दिल में तड़प है, आँखों में आंसू,
तेरे बिना यह जीवन है सूना।
चाहत की राह में हर कदम पर,
ग़मों का पहाड़, सपनों का झूला।
तेरी यादें अब भी मेरे पास हैं,
लेकिन तुम अब कहीं और हो।
हमारे बीच की दूरी बढ़ी है,
लेकिन दिल में तुम्हारा नाम अब भी खो।
तेरे बिना हर दिन जैसे रात हो,
हर पल जैसे एक सज़ा हो।
सपनों में जो तू था, वो अब खो गया,
और मेरी मोहब्बत अब भी अधूरी रह गई।
ख़ुशियों की राह में, दर्द की छाया,
तेरे बिना हर ओर एक सन्नाटा।
दिल की आवाज़ अब कोई नहीं सुनता,
तुझसे दूर होकर, मैं अकेला हूँ सवेरा।
मुझे उम्मीद थी, शायद कुछ बदल जाए,
मगर असलियत में सब कुछ वैसे का वैसा रह गया।
मैंने प्यार किया, दिल से सच्चा,
पर प्रेम की दुनिया अब मेरी नज़र में अजनबी हो गई।
कभी सोचा था, कि तुम्हारे बिना
जिंदगी क्या है, वो एक अधूरी तस्वीर।
पर अब मैं समझ चुका हूँ,
प्रेम में हार भी एक नई शुरुआत हो सकती है।
इसी हार में ढूंढूंगा मैं फिर से,
अपनी राह, अपनी पहचान।
तू नहीं तो क्या,
अब खुद से प्यार करना ही है मेरी अगली पहचान।
प्रेम में असफलता दिल को दुख देती है, लेकिन यह भी एक नयी शुरुआत का संकेत हो सकती है।
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- यारा एक हजारा , देख मैं आरा!!!
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Re: प्रेम में असफलता दिल को दुख देती है, लेकिन यह भी एक नयी शुरुआत का संकेत हो सकती है।
किसी भी चीज में सफलता या असफलता का निर्धारण हम स्वयं तय करते हैं अब जैसे मुझे 1 घंटे में तीन गिलास पानी पीनी है या अगले 3 घंटे तक पानी ही नहीं पीनी इसका निर्माण में स्वयं करूंगा।
प्रेम में असफलता सिर्फ उसी को बुरी लग सकती है जो प्रेम में हो अन्यथा स्वार्थी जगत में लोगों को लेने आता है देने नहीं तो ऐसी परिस्थितियों में जब प्रेम एक धंधे या व्यापार बन जाए तो उसमें किसी को चोट देना या किसी से चोट लेना इसका मूल्यांकन या निर्धन हम स्वयं तय करते हैं या सामने वाले को वह अधिकार प्रदत्त करते हैं।
प्रेम में असफलता सिर्फ उसी को बुरी लग सकती है जो प्रेम में हो अन्यथा स्वार्थी जगत में लोगों को लेने आता है देने नहीं तो ऐसी परिस्थितियों में जब प्रेम एक धंधे या व्यापार बन जाए तो उसमें किसी को चोट देना या किसी से चोट लेना इसका मूल्यांकन या निर्धन हम स्वयं तय करते हैं या सामने वाले को वह अधिकार प्रदत्त करते हैं।
"जो भरा नहीं है भावों से, जिसमें बहती रसधार नहीं, वह हृदय नहीं पत्थर है, जिसमें स्वदेश का प्यार नहीं"
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Re: प्रेम में असफलता दिल को दुख देती है, लेकिन यह भी एक नयी शुरुआत का संकेत हो सकती है।
प्रेम में असफल होना एक बहुत ही सामान्य अनुभव है, और हर व्यक्ति इसे अलग-अलग तरीके से महसूस करता है और प्रतिक्रिया करता है। कोई व्यक्ति इसे बहुत गहराई से लेता है, तो कोई इसे आसानी से भुला देता है। प्रतिक्रियाएं व्यक्ति के व्यक्तित्व, अनुभवों और प्रेम संबंध की गहराई पर निर्भर करती हैं। कभी कभी इंसान अपनों से ही दूर होने लगता है और अकेलेपन में खो जाता है। वो अपने प्यार को सब कुछ मान कर बैठ जाता है और सोचता है की अब भविष्य में उससे इससे अच्छा कुछ नहीं मिलेगा। दूसरी और कुछ ऐसे भी लोग होते है जो प्रेम में असफल होने पर अपने आपको किसी ऐसे काम में बिजी कर लेते है जहा उन्हें टाइम ही नहीं मिटा कुछ सोचने का और ैसिलय आगे बढ़ते चले जाते है।
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Re: प्रेम में असफलता दिल को दुख देती है, लेकिन यह भी एक नयी शुरुआत का संकेत हो सकती है।
यह आपने बिल्कुल सत्य कहा है कि प्रेम में असफलता उसी को बुरी लगती है जो प्रेम में स्वार्थी होता है अर्थात केवल अपना स्वार्थ ढूंढता है देखा जाए तो प्रेम कभी असफल होता ही नहीं है प्रेम मन में रहने की चीज है प्रेम देने का नाम है जो प्रेम में कुछ अपेक्षा करते हैं और जब वह पूरा नहीं होता तब उन्हें लगता है कि प्रेम असफल हो गया जबकि प्रेम असफल नहीं होता उनका स्वार्थ असफल हो जाता है प्रेम सदैव सफल है,शाश्वत है,विजई है,सत्य है।manish.bryan wrote: Fri Oct 11, 2024 9:00 am किसी भी चीज में सफलता या असफलता का निर्धारण हम स्वयं तय करते हैं अब जैसे मुझे 1 घंटे में तीन गिलास पानी पीनी है या अगले 3 घंटे तक पानी ही नहीं पीनी इसका निर्माण में स्वयं करूंगा।
प्रेम में असफलता सिर्फ उसी को बुरी लग सकती है जो प्रेम में हो अन्यथा स्वार्थी जगत में लोगों को लेने आता है देने नहीं तो ऐसी परिस्थितियों में जब प्रेम एक धंधे या व्यापार बन जाए तो उसमें किसी को चोट देना या किसी से चोट लेना इसका मूल्यांकन या निर्धन हम स्वयं तय करते हैं या सामने वाले को वह अधिकार प्रदत्त करते हैं।
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Re: प्रेम में असफलता दिल को दुख देती है, लेकिन यह भी एक नयी शुरुआत का संकेत हो सकती है।
यह आपने बिल्कुल सत्य कहा है कि प्रेम में असफलता उसी को बुरी लगती है जो प्रेम में स्वार्थी होता है अर्थात केवल अपना स्वार्थ ढूंढता है देखा जाए तो प्रेम कभी असफल होता ही नहीं है प्रेम मन में रहने की चीज है प्रेम देने का नाम है जो प्रेम में कुछ अपेक्षा करते हैं और जब वह पूरा नहीं होता तब उन्हें लगता है कि प्रेम असफल हो गया जबकि प्रेम असफल नहीं होता उनका स्वार्थ असफल हो जाता है प्रेम सदैव सफल है,शाश्वत है,विजई है,सत्य है।manish.bryan wrote: Fri Oct 11, 2024 9:00 am किसी भी चीज में सफलता या असफलता का निर्धारण हम स्वयं तय करते हैं अब जैसे मुझे 1 घंटे में तीन गिलास पानी पीनी है या अगले 3 घंटे तक पानी ही नहीं पीनी इसका निर्माण में स्वयं करूंगा।
प्रेम में असफलता सिर्फ उसी को बुरी लग सकती है जो प्रेम में हो अन्यथा स्वार्थी जगत में लोगों को लेने आता है देने नहीं तो ऐसी परिस्थितियों में जब प्रेम एक धंधे या व्यापार बन जाए तो उसमें किसी को चोट देना या किसी से चोट लेना इसका मूल्यांकन या निर्धन हम स्वयं तय करते हैं या सामने वाले को वह अधिकार प्रदत्त करते हैं।
अपनी-अपनी सोच की बात है कि कोई असफलताओं के दर्द से जल्दी उभर जाता है और पुनः प्रयास करता है किंतु कोई इस दर्द में अपना संपूर्ण जीवन नष्ट कर देता है किंतु सफलता और असफलता एक सिक्के के दो ही पहलू है कभी सफलता मिलती है और कभी असफलता दोनों को ही स्वीकार करना चाहिए और पुनः प्रयास करना चाहिए ।प्रेम तो कभी मिटता नहीं है यह जीवन की सच्चाई है और साथ-साथ चलता है सच कहे तो प्रेम के बिना जीवन ही नहीं है। यह एक एनर्जी है यदि हम किसी एक काम में असफल होते हैं तो इसी एनर्जी को हमें दूसरे काम में लगाकर सफलता प्राप्त की जा सकती है। बात दृष्टिकोण की है कि हम किस तरह से सोचते हैं और चीजों को किस तरह से लेते हैं।johny888 wrote: Sun Oct 13, 2024 3:45 pm प्रेम में असफल होना एक बहुत ही सामान्य अनुभव है, और हर व्यक्ति इसे अलग-अलग तरीके से महसूस करता है और प्रतिक्रिया करता है। कोई व्यक्ति इसे बहुत गहराई से लेता है, तो कोई इसे आसानी से भुला देता है। प्रतिक्रियाएं व्यक्ति के व्यक्तित्व, अनुभवों और प्रेम संबंध की गहराई पर निर्भर करती हैं। कभी कभी इंसान अपनों से ही दूर होने लगता है और अकेलेपन में खो जाता है। वो अपने प्यार को सब कुछ मान कर बैठ जाता है और सोचता है की अब भविष्य में उससे इससे अच्छा कुछ नहीं मिलेगा। दूसरी और कुछ ऐसे भी लोग होते है जो प्रेम में असफल होने पर अपने आपको किसी ऐसे काम में बिजी कर लेते है जहा उन्हें टाइम ही नहीं मिटा कुछ सोचने का और ैसिलय आगे बढ़ते चले जाते है।
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Re: प्रेम में असफलता दिल को दुख देती है, लेकिन यह भी एक नयी शुरुआत का संकेत हो सकती है।
यह आपने बिल्कुल सत्य कहा है कि प्रेम में असफलता उसी को बुरी लगती है जो प्रेम में स्वार्थी होता है अर्थात केवल अपना स्वार्थ ढूंढता है देखा जाए तो प्रेम कभी असफल होता ही नहीं है प्रेम मन में रहने की चीज है प्रेम देने का नाम है जो प्रेम में कुछ अपेक्षा करते हैं और जब वह पूरा नहीं होता तब उन्हें लगता है कि प्रेम असफल हो गया जबकि प्रेम असफल नहीं होता उनका स्वार्थ असफल हो जाता है प्रेम सदैव सफल है,शाश्वत है,विजई है,सत्य है।manish.bryan wrote: Fri Oct 11, 2024 9:00 am किसी भी चीज में सफलता या असफलता का निर्धारण हम स्वयं तय करते हैं अब जैसे मुझे 1 घंटे में तीन गिलास पानी पीनी है या अगले 3 घंटे तक पानी ही नहीं पीनी इसका निर्माण में स्वयं करूंगा।
प्रेम में असफलता सिर्फ उसी को बुरी लग सकती है जो प्रेम में हो अन्यथा स्वार्थी जगत में लोगों को लेने आता है देने नहीं तो ऐसी परिस्थितियों में जब प्रेम एक धंधे या व्यापार बन जाए तो उसमें किसी को चोट देना या किसी से चोट लेना इसका मूल्यांकन या निर्धन हम स्वयं तय करते हैं या सामने वाले को वह अधिकार प्रदत्त करते हैं।
अपनी-अपनी सोच की बात है कि कोई असफलताओं के दर्द से जल्दी उभर जाता है और पुनः प्रयास करता है किंतु कोई इस दर्द में अपना संपूर्ण जीवन नष्ट कर देता है किंतु सफलता और असफलता एक सिक्के के दो ही पहलू है कभी सफलता मिलती है और कभी असफलता दोनों को ही स्वीकार करना चाहिए और पुनः प्रयास करना चाहिए ।प्रेम तो कभी मिटता नहीं है यह जीवन की सच्चाई है और साथ-साथ चलता है सच कहे तो प्रेम के बिना जीवन ही नहीं है। यह एक एनर्जी है यदि हम किसी एक काम में असफल होते हैं तो इसी एनर्जी को हमें दूसरे काम में लगाकर सफलता प्राप्त की जा सकती है। बात दृष्टिकोण की है कि हम किस तरह से सोचते हैं और चीजों को किस तरह से लेते हैं।johny888 wrote: Sun Oct 13, 2024 3:45 pm प्रेम में असफल होना एक बहुत ही सामान्य अनुभव है, और हर व्यक्ति इसे अलग-अलग तरीके से महसूस करता है और प्रतिक्रिया करता है। कोई व्यक्ति इसे बहुत गहराई से लेता है, तो कोई इसे आसानी से भुला देता है। प्रतिक्रियाएं व्यक्ति के व्यक्तित्व, अनुभवों और प्रेम संबंध की गहराई पर निर्भर करती हैं। कभी कभी इंसान अपनों से ही दूर होने लगता है और अकेलेपन में खो जाता है। वो अपने प्यार को सब कुछ मान कर बैठ जाता है और सोचता है की अब भविष्य में उससे इससे अच्छा कुछ नहीं मिलेगा। दूसरी और कुछ ऐसे भी लोग होते है जो प्रेम में असफल होने पर अपने आपको किसी ऐसे काम में बिजी कर लेते है जहा उन्हें टाइम ही नहीं मिटा कुछ सोचने का और ैसिलय आगे बढ़ते चले जाते है।
Realrider wrote: Mon Oct 07, 2024 6:30 pm दिल में तड़प है, आँखों में आंसू,
तेरे बिना यह जीवन है सूना।
चाहत की राह में हर कदम पर,
ग़मों का पहाड़, सपनों का झूला।
तेरी यादें अब भी मेरे पास हैं,
लेकिन तुम अब कहीं और हो।
हमारे बीच की दूरी बढ़ी है,
लेकिन दिल में तुम्हारा नाम अब भी खो।
तेरे बिना हर दिन जैसे रात हो,
हर पल जैसे एक सज़ा हो।
सपनों में जो तू था, वो अब खो गया,
और मेरी मोहब्बत अब भी अधूरी रह गई।
ख़ुशियों की राह में, दर्द की छाया,
तेरे बिना हर ओर एक सन्नाटा।
दिल की आवाज़ अब कोई नहीं सुनता,
तुझसे दूर होकर, मैं अकेला हूँ सवेरा।
मुझे उम्मीद थी, शायद कुछ बदल जाए,
मगर असलियत में सब कुछ वैसे का वैसा रह गया।
मैंने प्यार किया, दिल से सच्चा,
पर प्रेम की दुनिया अब मेरी नज़र में अजनबी हो गई।
कभी सोचा था, कि तुम्हारे बिना
जिंदगी क्या है, वो एक अधूरी तस्वीर।
पर अब मैं समझ चुका हूँ,
प्रेम में हार भी एक नई शुरुआत हो सकती है।
इसी हार में ढूंढूंगा मैं फिर से,
अपनी राह, अपनी पहचान।
तू नहीं तो क्या,
अब खुद से प्यार करना ही है मेरी अगली पहचान।
तू मेरे इंतजार है मेरी यादों मेंRealrider wrote: Mon Oct 07, 2024 6:30 pm दिल में तड़प है, आँखों में आंसू,
तेरे बिना यह जीवन है सूना।
चाहत की राह में हर कदम पर,
ग़मों का पहाड़, सपनों का झूला।
तेरी यादें अब भी मेरे पास हैं,
लेकिन तुम अब कहीं और हो।
हमारे बीच की दूरी बढ़ी है,
लेकिन दिल में तुम्हारा नाम अब भी खो।
तेरे बिना हर दिन जैसे रात हो,
हर पल जैसे एक सज़ा हो।
सपनों में जो तू था, वो अब खो गया,
और मेरी मोहब्बत अब भी अधूरी रह गई।
ख़ुशियों की राह में, दर्द की छाया,
तेरे बिना हर ओर एक सन्नाटा।
दिल की आवाज़ अब कोई नहीं सुनता,
तुझसे दूर होकर, मैं अकेला हूँ सवेरा।
मुझे उम्मीद थी, शायद कुछ बदल जाए,
मगर असलियत में सब कुछ वैसे का वैसा रह गया।
मैंने प्यार किया, दिल से सच्चा,
पर प्रेम की दुनिया अब मेरी नज़र में अजनबी हो गई।
कभी सोचा था, कि तुम्हारे बिना
जिंदगी क्या है, वो एक अधूरी तस्वीर।
पर अब मैं समझ चुका हूँ,
प्रेम में हार भी एक नई शुरुआत हो सकती है।
इसी हार में ढूंढूंगा मैं फिर से,
अपनी राह, अपनी पहचान।
तू नहीं तो क्या,
अब खुद से प्यार करना ही है मेरी अगली पहचान।
तेरे बिना जीना मुझे आया ही नहीं
मेरे लहजे में तू है मेरे शब्दों में
अब मैं नहीं हूं कहीं
तू ही मेरी पहचान है