता है जब तक उस से कोई स्वयं को निजी क्षति ना पहुचें जैसे कांच आदि का टूटना, घर में आये दिन उनका गेंद लेने के बहाने आना जाना लगा रहना| मुझे क्यों लगता है की खेलो में आपकी स्वयं की अच्छी रूचि है लेकिन अपने पढाई के चलते खेलने कूदने पर ध्यान नही दिया लेकिन बैडमिंटन तो सर्दियों के दिनों में आप खेल ही सकती है|
जैसे वो बैडमिंटन वाला गाना है हमजोली फिल्म का..., "ढल गया दिन हो गयी रात जाने दो जाना है" :lol: :lol: :lol:

हालाँकि गाँव पर खेल को बहुत नायाब ढंग से देखा जाता है, वह खेल में जीत हार और ड्रेस भी बहुत सलीके से पहने जाते है, शहर में आप कुछ भी पहन के खेल ले लेकिन गाँव में ड्रेस कोड मानी होता है जिसका पालन भी सभी खिलाडी करते है|
"जो भरा नहीं है भावों से, जिसमें बहती रसधार नहीं, वह हृदय नहीं पत्थर है, जिसमें स्वदेश का प्यार नहीं"
Sarita
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Re: गांव का IPL, नाचने के लिए बुलाई गईं चीयरलीडर्स, Video देख लोग बोले- इन्हें हल्के में ना लें, ये खुद का क्रिकेट बोर्ड

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हमारे घर के बाहर रोज बच्चे क्रिकेट खेलते हैं। भाई क्या जबरदस्त उनके कंट्री होती है एक घंटा डेढ़ घंटा वह लोग खेलते हैं और इतनी जबरदस्त कमेंट्री करते हैं कि सिद्धू पाजी भी नहीं कर सकते उनकी कमेंट्री सुन सुन के इतना आनंद आता है उनके जैसे एक कोई कॉमेडी फिल्म देख ली हो। यदि इनकी वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर डाली जाए तो लाखों करोड़ों भी हो जाएंगे... खैर मुझे तो बहुत पसंद है मैं इंतजार करती रहती हूं कि कब यह लोग आकर खेलें..... दूर-दूर तक इनका शोर सुनाई देता है दिन की सारी थकान उतर जाती है इनको क्रिकेट खेलते देखकर और उनकी कंट्री सुनकर.. और ऐसा नहीं की एक उम्र के बच्चे हैं हर उम्र के बच्चे बड़े भी छोटे भी...
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Re: गांव का IPL, नाचने के लिए बुलाई गईं चीयरलीडर्स, Video देख लोग बोले- इन्हें हल्के में ना लें, ये खुद का क्रिकेट बोर्ड

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Sarita wrote: Fri Dec 06, 2024 8:46 pm हमारे घर के बाहर रोज बच्चे क्रिकेट खेलते हैं। भाई क्या जबरदस्त उनके कंट्री होती है एक घंटा डेढ़ घंटा वह लोग खेलते हैं और इतनी जबरदस्त कमेंट्री करते हैं कि सिद्धू पाजी भी नहीं कर सकते उनकी कमेंट्री सुन सुन के इतना आनंद आता है उनके जैसे एक कोई कॉमेडी फिल्म देख ली हो। यदि इनकी वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर डाली जाए तो लाखों करोड़ों भी हो जाएंगे... खैर मुझे तो बहुत पसंद है मैं इंतजार करती रहती हूं कि कब यह लोग आकर खेलें..... दूर-दूर तक इनका शोर सुनाई देता है दिन की सारी थकान उतर जाती है इनको क्रिकेट खेलते देखकर और उनकी कंट्री सुनकर.. और ऐसा नहीं की एक उम्र के बच्चे हैं हर उम्र के बच्चे बड़े भी छोटे भी...
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Re: गांव का IPL, नाचने के लिए बुलाई गईं चीयरलीडर्स, Video देख लोग बोले- इन्हें हल्के में ना लें, ये खुद का क्रिकेट बोर्ड

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manish.bryan wrote: Fri Dec 06, 2024 6:18 pm
Bhaskar.Rajni wrote: Fri Dec 06, 2024 6:09 pm
manish.bryan wrote: Tue Aug 06, 2024 9:49 am गाँव में क्रिकेट का जूनून का स्तर शहरों की अपेक्षा बहुत ज्यादा है| निश्चय ही वो शहर की सुविधाओ से गाँव की खिलाडी वंचित रह जाते है लेकिन गाँव में पर्याप्त जमीन, मेहनती लोग, और सिखने का जज्बा है| गाँव के क्रिकेट में रात्रि काल के मैच बहुत ज्यादा खेला जाता है| एक अच्छी प्रकाश की व्यवस्था, बुजुर्गो के बैठने की उचित इन्तेजाम, और महिलाओ को शिर्ष क्रम में बिठाना और क्रिकेट का जलवा पुरे गाँव में फ़ैल जाता है|

गाँव में आईपीएल के तरज पर DJ, संगीत, शीतल पेय, और मनोरंजन का उचित इन्तेजाम भी रहता है|
हमारे घर के बाहर रोज बच्चे क्रिकेट खेलते हैं। भाई क्या जबरदस्त उनके कंट्री होती है एक घंटा डेढ़ घंटा वह लोग खेलते हैं और इतनी जबरदस्त कमेंट्री करते हैं कि सिद्धू पाजी भी नहीं कर सकते उनकी कमेंट्री सुन सुन के इतना आनंद आता है उनके जैसे एक कोई कॉमेडी फिल्म देख ली हो। यदि इनकी वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर डाली जाए तो लाखों करोड़ों भी हो जाएंगे... खैर मुझे तो बहुत पसंद है मैं इंतजार करती रहती हूं कि कब यह लोग आकर खेलें..... दूर-दूर तक इनका शोर सुनाई देता है दिन की सारी थकान उतर जाती है इनको क्रिकेट खेलते देखकर और उनकी कंट्री सुनकर.. और ऐसा नहीं की एक उम्र के बच्चे हैं हर उम्र के बच्चे बड़े भी छोटे भी...
।।
यह तभी तक अच्छा लग सकता है जब तक उस से कोई स्वयं को निजी क्षति ना पहुचें जैसे कांच आदि का टूटना, घर में आये दिन उनका गेंद लेने के बहाने आना जाना लगा रहना| मुझे क्यों लगता है की खेलो में आपकी स्वयं की अच्छी रूचि है लेकिन अपने पढाई के चलते खेलने कूदने पर ध्यान नही दिया लेकिन बैडमिंटन तो सर्दियों के दिनों में आप खेल ही सकती है|
जैसे वो बैडमिंटन वाला गाना है हमजोली फिल्म का..., "ढल गया दिन हो गयी रात जाने दो जाना है" :lol: :lol: :lol:

हालाँकि गाँव पर खेल को बहुत नायाब ढंग से देखा जाता है, वह खेल में जीत हार और ड्रेस भी बहुत सलीके से पहने जाते है, शहर में आप कुछ भी पहन के खेल ले लेकिन गाँव में ड्रेस कोड मानी होता है जिसका पालन भी सभी खिलाडी करते है|
मनीष जी ! हम ऑलराउंडर थे (वैसे अब भी अभी हैं) बैडमिंटन भी खेलते थे और बास्केटबॉल भी साथ-साथ वॉलीबॉल भी और हॉकी भी क्रिकेट तो हमारा फेवरेट गेम था बाकी शतरंज तो खैर हमने सभी को सिखाया घर में ।
आप बताएं कौन सा खेल में आप हमसे हरना चाहेंगे, चाहे तो अंताक्षरी में भी आ जाओ.... हारना तो आप ही को है.... हां लेकिन पहले प्राइज तय कर दीजिएगा।
सायोनारा.... सायोनारा...🙋
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