संयुक्त परिवार

महफिल यहां जमाएं....
LinkBlogs
या खुदा ! एक हज R !!! पोस्टर महा लपक के वाले !!!
Posts: 1569
Joined: Sat Jul 13, 2024 10:35 am
Contact:

संयुक्त परिवार

Post by LinkBlogs »

संयुक्त परिवार

संयुक्त परिवार, बड़ा अनोखा संसार,
प्यार, सहयोग, अपनापन अपार।
दादा-दादी का आशीर्वाद मिलता,
सबके दिलों में प्रेम पनपता।

माँ-पापा, चाचा-चाची,
सबके संग, हँसी की लहरें आती।
भाई-बहन का झगड़ा प्यारा,
सभी का साथ है सबसे न्यारा।

सुख-दुख में सब संग खड़े,
हर मुश्किल को मिलकर लड़े।
संयुक्त परिवार का अद्भुत बंधन,
हर दिल में बसता सच्चा अपनापन।
johny888
सात सो!!!! पोस्टिंग के साथ !!! लाहौल विला कुव्वत!!!
Posts: 709
Joined: Sun Oct 13, 2024 12:32 am

Re: संयुक्त परिवार

Post by johny888 »

संयुक्त परिवार का महत्व हमारे समाज और संस्कृति में बहुत गहरा है। यह न सिर्फ आर्थिक और भावनात्मक सहयोग देता है, बल्कि संस्कार और परंपरा भी सिखाता है। संयुक्त परिवार में बच्चे अपने बड़ों से जीवन के मूल्य सीखते हैं, जिससे उनका नैतिक और सामाजिक विकास होता है।
Stayalive
400 पार !! ये बाबा!!! ...मतलब की ऐसे ...!!!!
Posts: 430
Joined: Mon Jul 15, 2024 12:14 pm

Re: संयुक्त परिवार

Post by Stayalive »

युवा भारतीयों के बीच संयुक्त परिवार स्थापित करने में कुछ चुनौतियाँ उत्पन्न करने वाले कारक:

1. निजता और व्यक्तिगत स्थान की कमी
2. अलग-अलग पालन-पोषण शैली
3. जीवनशैली और अनुकूलता के मुद्दे
4. आपसी टकराव और ईर्ष्या
5. आधुनिक मीडिया और व्यक्तिवाद का प्रभाव
Bhaskar.Rajni
या खुदा ! एक हज R !!! पोस्टर महा लपक के वाले !!!
Posts: 1001
Joined: Sun Nov 10, 2024 9:39 pm

Re: संयुक्त परिवार

Post by Bhaskar.Rajni »

संयुक्त परिवार भारत की परंपरा रही है संयुक्त परिवार पुराने जमाने में बहुत बड़े-बड़े परिवार होते थे और आपस में मिलजुल कर घी और शक्कर की तरह रहते थे आपस में कामों को भी बांट लिया जाता था किसी पर अधिक बोझ नहीं पड़ता था एक ही व्यक्ति जो घर में सबसे बुजुर्ग होता था उसी का ही निर्णय सर्वोपरि माना जाता था संयुक्त परिवारों में सहनशक्ति आपस में स्नेह भाव और संस्कार विकसित होते रहते थे जो कि अब एकाकी परिवारों में से गायब हो गए हैं।
Sonal singh
300 से 400 की ओर, रोको बा रोको ... !!!
Posts: 330
Joined: Mon Nov 18, 2024 3:19 pm

Re: संयुक्त परिवार

Post by Sonal singh »

Bhaskar.Rajni wrote: Thu Nov 14, 2024 9:40 pm संयुक्त परिवार भारत की परंपरा रही है संयुक्त परिवार पुराने जमाने में बहुत बड़े-बड़े परिवार होते थे और आपस में मिलजुल कर घी और शक्कर की तरह रहते थे आपस में कामों को भी बांट लिया जाता था किसी पर अधिक बोझ नहीं पड़ता था एक ही व्यक्ति जो घर में सबसे बुजुर्ग होता था उसी का ही निर्णय सर्वोपरि माना जाता था संयुक्त परिवारों में सहनशक्ति आपस में स्नेह भाव और संस्कार विकसित होते रहते थे जो कि अब एकाकी परिवारों में से गायब हो गए हैं।
संयुक्त परिवार आजकल के समय में देखने को कहां मिलते हैं.। पहले जमाने में लोग एक साथ रहते थे सारे भाई-बहू में बेटियां सास देवरानी जेठानी उसमें सबके बच्चे यह संयुक्त परिवार कहा जाता था। हर दुख में सुख में सब एक साथ खड़े होते थे। एक दूसरे का हाथ बटाते थे। आज शादियों में भाई-भाई साथ में खड़े नहीं होते। दुख सुख तो बहुत दूर की बात है। संयुक्त परिवारों में पहले बच्चों को संस्कार भी बहुत अच्छे दिए जाते थे। और संयुक्त परिवार में बड़े बुजुर्गों का डर भी होता था बच्चों को और बड़ों को भी। राजस्थान में आज भी कुछ गांव ऐसे हैं जहां संयुक्त परिवार के साथ रहते हैं।
Bhaskar.Rajni
या खुदा ! एक हज R !!! पोस्टर महा लपक के वाले !!!
Posts: 1001
Joined: Sun Nov 10, 2024 9:39 pm

Re: संयुक्त परिवार

Post by Bhaskar.Rajni »

Sonal singh wrote: Wed Nov 20, 2024 5:26 pm
Bhaskar.Rajni wrote: Thu Nov 14, 2024 9:40 pm संयुक्त परिवार भारत की परंपरा रही है संयुक्त परिवार पुराने जमाने में बहुत बड़े-बड़े परिवार होते थे और आपस में मिलजुल कर घी और शक्कर की तरह रहते थे आपस में कामों को भी बांट लिया जाता था किसी पर अधिक बोझ नहीं पड़ता था एक ही व्यक्ति जो घर में सबसे बुजुर्ग होता था उसी का ही निर्णय सर्वोपरि माना जाता था संयुक्त परिवारों में सहनशक्ति आपस में स्नेह भाव और संस्कार विकसित होते रहते थे जो कि अब एकाकी परिवारों में से गायब हो गए हैं।
संयुक्त परिवार आजकल के समय में देखने को कहां मिलते हैं.। पहले जमाने में लोग एक साथ रहते थे सारे भाई-बहू में बेटियां सास देवरानी जेठानी उसमें सबके बच्चे यह संयुक्त परिवार कहा जाता था। हर दुख में सुख में सब एक साथ खड़े होते थे। एक दूसरे का हाथ बटाते थे। आज शादियों में भाई-भाई साथ में खड़े नहीं होते। दुख सुख तो बहुत दूर की बात है। संयुक्त परिवारों में पहले बच्चों को संस्कार भी बहुत अच्छे दिए जाते थे। और संयुक्त परिवार में बड़े बुजुर्गों का डर भी होता था बच्चों को और बड़ों को भी। राजस्थान में आज भी कुछ गांव ऐसे हैं जहां संयुक्त परिवार के साथ रहते हैं।
केवल राजस्थान ही क्यों भारत के बहुत सारे राज्य ऐसे हैं जहां पर संयुक्त परिवार रहते हैं यह बात अलग है कि शहरों में यह चीज देखने को नहीं मिलती लेकिन गांव में आज भी यह परंपरा है खास करके पंजाब में तो ज्यादातर संयुक्त परिवार ही है क्योंकि वे खेती करते हैं तो जमीन सबकी भाइयों की एक साथ होती है साथ ही रहते हैं मैंने खुद देखा है संयुक्त परिवारों को एक संयुक्त परिवार तो यहां पर 100 लोगों का है लेकिन आप धीरे-धीरे अपने चूल्हे अलग कर लिए हैं लेकिन फिर भी साथ ही रहते हैं।
Gaurav27i
ब्रह्मचर्य से गृहस्थ की ओर की तैयारी...!!
Posts: 49
Joined: Tue Oct 22, 2024 6:18 pm

Re: संयुक्त परिवार

Post by Gaurav27i »

संयुक्त परिवार या की जिसे हम अंग्रेजी में जॉइंट फैमिली के नाम से भी जानते हैं वह आजकल हमारे कला वह हमारे कलर से मिटता जा रहा है इसका मुख्य कारण हम बढ़ती महंगाई लोगों में बढ़ती बढ़ती क्वालिटी वह आने वाली जनरेशन में रिश्तेदारों के प्रति हीन भावना भी कह सकते हैं यूं तो संयुक्त परिवार के बहुत से फायदे हैं पर आजकल की नहीं युवा पीढ़ी शादी के बाद ही अपने मां-बाप से अलग रहना चाहती है तो वह अन्य रिश्तेदारों के साथ क्या ही रहने की सोच पाएंगे इस विषय पर गौर करने की बात है कि यह सोच का कारण हमारी परवरिश वी हमारा एजुकेशन सिस्टम है
Sonal singh
300 से 400 की ओर, रोको बा रोको ... !!!
Posts: 330
Joined: Mon Nov 18, 2024 3:19 pm

Re: संयुक्त परिवार

Post by Sonal singh »

Bhaskar.Rajni wrote: Thu Nov 21, 2024 1:47 pm
Sonal singh wrote: Wed Nov 20, 2024 5:26 pm
Bhaskar.Rajni wrote: Thu Nov 14, 2024 9:40 pm संयुक्त परिवार भारत की परंपरा रही है संयुक्त परिवार पुराने जमाने में बहुत बड़े-बड़े परिवार होते थे और आपस में मिलजुल कर घी और शक्कर की तरह रहते थे आपस में कामों को भी बांट लिया जाता था किसी पर अधिक बोझ नहीं पड़ता था एक ही व्यक्ति जो घर में सबसे बुजुर्ग होता था उसी का ही निर्णय सर्वोपरि माना जाता था संयुक्त परिवारों में सहनशक्ति आपस में स्नेह भाव और संस्कार विकसित होते रहते थे जो कि अब एकाकी परिवारों में से गायब हो गए हैं।
संयुक्त परिवार आजकल के समय में देखने को कहां मिलते हैं.। पहले जमाने में लोग एक साथ रहते थे सारे भाई-बहू में बेटियां सास देवरानी जेठानी उसमें सबके बच्चे यह संयुक्त परिवार कहा जाता था। हर दुख में सुख में सब एक साथ खड़े होते थे। एक दूसरे का हाथ बटाते थे। आज शादियों में भाई-भाई साथ में खड़े नहीं होते। दुख सुख तो बहुत दूर की बात है। संयुक्त परिवारों में पहले बच्चों को संस्कार भी बहुत अच्छे दिए जाते थे। और संयुक्त परिवार में बड़े बुजुर्गों का डर भी होता था बच्चों को और बड़ों को भी। राजस्थान में आज भी कुछ गांव ऐसे हैं जहां संयुक्त परिवार के साथ रहते हैं।
केवल राजस्थान ही क्यों भारत के बहुत सारे राज्य ऐसे हैं जहां पर संयुक्त परिवार रहते हैं यह बात अलग है कि शहरों में यह चीज देखने को नहीं मिलती लेकिन गांव में आज भी यह परंपरा है खास करके पंजाब में तो ज्यादातर संयुक्त परिवार ही है क्योंकि वे खेती करते हैं तो जमीन सबकी भाइयों की एक साथ होती है साथ ही रहते हैं मैंने खुद देखा है संयुक्त परिवारों को एक संयुक्त परिवार तो यहां पर 100 लोगों का है लेकिन आप धीरे-धीरे अपने चूल्हे अलग कर लिए हैं लेकिन फिर भी साथ ही रहते हैं।
Harendra Singh
जीयो मेरे लाल, दोहरा शतक पूर्ण ....!!!
Posts: 201
Joined: Tue Nov 19, 2024 5:59 pm

Re: संयुक्त परिवार

Post by Harendra Singh »

संयुक्त परिवार एक बहुत ही खुशहाल परिवार होता है.। जब हमारा संयुक्त परिवार था जब उसमें हम सारे लोग मिलकर रहते थे ताऊ ताई चाचा चाचा उनके बच्चे मम्मी पापा अम्मा बाबा साथ रहते थे। ऐसा लगता था मानो हमारे घर में कोई कार्यक्रम हो रहा हो.। शाम को सब एक साथ खाना खाते थे घर की महिलाएं खाना बनाती थी बच्चे धमा चौकड़ी मचाते थे। काम होते ही सभी बच्चों को हमारे अम्मा बाबा कहानी सुनाया करते थे। चचिया ताई मीठा बनाया करती थी। शाम को जब सब घर के बड़े घर आते थे लौट कर तो कुछ ना कुछ खाने के लिए जरूर लेकर आते थे तो संयुक्त परिवार का तो मजा ही कुछ और था। संयुक्त परिवार रहे कहां अब रिश्ते स्वार्थ के रिश्ते हो गए। अब सबको अपना-अपना परिवार चाहिए से ज्यादा कुछ नहीं।
Anurag Srivastava
ब्रह्मचर्य से गृहस्थ की ओर की तैयारी...!!
Posts: 44
Joined: Mon Dec 09, 2024 11:40 am

Re: संयुक्त परिवार

Post by Anurag Srivastava »

जब परिवार की बात होती है तो दिमाग नहीं दिल की बात होती है ,
संयुक्त परिवार ही उपयुक्त होते है परन्तु कई खामियों के कारण एकल परिवार व्यवस्था बढ़ने लगी
नयी पीढ़ी की जब आंखें खुली तो उन्हें संयुक्त परिवार भाने लगा ,वे वहां भी अपना फायदा ही देखते रहें '
जब बात फायदे नुकसान की होगी तो परिवार की धारणा ही व्यर्थ होगी
समर्पण , सहयोग , प्रेम , सुख दुख में साथ का भाव , परिवार की नींव के पत्थर हैं
कहाँ है वो बड़े बुजुर्ग जो घर में आने जाने वाले पर नज़र रखते थे ?
कहाँ है वो बड़े बुजुर्ग जो घर में हर किसी से बात करते रहते थे
कोई खुद को अकेला नहीं महसूस करता था, बच्चे अकेला महसूस करते थे तो दादा दादी के पास बातें करते थे जाकर
कोई दिक्कत होती थी तो दादा दादी को बता देते थे और वो जाकर माँ बाप से बात कर लेते थे अब तो बस एकल परिवार ही देखने को मिलते है पर ढूंढते संयुक्त ही है
Post Reply

Return to “शेर और शायरी”